2018-01-16 16:07:00

ओ.हिग्गिन्स पार्क में संत पापा ने पवित्र मिस्सा का अनुष्ठान किया


संत्यागो, मंगलवार 16 जनवरी 2018 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने चिली की प्रेरितिक यात्रा के दौरान मंगलवार 16 जनवरी को पाराग्वे ओ.हिग्गिन्स में हजारों की संख्या में उपस्थित विश्वासियों के साथ पवित्र युखारिस्त समारोह का अनुष्ठान किया। संत पापा ने प्रवचन में संत मती के सुसमाचार के पांचवें अध्याय के आशीर्वचन पर प्रकाश डाला।

संत पापा ने कहा, “ईसा विशाल जनसमूह देखकर पहाड़ी पर चढ़े और बैठ गये...” (मती 5,1) आज के सुसमाचार में हम पाते हैं कि येसु ने उनलोगों के चेहरे को देखा जो ईश्वर के प्रेम को दर्शाते हैं। येसु के हृदय को किसी विचार या अवधारणा ने स्पर्श नहीं किया परंतु लोगों के चेहरे ने उन्हें अपनी ओर खींच लिया और येसु उनके साथ समय बिताया।  

संत पापा ने कहा कि येसु ने लोगों की आंखों में किसी से मिलने की इच्छा और आकांक्षाओं को देखा। उनकी आकांक्षाएँ ही आशीर्वचन की शुरुआत थी। यह वह क्षितिज है जो हमें चुनौतियों की ओर जाती है।

आशीर्वचन वास्तविकता के चेहरे में निष्क्रियता का फल नहीं हैं, न ही वर्तमान घटनाओं के बारे में मात्र आंकड़े इकट्ठा करना है। यह उन भविष्यवक्ताओं के कयामत का फल नहीं हैं जो केवल निराशा फैलाने की तलाश करते हैं। न ही वे उन मृगतृष्णाओं से पैदा हुए हैं जो एक "क्लिक" के साथ या एक झपकी में ही खुशी देने का वादा करते हैं। बल्कि, आशीर्वचन, येसु के करुणामय हृदय से पैदा होती है, जो खुशी की जिंदगी की तलाश करने वाले पुरुषों और महिलाओं के दिलों से उनकी मुलाकात होती है। पुरुष और महिलाएँ जिन्होने दुःख-तकलीफों का अनुभव किया है। जिन्होंने अपना सपना साकार होना के बजाय टूटते देखा है। वे पुरुष और महिलाएँ जिन्हें संघर्ष भरे जीवन में धीरज के साथ आगे बढ़ना और फिर से जीवन की शुरुआत करना भी पता है।

                संत पापा ने चिली वासियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि चिली वासी कितने ही लोग संघर्ष भरे जीवन में आगे बढ़ना और नये तरीके से जीवन की शुरुआत करना जानते हैं। वे जीवन में बार बार गिरते हैं पर उससे उपर उठने का साहस भी रखते हैं। येसु आशीर्वचन में उसी जीवन के बारे में कहते हैं।

आशीर्वचन आलोचनात्मक रवैया या "सस्ते शब्द" का फल नहीं हैं, जो सोचते हैं कि वे सबकुछ जानते हैं पर खुद किसी चीज को स्वयं करने के लिए तैयार नहीं हैं। आशीर्वचन उस करुणाभरे दिल में पनपता है जो कभी भी अपनी आशा नहीं खोता।

येसु ने गरीब,दुःखी, पीड़ित, रोगी, दयालु लोगों को धन्य कहा है वे उस निष्क्रियता को निकालने को कहते हैं  जो उन लोगों को पंगु बना देता है वे अपने भाइयों और बहनों में ईश्वर के परिवर्तन की शक्ति पर विश्वास नहीं करते हैं, खासकर सबसे कमजोर और निर्वासित लोगों में। दूसरों से अलग रहने की भावना हमें एकाकीपन की ओर ढकेलती है हम अपने आस-पास की जिंदगी और दूसरों की पीड़ा को देखना या अनुभव करना नहीं चाहते हैं।

आशीर्वचन उन सभी लोगों के लिए नया दिन है जो भविष्य को देखते हैं, जो सपना देखना जारी रखते हैं, जो खुद को पवित्र आत्मा द्वारा प्रेरित होने के लिए छोड़ देते हैं। 

संत पापा ने कहा आज कितना अच्छा होता कि येसु चेर्रो रांका के पहाड़ या पुन्तिला में आकर हमसे एक-एक करके कहते कि तुम धन्य हो क्योंकि तुम चिली के भविश्य के लिए काम करते हो, स्वर्ग का राज्य तुम्हारा है। धन्य हो तुम जो मेल-मिलाप कराने के लिए काम करते हो तुम ईश्वर का पुत्र कहलाओगे। (मती 5,9)

संत पापा ने कहा, धन्य हैं वे जो शांति लाने के लिए काम करते हैं और इसके लिए जोखिम उठाने को भी तैयार हैं। संत पापा ने संत्यागो के महान धर्माध्यक्ष की बात को दोहराई जिसे उन्होंने ते देयुम में कहा था, “यदि तुम शाति चाहते हो तो न्याय के लिए काम करो... और यदि कोई हमसे हूछे कि“न्याय क्या है?” या न्याय की बात करना मतलब चोरी नहीं करना है, तो हम उनसे कहेंगे कि यह दूसरे तरह का न्याय है। न्याय वह है जो सभी पुरुष और महिला को सम्मान और बराबरी की दर्जा देता है।(कार्डिनल राउल सिल्वा हेंनरिग्वेज,   इन द इक्युमेनिकल ते देयुम, 18सितम्बर 1977 प्रवचन)।

 संत पापा ने कहा कि शांति की स्थापना करना एक प्रक्रिया है जो हमसे अजनबी को भी अपने पड़ोसी के समान देखने और उनसे रिशता बढ़ाने और देश का बेटा और बेटी के रूप में अपनाने की मांग करती है। संत पापा ने कहा, “आइये, हम अपने आप को कुवारी मरियम के सिपुर्द करें जो चेर्रो संत क्रिस्टोबाल से इस शहर की निगरानी करती हैं वे आशीर्वचन को जीने में हमें मदद करें जिससे पूरा शहर इस मधूर आवाज को सुन सके, “धन्य हो तुम जो मेल-मिलाप कराने के लिए काम करते हो तुम ईश्वर का पुत्र कहलाओगे।” (मती 5,9)








All the contents on this site are copyrighted ©.