2018-01-12 14:42:00

ख्रीस्तीय प्रार्थना साहस और विश्वास को जन्म देती है, संत पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, शुक्रवार 12 जनवरी 2018 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 12 जनवरी को वाटिकन के प्रेरितिक निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में पवित्र मिस्सा का अनुष्ठान किया। मिस्सा के दौरान उन्होंने आज के सुसमाचार पाठ पर चिंतन हेतु एक प्रश्न द्वारा प्रवचन शुरु किया, “सुसमाचार में जिन लोगों ने प्रभु से पाया उन्होंने प्रभु से किस तरह प्रार्थना की थी?”

विश्वास के साथ प्रार्थना

संत पापा ने कहा कि संत मारकुस के सुसमाचार से लिये गये कल के पाठ में कुष्ठ रोगी और आज के पाठ में लकवाग्रस्त रोगी दोनों ने प्रार्थना की, दोनों ने ही विश्वास के साथ प्रार्थना की। कोढ़ी ने तो हिम्मत के साथ येसु को चुनौती देते हुए कहा, "यदि आप चाहते हैं कि आप मुझे शुद्ध कर सकते हैं!" और येसु ने तत्काल जवाब दिया, "मैं चाहता हूँ।" और वह कोढ़ी चंगा हो गया।

 संत पापा ने कहा, "सुसमाचार सिखाता है कि  जो विश्वास करते हैं उन लोगों के लिए सब कुछ संभव है। "हमेशा, जब हम ईश्वर से कुछ मांगना चाहते हैं, तो हमें विश्वास के साथ शुरू करनी चाहिए और उस विश्वास में धीर बने रहना चाहिए। "मुझे विश्वास है कि आप मुझे ठीक कर सकते हैं, मेरा मानना ​​है कि आप ऐसा कर सकते हैं" और उसे कोढ़ी के समान उन्हें चुनौती देने का साहस करें तथा लकवाग्रस्त रोगी के समान विश्वास के साथ प्रार्थना करें।

तोते की तरह प्रार्थना नहीं करें

संत पापा ने कहा, आज का सुसमाचार हमें अपने आप से प्रश्न करने के लिए प्रेरित करता हैं कि हम किस तरह प्रार्थना करते हैं। अपनी प्रार्थना को हम "तोते" के समान करते हैं या प्रार्थना "इच्छा" के साथ करते हैं। क्या हम कठिनाई में अपने छोटे विश्वास को बढ़ाने के लिए प्रार्थना करते हैं? आज के सुसमाचार में लोगों ने देखा कि रोगी को येसु तक पहुँचना कठिन था इसलिये उन्होंने छत खोलकर लकवाग्रस्त रोगी को नीचे येसु के सामने उतारा जिससे येसु उन्हें चंगा करें। यदि हममें इच्छा है तो कठिनाईयाँ हमें रोक नहीं सकती।

संत पापा ने संत अगुस्टीन की माता संत मोनिका का उदाहरण देते हुए कहा कि संत मोनिका ने अपने बेटे के हृदय परिवर्तन के लिए कितने साल धीरज के साथ और कितने आँसु बहाये। अंत में ईश्वर ने उनकी सुनी। इसी तरह हमें भी साहस और धीरज के साथ प्रार्थना करना चाहिए।








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