2018-01-11 15:45:00

कोर्ट द्वारा हिंदू प्रार्थनाओं वाले केंद्रीय विद्यालयों का अध्ययन


नई दिल्ली, बृहस्पतिवार, 11 जनवरी 18 (ऊकान): भारत के सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक याचिका पर केंद्र सरकार का जवाब मांगा है। उसने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए, केंद्रीय विद्यालयों में सुबह होने वाली प्रार्थना क्या हिंदुत्व को बढ़ावा है? सवाल पर चार हफ्तों के भीतर जवाब तलब किया है।

देश भर के 1100 केंद्रीय विद्यालयों में सुबह होने वाली प्रार्थना को लेकर विवाद शुरु हो गया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में हिंदी-संस्कृत में होने वाली प्रार्थना को हिंदू धर्म को बढ़ावा देने वाली बताया गया है।

एक जनहित याचिका पर प्रतिक्रिया की मांग करते हुए, जो पूरे देश के केन्द्रीय विद्यालयों पर सुबह की सभा में "किसी भी प्रकार की प्रार्थना" को रोकना चाहते है, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा कि इस मुद्दे में एक संवैधानिक प्रश्न शामिल है और इसकी जांच की जरूरत है।

मध्यप्रदेश में सिधी से याचिकाकर्ता वीनायक शाह ने कहा कि 'श्लोक' और ऐसी प्रार्थनाओं द्वारा अनिवार्य रूप से ईश्वर का आह्वान, युवा मन में तर्क और वैज्ञानिक प्रकृति को बढ़ावा देने में बाधा उत्पन्न करता है। स्कूलों में धार्मिक मान्यताओं और ज्ञान को प्रचारित करने के बजाय वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ता ने कहा कि हिंदू धर्म में 'श्लोक' और सुबह की सभा में प्रार्थना का अनिवार्य पाठ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 28 (1), 19 (1) (ए) और 25 (1) के विपरीत है।

अनुच्छेद 28 (1) कहता है कि "किसी भी शैक्षिक संस्थान में जो पूरी तरह से राज्य निधि द्वारा संचालित है धार्मिक निर्देश न दिया जाए।" जबकि अनुच्छेद 19 (1)(ए) कहता है "सभी नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है।"

शाह ने तर्क दिया कि आम प्रार्थना संविधान के अनुच्छेद 28 के तहत एक "धार्मिक अनुदेश" है और इसे निषिद्ध होना चाहिए।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि संस्कृत के 'श्लोक' और हिंदी प्रार्थना का अनिवार्य पाठ अनुच्छेद 25 (1) का उल्लंघन है जो कहता है "सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, स्वास्थ्य और संविधान के इस भाग के अन्य प्रावधानों (मूलभूत अधिकारों की वर्तनी) के अधीन, सभी व्यक्ति अंतःकरण की स्वतंत्रता के हकदार हैं और धर्म की अभिव्यक्ति, पालन और प्रचार करने के लिए स्वतंत्र हैं।

याचिकाकर्ता ने "केन्द्रीय विद्यालय संगठन की संशोधित शिक्षा संहिता" के अनुच्छेद 92 को चुनौती दी थी जो भारत में केन्द्रीय विद्यालयों को नियंत्रित करता है।

इस याचिका में संविधान के अनुच्छेद 92 के तहत ‘रिवाइस्ड एजुकेशन कोड ऑफ केंद्र विद्यालय संगठन’ की वैधता को चुनौती दी गई है। इस अनुच्छेद में केंद्रीय विद्यालयों में होने वाली सुबह की प्रार्थना की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है। जिसमें कहा गया है कि “स्कूल में पढ़ाई की शुरुआत सुबह की प्रार्थना से होगी। सभी बच्चे, अध्यापक और प्रधानाचार्य इस प्रार्थना में हिस्सा लेंगे।”








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