2018-01-02 15:30:00

म्यानमार में 50 सालों बाद पहला सार्वजनिक क्रिसमस उत्सव


यांगून, मंगलवार, 2 जनवरी 2018 (मैटर्स इंडिया): म्यानमार के ख्रीस्तीय समुदायों ने 50 सालों बाद पहली बार यांगून की सड़कों पर सार्वजनिक रूप से ख्रीस्त जयन्ती का उत्सव मनाया।

एजेंसिया फिदेस की जानकारी अनुसार विगत सालों में ख्रीस्त जयन्ती का महोत्सव गिरजाघरों के अंदर ही मनाये जाने तक सीमित था किन्तु 23 से 25 दिसम्बर के बीच शहर में कई धर्मविधियाँ, उत्सव एवं शोभायात्रा का आयोजन किया गया। जिनके लिए यांगून के सरकारी अधिकारियों से आवश्यक अनुमति ली गयी थीं।

क्रिसमस काल के उत्सव का उद्घाटन 23 दिसम्बर को हॉली ट्रिनीटी के मेथोडिस्ट गिरजाघर में किया गया और इसका समापन 25 दिसम्बर को यांगून के संत मरियम, काथलिक महागिरजाघर में किया गया जिसमें म्यानमार के उप-राष्ट्रपति हेनरी वान थीयो भी शामिल हुए। यांगून के सहायक धर्माध्यक्ष जॉन सो याव हान ने ख्रीस्तीयों की खुशी को जाहिर किया तथा सभी नागरिकों को प्रोत्साहन दिया कि वे देश की शांति एवं समृद्धि को बढ़ाने के लिए यथासंभव सहयोग दें।

विशेष तरह का यह क्रिसमस उत्सव का आयोजन म्यानमार के प्रधानमंत्री फैयो मीन थाइन की अनुमति एवं यांगून के महापौर मग मग सोई के सहयोग से की गयी थी जिसको संत पापा फ्राँसिस की म्यानमार यात्रा के सम्मान तथा म्यान एवं विश्व में ख्रीस्तीयों के प्रति एकात्मता प्रदर्शित करने के रूप में देखा जा रहा है। 

फादर जॉर्ज मग मग के अनुसार ये क्रिया-कलाप म्यानमार में धार्मिक स्वतंत्रता में विकास के चिन्ह हैं। नाव निलार सान नामक ख्रीस्तीय महिला (बपतिस्त कलीसिया) ने कहा कि 50 सालों तक मैंने इस तरह के क्रिसमस उत्सव का अनुभव कभी नहीं किया था। कई ख्रीस्तीय संगीत कारों ने क्रिसमस गाने प्रस्तुत किये, ख्रीस्तीयों ने बिना किसी भेदभाव के यांगून के लोगों को भोजन और पेय परोसा तथा सभी को शांति की शुभकामनाएँ दीं।

काथलिक पुरोहित थेट टीन ने कहा, "यह वर्ष इतिहास में अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि ख्रीस्तीयों को सार्वजनिक रूप से शहर के अन्य लोगों के साथ ख्रीस्त जयन्ती का उत्सव मनाने की अनुमति मिली। शहर में महोत्सव का उद्देश्य नागरिकों के बीच सामाजिक सामंजस्य, अंतरधार्मिक समझ और आपस में दोस्ती को बढ़ावा देना था।

काथलिक लोकधर्मी टोय टोय ने कहा कि क्रिसमस का अर्थ ख्रीस्त के प्रेम को मनुष्यों के बीच प्रकट करना और बांटना है। फिदेस ने बतलाया कि थान्ट शोय नामक बौद्ध नागरिक ने इस त्योहार का आनन्द लिया एवं उसकी सराहना की। उन्होंने अपनी पत्नी के साथ इस उत्सव में भाग लिया था तथा इस बात को रेखांकित किया कि क्रिसमस एक ऐसा त्योहार है जो न केवल ख्रीस्तीयों  किन्तु सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है।








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