2018-01-01 15:30:00

संत पापा माता मरिया परमेश्वर की माँ के समारोही संध्या प्रार्थना सभा की अगुवाई की


वाटिकन सिटी, सोमवार 1 जनवरी 2018 (रेई): वर्ष 2017 के अंतिम दिन 31 दिसम्बर को संध्या 5 बजे संत पेत्रुस महागिरजाघर में संत पापा फ्राँसिस ने धन्यवाद प्रार्थना और संध्यावंदना प्रार्थना की अगुवाई की। प्रार्थना के दौरान उन्होंने सभी रोम के निवासियों का धन्यवाद दिया जो पवित्र शहर के रखरखाव और भले के लिए काम करते हैं।

"समय पूरा हो जाने पर ईश्वर ने अपने पुत्र को भेजा। वह एक नारी से उत्पन्न हुए।" (गला. 4:4)      

गलातियों को प्रेषित सन्त पौल के पत्र से इन शब्दों को उद्धृत कर सन्त पापा ने अपना प्रवचन आरम्भ किया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के अंतिम दिन में हम सभी संध्यावंदना प्रार्थना के लिए एकत्रित हुए हैं आज के दिन हम इस बात पर भी आत्मचिंतन करते हैं कि समय पूरा होने पर मनुष्यों के इतिहास में ईश्वर ने अपने पुत्र को इस दुनिया में भेजा। येसु ख्रीस्त के रुप में शब्द ने देह धारण किया।

‘वे एक नारी से उत्पन्न हुए’ ईश्वर की योजना में समय पूरा होने का पहला अनुभव सबसे पहले एक नारी को प्राप्त हुआ जिसके द्वारा उन्होंने जन्म लिया। वह नारी ‘थेओटोकोस’ ईश्वर का माता हैं। एक तरह से कहें तो, उसके माध्यम से, समय की पूर्णता प्रवाहित होती है: अपने विनम्र और विश्वास भरे दिल से उन्होंने अपने शरीर में पवित्र आत्मा द्वारा शब्द को धारण किया।

उनके द्वारा कलीसिया को उनकी पूर्णता की आंतरिक धारणा विरासत में मिली, जो कि लगातार, कृतज्ञता की भावना को पोषण करती है और यही ईश्वर के विशाल उपहार के प्रति एकमात्र मानवीय प्रतिक्रिया है। एक मार्मिक कृतज्ञता, जो  उस बच्चे से शुरू हुई जो कपड़ों में लिपटे और एक चरनी में रखे गये। वे हर किसी के लिए, पूरी मानवजाति के लिए  इस दुनिया में आये। यह एक "धन्यवाद" है जो अनुग्रह को दर्शाता है; वे हम मनुष्यों से नहीं आये, परन्तु ईश्वर से आये हैं और उन्होंने मुझे और हम सबों को अपने में शामिल किया है।

पवित्र आत्मा द्वारा निर्मित इस माहौल में, हम इस वर्ष में प्राप्त ईश्वर के सभी उपहारों के लिए धन्यवाद  देते हैं।  इस वर्ष 2017 में ईश्वर ने हम मनुष्यों को कई तरह के कष्टों, अत्यचारों, अन्यायों और संघर्षों से रक्षा की और हमें अच्छा स्वस्थ दिया है। ये युद्ध अहंकार और बेतुके गर्व का स्पष्ट संकेत है। लेकिन कुछ छोटे और बड़े अपराध हैं जो कई रूपों में मानव, सामाजिक और पर्यावरणीय क्षय का कारण बनते हैं। हमें ईश्वर के सामने हमारे भाइयों समाज और प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी को ग्रहण करना चाहिए।

संत पापा ने कहा, ″आज शाम येसु का अनुग्रह और उसका प्रतिबिंब मरियम में दृश्यमान है। रोम के धर्माध्यक्ष के रुप में मैं अपने हृदय में महसूस करता हूँ, इस शहर में खुले दिल से रहने वाले लोगों के बारे में सोच रहा हूँ जिनके बीच कृतज्ञता दृश्यमान है।

 

मैं उन लोगों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ जो प्रति दिन रोम के भले के लिए ठोस रुप से छोटे ही सही पर मूल्यवान योगदान देते हैं। वे अपना कर्तव्य बखूबी से पूरा करने की कोशिश करते हैं, वे ट्रैफ़िक में नियम और विवेक के साथ जाते हैं, सार्वजनिक स्थानों का सम्मान करते हैं और उन चीजों का रिपोर्ट अधिकारियों करते हैं जो असमान्य या गड़बड़ हैं। बुजुर्ग लोगों या कठिनाई में पड़े लोगों पर ध्यान देते हैं इत्यादि। इस प्रकार के और अनेक व्यवहारों द्वारा वे इस शहर के लिए अपने प्यार को ठोस रुप में व्यक्त करते हैं। रोजमर्रा की जिन्दगी में वे बिना ढिंढोरा पीटे चुपचाप सार्वजनिक भलाई के कार्यों को करते हैं।

मैं माता-पिता और सभी शिक्षकों को महान सम्मान देना चाहता हूँ जो बच्चों और युवा लोगों को एक नागरिक भावना, नैतिक जिम्मेदारी, समाज के प्रति उनकी उनकी भूमिका की शिक्षा देते और उनकी देखभाल करते हैं।

रोम में ऐसे लोग भी रहते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं हैं। फिर भी वे जिन्दगी से नाराज नहीं हैं और न ही अपना गुस्सा किसी पर निकालते हैं, लेकिन वे हर दिन अपनी जिंदगी को थोड़ा सुधारने और संवारने का प्रयास करते हैं।

प्रवचन के अंत में संत पापा ने सभी भक्त विश्वासियों को उन सभी कारीगरों के लिए ईश्वर को धन्यवाद देने हेतु आमंत्रित किया जो सबकी भलाई और अपने शहर को शब्दों से नहीं बल्कि कर्मों से प्यार करते है। 








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