2017-12-30 15:23:00

आधुनिक चुनौतियों का सामना करने के लिए रचनात्मक निष्ठा की आवश्यकता, संत पापा


वाटिकन सिटी, शनिवार, 30 दिसम्बर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 29 दिसम्बर को वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में इताली ईशशास्त्री एसोसिएशन के 100 सदस्यों से मुलाकात की तथा उनसे कहा कि ईशशास्त्रीय चिंतन के लिए रचनात्मक निष्ठा, सहभागिता एवं विश्वास की आँख की आवश्यकता है ताकि मानव द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों का मुकाबला किया जा सके।   

संत पापा ने इताली ईशशास्त्री एसोसिएशन (एटीआई) से कहा कि विश्व को ऐसे ईशशास्त्र की आवश्यकता है जो ख्रीस्तीयों को "करुणावान ईश्वर के मुक्तिदायी चेहरे" की घोषणा करने में मदद कर सके।"

इताली ईशशास्त्री एसोसिएशन के साथ संत पापा की मुलाकात ख्रीस्त जयन्ती अठवारे के दौरान हुई जिन्होंने कहा कि यह हर ख्रीस्तीय के लिए ईशशास्त्रीय चिंतन का आधार बने। उन्होंने कहा, "इन दिनों हम ईश्वर के रहस्य के आनन्दमय चिंतन में तल्लीन हैं जिन्होंने हमारी गरीब मानवता के साथ अपने आपको शामिल एवं समझौता कर लिया कि उन्होंने हमारे कमजोर अस्तित्व को अपने पास लेने के लिए अपने पुत्र को भेज दिया, जिसकी शुरूआती बिन्दु है शरीरधारण।"   

संत पापा ने कहा कि ईशशास्त्र दिव्य प्रेम के जीवित झरने से कभी समाप्त नहीं होगा जिन्होंने अपने को स्पर्श करने, देखने एवं बेतलेहेम की चरनी में पड़कर आभास करने दिया।

संत पापा ने ईशशास्त्रीयों को इटली की कलीसिया के केंद्र में अनुसंधान करने के लिए धन्यवाद दिया जो अपनी स्थापना की 50वीं वर्षगाँठ मना रही है।

उन्होंने उन्हें निमंत्रण दिया कि वे अपने चिंतन में रचनात्मक निष्ठा रखें चूँकि इसकी स्थापना वाटिकन द्वितीय महासभा को समर्पित सेवा एवं एकता की भावना से की गयी है। उन्होंने कहा, "मैं आग्रह करता हूँ कि आप विश्वस्त बने रहें तथा महासभा के प्रति ईशशास्त्रीय प्रयासों से जुड़े रहें।" संत पापा ने कहा कि एसोसिएशन के "धर्मशास्त्र को एक साथ... करने का प्रयास पहले से ही सत्य का एक अनिवार्य तत्व व्यक्त करता है, जिनकी सेवा में ईशशास्त्र को रखा गया है।

उन्होंने कहा कि ईशशास्त्रीय खोज निश्चय ही व्यक्तिगत है किन्तु उन व्यक्तियों के द्वारा किया जाता है जो ईशशास्त्रीय समुदाय में प्रवेश कर चुके हैं।

संत पापा ने विश्वास की आँख के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक विश्वासी होने के लिए ईशशास्त्रीय प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है बल्कि विश्वास की यथार्थता का एहसास होना जरूरी है जो समस्त ईश प्रजा से संबद्ध है। यही विश्वास की आँख है। यह वही पवित्र एवं ईश्वर की निष्ठावान प्रजा का विश्वास है जिसमें हर ईशशास्त्री को तल्लीन होना है, जिसके द्वारा वे समर्थित, हस्तांतरित एवं स्वीकृत किये जाते हैं।

संत पापा ने ईशशास्त्रीयों की चुनौतियों पर गौर करते हुए कहा कि वे आर्थिक संकट, मानव डीएनए के आनुवंशिक संशोधन, सामाजिक असमानता, भारी विस्थापन एवं सैद्धांतिक और व्यावहारिक सापेक्षवाद की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इन आधुनिक सच्चाईयों का सामना करने के लिए ईशशास्त्र की आवश्यकता है जिसको उन ख्रीस्तीयों के द्वारा किया जाना चाहिए जो न केवल अपने बीच बोलना चाहते हैं बल्कि जो विभिन्न कलीसियाओं की सेवा करने के अपने कर्तव्य के प्रति सचेत हैं। इताली ईशशास्त्रीय एसोसिएशन इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए जिम्मेदार है। 








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