2017-12-28 16:13:00

एक नये ख्रीस्तीय के लिए ख्रीस्त जयन्ती कृपाओं का अवसर


ढाका, बृहस्पतिवार, 28 दिसम्बर 17 (एशियान्यूज़): "मैं सोचता हूँ कि येसु ख्रीस्त का जन्म इस लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे इस धरा पर एक मानव बनकर मानवजाति को बचाने आये। मैं अपने हृदय में येसु का स्वागत करता हूँ। ख्रीस्त जयन्ती के इस काल में मैं शांति एवं आशीष प्राप्त करता हूँ।" उक्त बात पीटर हसन (काल्पनिक नाम) ने एशियान्यूज़ से कही। 

पीटर जो पहले एक मुस्लिम था दो वर्षों पूर्व ख्रीस्तीय धर्म स्वीकार किया है। उन्होंने एशियान्यूज़ को ख्रीस्तीय धर्म स्वीकार करने के परिणाम को बतलाते हुए कहा कि उनके परिवार के सदस्यों ने उन्हें अस्वीकार किया और वे उन्हें मार देना चाहते थे, फिर भी वे इससे डरे नहीं क्योंकि परिवार का समर्थन नहीं मिलने के बावजूद उन्हें कई नये मित्रों का सहयोग मिला।    

वे इस समय ढाका में अपनी काथलिक पत्नी के साथ रह रहे हैं जिनसे उनकी मुलाकात बपतिस्मा लेने के बाद हुई थी। वे माता मरियम के भी बड़े भक्त हैं तथा हर शाम को अपनी पत्नी के साथ रोजरी माला विन्ती करते हैं। 

क्रिसमस के अवसर पर उन्होंने नये कपड़े पहने, घर की सफाई की तथा येसु के जन्म हेतु अपने आप को प्रार्थना द्वारा आध्यात्मिक रूप से तैयार किया।

पीटर ने अन्य ख्रीस्तीयों से मिलकर भक्ति गीतों एवं ख्रीस्त जयन्ती के भजनों को सीख लिया है। वे हर रविवार को गिरजा जाते हैं, ख्रीस्तीय मित्रों से मुलाकात करते एवं पड़ोसियों के घरों का भी दौरा करते हैं।

उन्होंने बतलाया कि उनकी पत्नी कुछ सालों पहले बिलकुल अलग थी। चीजों में परिवर्तन तब आया जब उन्होंने पुस्तकालय में एक बाईबिल पाया तथा उसे पढ़ना शुरू किया। पढ़ते हुए उन्होंने संत योहन रचित सुसमाचार के 14वें अध्याय के 6 पद को पढ़ा जिसमें लिखा है, "मार्ग, सत्य और जीवन मैं हूँ। मुझ से होकर गये बिना कोई पिता के पास नहीं आ सकता।" (यो. 14:6).

उन्होंने कहा, "येसु ख्रीस्त के जीवन, उनकी शिक्षा एवं संदेश ने मेरे हृदय को छू लिया। उसी समय से मैं ख्रीस्तीयों की खोज करने लगा। उससे पहले मैंने किसी ख्रीस्तीय को नहीं देखा था।

आखिरकार, एक दिन मैं दिनाजपुर काथलिक गिरजाघर गया। वहाँ मेरी मुलाकात एक युवक से हुई जो मेरा मित्र बन गया। इसके बाद मैं गिरजा जाने लगा। तब एक दिन मैंने एक पुरोहित को बतलाया कि मैं एक ख्रीस्तीय बनना चाहता हूँ।"

पीटर ने बतलाया कि बपतिस्मा के बाद उनके परिवार वालों ने उन्हें अस्वीकार कर दिया एवं उसके इस निर्णय का विरोध किया। वे अब अपने भाई बहनों एवं रिश्तदारों से मुलाकात नहीं कर सकते। उन्हें अपने पिता के पैतृक सम्पति से भी वंचित होना पड़ा क्योंकि उन्हें डर है कि यदि वे घर जायेंगे तो धर्म-परिवर्तन के कारण उन्हें जान से मार दिया जाएगा। 

उन्होंने कहा, "इन सबके बावजूद मैं खुश हूँ क्योंकि येसु ख्रीस्त ने मेरा जीवन बदल दिया है। पहले मैं ईसाइयों एवं हिन्दूओं से घृणा करता था। मैं सोचता था कि वे मेरे धर्म के विरोधी हैं किन्तु येसु के द्वारा मैं समझ गया कि मैं गलत सोच में था। ख्रीस्त प्रेम, क्षमाशीलता एवं दया के अगाध स्रोत हैं।"








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