2017-12-21 16:26:00

ख्रीस्तीय उदास नहीं किन्तु सदा प्रसन्नचित्त


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 21 दिसम्बर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने आनंदित होने का निमंत्रण देते हुए कहा कि निराशा का जीवन एक ख्रीस्तीय जीवन नहीं है।

वाटिकन के प्रेरितिक आवास संत मर्था में 21 दिसम्बर को ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा ने प्रवचन में कहा कि सच्चा आनन्द पापों की क्षमा एवं प्रभु के नजदीक जाने से आता है।

संत पापा ने संत लूकस रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ आनन्द मने की बात कही गयी है। आनन्द जो अंदर से आती है न कि उत्सव से।

संत पापा ने प्रवचन में आनन्द के तीन आयामों पर प्रकाश डाला। पहला, आनन्द जो क्षमाशीलता से आता है। ईश्वर ने हमारे दण्ड को रद्द कर दिया है। अतः संत पापा हमें निमंत्रण देते हैं कि हम आनन्द मनायें। हम नीरस जीवन व्यतीत न करें क्योंकि हम जानते हैं कि हम क्षमा किये गये हैं। संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय आनन्द का एक मूल है। हम उस कैदी के आनन्द की कल्पना करें जिसके दण्ड माफ कर दिये गये हैं अथवा उस बीमार व्यक्ति की जिसे चंगाई मिल गया हो। अतः यह आवश्यक है कि हम प्रभु द्वारा प्रदान की गयी मुक्ति का स्मरण करें। 

संत पापा ने एक दर्शनशास्त्री की याद की जो ख्रीस्तीयों की आलोचना की थी क्योंकि वह एक नास्तिक था। उसने कहा था कि जो ख्रीस्तीय हैं उनके एक मुक्तिदाता हैं। मैं इस पर तभी विश्वास करूँगा जब उनके चेहरे पर मुक्ति का प्रतिबिम्ब देख लूँगा, मुक्त किये जाने के आनन्द का प्रतिबिम्ब। यदि तुम्हारा चेहरा शोक से भरा हुआ प्रतीत हो तो किस तरह विश्वास किया जा सकता है कि आप मुक्त किये गये हैं और आप के पाप क्षमा हो गये हैं। संत पापा ने कहा कि हम सभी क्षमा किये गये हैं।

उन्होंने कहा, "हमारे ईश्वर क्षमाशीलता के ईश्वर हैं अतः हम उनकी क्षमाशीलता को ग्रहण करें तथा आनन्द के साथ आगे बढ़ें क्योंकि वे हमें हमारी कमजोरियों से भी ऊपर उठायेंगे।

आनन्द हेतु दूसरा निमंत्रण है इस लिए हैं क्योंकि प्रभु हमारे साथ चलते हैं। जब से उन्होंने अब्रहाम को बुलाया वे हमारे साथ हैं हमारी कठिनाईयों, चुनौतियों, आनन्द और हर परिस्थिति में। अतः संत पापा ने सलाह दी कि हम दिन में प्रभु से जरूर बात चीत करें जो हमारे साथ हमारे जीवन में रहते हैं।

आनन्द का तीसरा आयाम है, अपने को दुर्भाग्य की बाहों में पड़ने दें। संत पापा ने कहा कि निराशावाद एक ख्रीस्तीय का जीवन नहीं है। हमारे लिए आनन्द ईश्वर की क्षमाशीलता एवं स्नेह से आता है। उस आनन्द से कुँवारी मरियम उठी तथा शीघ्रता से आगे बढ़ी। क्योंकि पवित्र आत्मा की कृपा सुस्ती पन को नहीं जानती। पवित्र आत्मा तत्काल कार्य करता है हमें निरंतर प्रेरित करता कि हम आगे बढ़ें।

संत पापा ने कहा कि मरियम के साथ मुलाकात के इसी आनन्द से एलिजाबेथ की कोख में बालक उछल पड़ा था। उन्होंने स्मरण दिलाया कि यही आनन्द है जिसके बारे कलीसिया हमें बतलाती है अतः हम प्रसन्नचित ख्रीस्तीय हैं। हम यह दिखाने का प्रयास करें कि हमने मुक्ति प्राप्त की है प्रभु ने हमें क्षमा कर दिया है क्योंकि वे क्षमाशील प्रभु हैं वे हमारे बीच हैं और वे हमें गिरने नहीं देंगे। यही आज का संदेश है। येसु ने बीमार को उठाया हम भी उठे, आनन्द मनायें अपने हृदय में खुशी से भय जाएँ।








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