2017-12-21 16:04:00

इंगलैंड एवं वेल्स के धर्माध्यक्षों ने येरूसालेम मामले पर काररवाई की अपील की


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 21 दिसम्बर 17 (वाटिकन न्यूज़): इंगलैंड एवं वेल्स के धर्माध्यक्षों ने एक खुला पत्र प्रेषित कर अमरीका के राष्ट्रपति द्वारा येरूसालेम को इस्राएल की राजधानी के रूप में विवादास्पद मान्यता देने के प्रति गहरी चिंता व्यक्त की है तथा विश्व के धार्मिक एवं राजनीतिक नेताओं से अपील की है कि धार्मिक स्वतंत्रता एवं मध्य पूर्व में ख्रीस्तीयों के अधिकारों की रक्षा हेतु खड़े होने में उनका साथ दें।

धर्माध्यक्षों ने येरूसालेम की स्थानीय कलीसियाओं तथा मध्यपूर्व के सभी ख्रीस्तीयों के प्रति सहानुभूति प्रकट की है। वेस्ट मिनिस्टर के महाधर्माध्यक्ष द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में उन्होंने कहा है कि वे अपने को उन लोगों की गिनती में रखते हैं जो येरूसालेम से प्रेम करते हैं तथा उसे शांति, जीवन एवं सभी निवासियों के लिए प्रतिष्ठा की भूमि और शहर बनाने हेतु काम करने की तीव्र अभिलाषा रखते हैं।"

उन्होंने पत्र में इस बात की ओर ध्यान आकृष्ट किया है कि वे प्रधिधर्माध्यक्ष एवं येरूसालेम में स्थानीय कलीसियाओं के धर्मगुरूओं के साथ एक हैं जिन्होंने राष्ट्रपति ट्रम्प को यह प्रत्युत्तर दिया है कि इस शहर के निवासी तीन धर्मों एवं दो प्रकार के लोग हैं।

इंगलैंड एवं वेल्स के धर्माध्यक्षों ने इस बात को स्पष्ट किया है कि वे येरूसालेम के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प के निर्णय तथा वह स्थिति जो फिलीस्तीनियों के साथ इस्राएलियों के संघर्ष का माध्यम बनती है उसका वे विरोध करते हैं।

कार्डिनल विन्सेंट निकोलास की ओर से लिखे पत्र में शंका व्यक्त की गयी है कि उस निर्णय एवं उसके परिणामों द्वारा शहर एवं पूरे प्रांत में तनाव को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा है कि समझौते के सम्मान एवं विभिन्न समुदायों की रक्षा की आवश्यकता है।

कार्डिनल निकोलस ने विश्व के धार्मिक एवं राजनीतिक नेताओं से अपील की है कि वे एकजुट होकर धार्मिक स्वतंत्रता के भय के विरूद्ध आवाज उठायें।

उन्होंने येरूसालेम के अधिकारियों से भी अपील की है कि वे कट्टरपंथी समूहों की कार्रवाई को रोकें जो येरूसालेम की सम्पति पर अपना नियंत्रण बढ़ाना चाहते हैं। अंततः उन्होंने सभी ख्रीस्तीयों से अपील की है कि जब हम प्रभु के जन्म दिवस के महोत्सव के करीब पहुँच चुके हैं, मैं सभी ख्रीस्तीयों एवं भली इच्छा रखने वालों से अपील करता हूँ कि वे उस संघर्ष को अनदेखा न करें जिसको प्रभु के शिष्य उनकी जन्म भूमि पर झेल रहे हैं।  








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