2017-12-14 16:38:00

हिंसा के कारण एक महीने में कम से कम 6,700 रोहिंग्याई लोग मारे गए


ढाका, बृहस्पतिवार, 14 दिसम्बर 17 (रेई): एम. एस. एफ (मेडिकल मानवीय सहायता संगठन, सीमा रहित डॉक्टर्स) द्वारा एक सर्वेक्षण से पता चला है कि 25 अगस्त से 24 सितम्बर 2017 के बीच कम से कम 6,700 रोहिंग्याई लोगों की मृत्यु म्यानमार में हुई है जिनमें पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या 730 है।  

पुष्टिकृत 9,000 मौतों में 71.1 प्रतिशत मृत्यु का कारण हिंसा से जुड़ा है। सिर्फ एक महीना में, 6,700 रोहिंग्या लोगों ने आग्नेय शस्त्रों में अपना जीवन गंवा दिया है। उन्हें या तो अपने घरों में जिंदा जला दिया गया अथवा बुरी तरह पीटा गया था अथवा सुरंगों में विस्फोट होने के कारण उनकी मृत्यु हो गयी।

यह आंकड़ा दिखलाता है कि रोहिंग्याई लोग हिंसा की भावना के शिकार हुए हैं जिसकी शुरूआत 25 अगस्त को हुई जब म्यानमार पुलिस और सेना, साथ ही साथ, स्थानीय सैन्य दलों ने रोहिंग्याई राज्यों में निष्कासन अभियान जारी किया। तब से 6,47,000 रोहिंग्याई लोगों ने म्यानमार से बंगलादेश की ओर पलायन किया है और जहाँ वे शिविरों में दयनीय स्थिति में रह रहे हैं।

एमएसएफ मेडिकल डॉक्टर सिडनी वॉन्ग ने कहा, ″हमने म्यानमार में हिंसा से बचे लोगों से मुलाकात की तथा जो पाया वह चिंताजनक है। उन लोगों की संख्या जिन्होंने हिंसा के कारण अपने परिवार वालों को खो दिया है वह सचमुच अधिक है। मौत की घटनाएं चरम पर तब आयीं जब अगस्त के आखिरी सप्ताह में म्यांमार सुरक्षा बलों द्वारा अभियान जारी किया गया।"  

एमएसएफ द्वारा एकत्रित आंकड़े, नवंबर की शुरुआत में, म्यांमार की सीमा के निकट बांग्लादेश के कॉक्स बाजार के विभिन्न क्षेत्रों में रोहिन्याई शरणार्थी शिविरों में जाँच का परिणाम हैं। जहाँ 608,108 लोगों की जाँच की गयी थी जिसमें 5,03,698 लोग म्यानमार से 25 अगस्त के बाद पलायन किये हैं।

डॉक्टर सिडनी ने कहा कि मौतों की कुल संख्या शायद कम करके आंका गया है क्योंकि एमएसएफ ने बांग्लादेश के सभी शरणार्थी शिविरों में जांच नहीं की, साथ ही साथ, म्यांमार में रोहिंग्या लोगों  का साक्षात्कार करने में भी वे असफल रहे। उदाहरण के लिए कई लोगों के पूरे परिवार जला दिये गये हैं। डॉक्टर ने कहा कि रोहिंग्याई लोगों की वापसी हेतु म्यानमार एवं बंगलादेश की सरकारों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर समय के पूर्व हुआ है। रोहिंग्या लोगों को म्यानमार भेजने हेतु अभी दबाव नहीं डाला जा सकता। म्यानमार में पुनः प्रवेश के पूर्व उनकी सुरक्षा एवं अधिकार सुनिश्चित की जानी चाहिए।   








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