2017-12-13 15:17:00

लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई समृद्धि एवं विविधता के संरक्षण हेतु संत पापा का आग्रह


वाटिकन सिटी, बुधवार 13 दिसम्बर 2017 (वीआर,रेई) : ईश्वर की मां कलीसिया की एक आकृति है जिससे हम एक कलीसिया बनना सीखते हैं जो लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई लोगों के समृद्धि और सांस्कृतिक विविधता को ग्रहण करती हैं, जहां कोई भी शर्मिंदा या छोटा महसूस नहीं करता। ये बातें संत पापा ने मंगलवार के संत पेत्रुस महागिरजाघर में गुवादालूपे की माता मरियम के समारोह के दौरान प्रवचन में कही। गुवादालूपे की माता मरियम की प्रतिमा का तीर्थालय मेक्सिको शहर में है पर ये पूरे विश्व में विशेषकर लैटिन अमेरिका के ख्रीस्तीयों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं।  

एलिजाबेद का बांझपन

संत पापा ने सुसमाचार के उस पाठ पर चिंतन किया जहाँ मरियम दूत के संवाद के बाद अपनी कुटुम्बिनी एलिजबेद से मुलाकात करने जाती हैं। एलिजाबेद का बांझपन समाज के सामने एक कलंक था वह जीवन से निराश थी और उसकी इस स्थिति के लिए वह खुद या अपने पति के पापों की सजा के रूप में मानती थी।

संत पापा ने कहा कि मेक्सिको के आदिवासी जोन डियेगो जिसे गुवादालूपे का माता मरियम ने 1531 में दर्शन दिया था, उसने भी ऐसा ही अनुभव किया था। अफ्रो-अमेरिका के समुदाय और आदिवासी लोग एसा ही अनुभव करते थे। अक्सर उन्हें कोई सम्मान नहीं मिलता था और वे एक साथ खेल मैदान में खेल नहीं सकते थे। कई महिलाओं को लिंग भेद, जाति या आर्थिक स्थिति के कारणों से उन्हें बहिष्कृत किया जाता था। युवाओं को अच्छी शिक्षा नहीं मिलने की वजह से उन्हें कोई नौकरी नहीं मिलती। भूख और गरीबी के कारण कई छोटी लड़कियों और बच्चों को बाल वेश्यावृत्ति का सामना करना पड़ता है, जो अक्सर सेक्स पर्यटन से जुड़ा होता है।

एलिजबेद का माँ बनना

संत पापा ने कहा कि जब हम एलिजाबेद के माँ बनने पर विचार करते हैं तो पाते हैं कि ईश्वर ने उसके बाँझपन को समाप्त कर दिया। एलिजाबेद का कलंक मिट गया था उसकी शर्मिंदगी खुशी में बदल गई थी। उसके द्वारा ईश्वर ने खुशी और आनंद को प्रवाहित किया। "उसी प्रकार जुआन डिएगो की चादर में एक ग्वाडालुपे के श्याम रंग वाली कुवांरी मरियम की छवि अंकित थी, यह दिखाने के लिए कि माँ अपने बच्चों के समान बनने में सक्षम है, ताकि वे उसके आशीर्वाद को महसूस कर सकें।

लैटिन अमेरिका और कैरिबियन की समृद्धि और विभिन्नताएँ

संत पापा ने कहा कि पुत्रवती और बाँझपन लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई लोगों की समृद्धि और सांस्कृतिक विविधता पर हमारा ध्यान खींचती है हमें बच्चों को इस दुनिया में लाने के लिए प्रोत्साहन देनी चाहिए साथ ही एकरुपता के किसी भी प्रयास का हिम्मत से बचाव किया जाना चाहिए जो बांझपन में समाप्त होने वाले सोच,  भावना और जीवन जीने के तरीके को लागू करता है। संत पापा ने कहा कि "बच्चे जन्म देने की क्षमता" विचारधारात्मक उपनिवेशवाद से बचाव करने के लिए कहती है जो कि उनकी सबसे बड़ी समृद्धि है, चाहे वे आदिवासी, एफ्रो-अमरीकी, मिश्रित जाति, किसान या उपनगरों में रहने वाले लोग हों।

प्रवचन के अंत में संत पापा ने सभी विश्वासियों से एलिजबेद के उस भजन को बार बार गाने और दोहराने के लिए प्ररित किया, ″आप नारियों में धन्य हैं और धन्य है तेरे गर्भ का फल येसु।″  








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