2017-12-13 12:55:00

रविवार को पवित्र यूखरिस्त में क्यों जाते हैं?


वाटिकन सिटी, बुधवार, 13 दिसम्बर 2017 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर पौल षष्ठम सभागार में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को “पवित्र यूखरिस्त” पर अपनी धर्मशिक्षा माला को आगे बढ़ाते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात।

पवित्र यूखरिस्त पर धर्मशिक्षा माला को आगे बढ़ाते हुए, हम अपने आप से पूछ सकते हैं: "रविवार को पवित्र यूखरिस्त में क्यों जाते हैं?" संत पापा ने कहा कि रविवार का यूखरिस्त समारोह कलीसिया के जीवन का केंद्रविन्दु है। हम ख्रीस्तीय रविवार को पवित्र यूखरिस्त में पुनर्जीवित ख्रीस्त से मुलाकात करने जाते हैं बल्कि उनके द्वारा मुलाकात किये जाने, उनकी वाणी सुनने, उनकी मेज से तृप्त होने और इस तरह हम कलीसिया का निर्माण हैं, आज के विश्व में उनके रहस्यात्मक शरीर का निर्माण। 

येसु के शिष्यों ने इसे शुरू से ही समझा, जिन्होंने सप्ताह के प्रथम दिन प्रभु के साथ यूखरिस्तीय मुलाकात मनाया। यहूदियों के लिए यह सप्ताह का प्रथम दिन था एवं रोमियों के लिए सूर्या का दिन क्योंकि येसु उसी दिन मृतकों में से जी उठे थे तथा चेलों को दिखाई दिये, वे उनसे बातें कीं, उनके साथ खाये एवं उन्हें पवित्र आत्मा प्रदान किया। (मती. 28: 1) येसु के पुनरूत्थान के पचास दिनों बाद रविवार के ही दिन पेंतेकोस्त के समय पवित्र आत्मा प्रेरितों पर उतरा।

इन कारणों से रविवार हमारे लिए एक पवित्र दिन है जो पवित्र यूखरिस्तीय समारोह द्वारा पवित्र किया गया है जहाँ प्रभु का हमारे बीच जीवित उपस्थिति है। यह ख्रीस्तयाग ही है जो ख्रीस्तीय रविवार का निर्माण करता है। एक ख्रीस्तीय के लिए रविवार का क्या महत्व, यदि वह प्रभु से मुलाकात नहीं करता? 

कुछ ऐसे ख्रीस्तीय समुदाय हैं जो दुर्भाग्य से हर रविवार पवित्र यूखरिस्त में भाग नहीं ले सकते हैं फिर भी, इस पवित्र दिन में वे प्रभु के नाम पर प्रार्थना हेतु एक साथ बुलाये जाते हैं ईश वचन को सुनने तथा यूखरिस्त की चाह को बनाये रखने के लिए।

संत पापा ने खेद प्रकट करते हुए कहा, "कुछ धर्मनिरपेक्ष समाजों ने पवित्र यूखरिस्त के लिए रविवार के ख्रीस्तीय अर्थ को भूला दिया है। इस पृष्ट भूमि पर यह आवश्यक है कि वहाँ जागरूकता लायी जाए ताकि पर्व के अर्थ, आनन्द, पल्ली समुदाय, एकात्मता, आत्मा के सुख को दुरुस्त किया जा सके। इन सभी मूल्यों का आधार है रविवारीय यूखरिस्त। यही कारण है कि द्वितीय वाटिकन महासभा ने इस बात पर जोर देने का प्रयास किया है कि "रविवार एक मौलिक त्योहार है जिसे प्रस्तुत किये जाने एवं विश्वासियों के धार्मिक अभ्यास का हिस्सा बनाने की जरूरत। इस प्रकार यह एक आनन्द और काम से विश्राम का दिन बन जाता है।

संत पापा ने रविवार को काम से परहेज पर प्रकाश डालते हुए कहा, "रविवार को काम से परहेज पहली शताब्दी में नहीं था। यह ख्रीस्तीयों की देन है। बाईबिल परम्परा के अनुसार यहूदियों का विश्राम दिवस शनिवार को पड़ता था, जबकि रोमी समाज में सप्ताह के किसी दिन श्रम से परहेज नहीं था। यह ख्रीस्तीय मनोभाव है कि हम दासों की तरह नहीं किन्तु पुत्र की तरह जीयें। यह यूखरिस्त से ही प्रेरित है कि रविवार को विश्व स्तर पर विश्राम दिवस बनाया जाए।

संत पापा ने कहा ख्रीस्त के बिना हम दैनिक जीवन में काम के बोझ, चिंता तथा भविष्य के भय से दबने के अभियुक्त हैं। रविवार को प्रभु के साथ मुलाकात, हमें वर्तमान को भरोसे और साहस के साथ जीने तथा भविष्य की ओर आशा से बढ़ने की शक्ति प्रदान करता है।

येसु जो पुनर्जीवित है और अनन्त में जीते हैं उनके साथ यूखरीस्तीय एकता उस रविवार की ओर अग्रसर करती है जिसमें कभी सूर्यास्त नहीं होता। जहाँ न तो थकान है, न दुःख, न पीड़ा और न ही आँसू किन्तु प्रभु के साथ हमेशा के लिए पूर्णता से जीने का आनन्द है। रविवार हमें यह भी सिखलाता है कि हम सप्ताह के बीच में अपने आपको पिता ईश्वर के हाथों समर्पित कर दें।

संत पापा ने रविवार को यूखरिस्त में भाग लेने की आवश्यकता महसूस नहीं करने वालों से कहा, "हम उन लोगों को क्या उत्तर दें जो ख्रीस्तयाग में भाग लेना आवश्यक नहीं मानते, इतना तक कि रविवार को भी? यह कहते हुए कि अच्छी तरह जीना एवं एक-दूसरे को प्यार करना ही महत्वपूर्ण है। यह सच है कि ख्रीस्तीय जीवन की गुणवत्ता प्रेम करने की क्षमता द्वारा मापी जाती है, जैसा कि येसु कहते हैं, "यदि तुम एक-दूसरे से प्रेम करोगे तो उसी से सब लोग जान जायेंगे कि तुम मेरे शिष्य हो।" (यो. 13:35)  किन्तु हम सुसमाचार के इस वचन का पालन किस तरह कर सकते हैं यदि आवश्यक ऊर्जा ग्रहण नहीं करते। हर रविवारीय यूखरिस्त एक अक्षय स्रोत है। हम ईश्वर को कुछ देने के लिए नहीं किन्तु उनसे उन चीजों को प्राप्त करने के लिए यूखरिस्त में जाते हैं जो हमारे लिए आवश्यक है। इसकी याद कलीसिया की प्रार्थना कराती है, "तुझे हमारी प्रशंसा की आवश्यकता नहीं किन्तु तेरे प्रेम के उपहार स्वरूप हमें धन्यवाद देने के लिए निमंत्रित कर। हमारी प्रशंसा की प्रार्थना तेरी महानता को नहीं बढ़ाती किन्तु हमारे लिए कृपा को बढ़ा देती है जो हमारी रक्षा करता।"    

अंततः, हमें रविवार को क्यों ख्रीस्तयाग में जाना है? संत पापा ने कहा कि इसके लिए यह उत्तर काफी नहीं है कि यह कलीसिया का नियम है और यह इसके मूल्यों को बनाये रखने में मदद देता है। हम ख्रीस्तीयों को रविवार को यूखरिस्त में इसलिए सहभागी होना है क्योंकि केवल येसु की कृपा से, हममें उनकी जीवित उपस्थिति से, हम उनकी आज्ञाओं का पालन कर सकते हैं और इस तरह उनके विश्वस्त साक्षी बन सकते हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्राँसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और विश्व के विभिन्न देशों से आये सभी तीर्थयात्रियों और विश्वासियों का अभिवादन किया तथा आगमन काल की शुभकामनाएँ देते हुए सबों पर ईश्वर के प्रेम और खुशी की कामना की और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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