2017-12-12 16:48:00

युद्ध और बंदूक नहीं बल्कि क्षमाशीलता ही शांति ला सकती है, फा. टॉम


मुम्बई, मंगलवार, 12 दिसम्बर 2017 (रेई): प्रार्थना एवं क्षमाशीलता ही लोगों को शांति की ओर ले सकती है न कि युद्ध, बंदूकें और गोलियां। यह बात काथलिक फादर टॉम उजहून्नलिल ने कही जिनका अपहरण यमन में कथित आतंकवादियों द्वारा हो गया था और जिन्हें 18 महीनों बाद रिहा किया गया था।   

फादर ने 10 दिसम्बर को उका समाचार से कहा कि आतंकवादियों की सृष्टि समुदाय द्वारा हुई है और यदि समुदायों को माफ किया जाए, तो शांति आ जाएगी।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता का अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति जो चाहें सो करे। इसका अर्थ है सही काम को, उपयुक्त समय में एवं ठीक स्थान पर किया जाना।  "प्रेम, क्षमा एवं प्रार्थना करने की स्वतंत्रता हमें सच्ची शांति की ओर ले चलेगी। युद्ध, गोली, रॉकेट अथवा बंदुक नहीं बल्कि प्रार्थना हमारा सबसे बड़ा हथियार है। हमारे राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी ने स्वतंत्रता को गोलियों से नहीं किन्तु सत्याग्रह एवं प्रार्थना द्वारा हासिल की।"

केरल के फादर टोम का अपहरण मार्च 2016 को, आई एस आई एस द्वारा मिशनरीस ऑफ चारिटी संचालित आश्रम पर जानलेवा हमला के दौरान हुआ था। उन्हें साल 2017 के सितम्बर माह में बचाया गया।

फादर ने बतलाया कि कैद के दौरान उन्हें डर का अनुभव नहीं हुआ था। उन्होंने कहा, "यदि हम अपने आपको ईश्वर की इच्छा को समर्पित कर देते हैं तब वे हमें समझ और मन की शांति की कृपा प्रदान करते हैं जिसके कारण हम अंदर से शांत बने रहते हैं और बाकी चीजें अपने आप चलती रहती हैं। मुझे कभी भी कोई भयानक सपने, भय, सिहरन, पसीना या उस तरह की असहज स्थित का सामना नहीं करना पड़ा।

फादर टोम उजहून्नलिल को मिशनरीस ऑफ चैरिटी आश्रम में, उनके असाधारण सेवा के लिए मदर तेरेसा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

उन्होंने कहा कि इस समय की मांग है एक-दूसरे को क्षमा एवं प्रेम किये जाने की। उन्होंने कहा, "ऐसे हालात से बचें, जो लोगों के जीवन में विद्रोह करने के लिए उकसाता है। आतंवादियों की सृष्टि समुदाय द्वारा होता है यदि समुदायों को माफ कर दिया जाए तो वहाँ शांति आयेगी।








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