2017-12-11 16:33:00

'एक कानाफूसी और तुम मर चुके हो'


लाहौर, सोमवार,11 दिसम्बर 2017 (उकान) : 'एक कानाफूसी और तुम मर चुके हो'  साउथ एशिया पार्टनरशिप - पाकिस्तान के धर्मनिरपेक्ष कार्यकर्ता समूह के उप निदेशक इरफान मुफ्ती ने हाल ही में सोशल मीडिया पर यह संदेश भेजा। वे पंजाब प्रांत में आतंकवादी मुस्लिम संप्रदायों जैसे पाकिस्तान में तहरीक-ए-लाबैक के उदय की चेतावनी दे रहे थे।

उनका कहा था कि ख्रीस्तीय और अन्य अल्पसंख्यक धार्मिक नेताओं को भी तहरीक-ए-लैबिक के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव से डर है।

इस समूह ने हाल ही में पंजाब में हिंसक प्रदर्शनों की एक श्रृंखला का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने एक इस्लामवाद विरोधी एजेंडा को कार्यरुप करने के लिए राष्ट्रीय सरकार पर आरोप लगाया।

कट्टरवादी संप्रदाय नरम दलीय मुस्लिमों के साथ-साथ ख्रीस्तीयों, हिंदुओं और अन्य लोगों पर भी हमला करता है।

इसके अलावा, तहरीक-ए-लैबैक ने इस्लामी शरिया कानून को शुरूकरने की मांग की है, जो एक व्यापक श्रेणी के अपराधों के लिए गंभीर दंड लगाएगा।

आलोचकों ने पाकिस्तान को इस्लामी राज्य बनाने के उद्देश्य से जिहादी कट्टरतावाद को बढ़ावा देने के लिए तहरीक-ए-लाबैक पर आरोप लगाया है।

मुफ्ती ने चेतावनी दी थी कि पैगंबर मुहम्मद की पूजा एक तरह से उन्माद के रुप में विकसित हो रही है और उनके चुनाव प्रचार में ईश निन्दा करने के आरोपों को हथियार बनाया है।

मुफ्ती ने सोशल मीडिया पर अपने संदेश में कहा, "एक कानाफूसी और आप मर चुके हैं।"

अवामी श्रमिक पार्टी के प्रवक्ता फारूक तारिक हेनरी ऑलसेन ने 6 दिसंबर के एक संवाददाता सम्मेलन को बताया कि पाकिस्तान में कट्टरवाद का उदय "फासिस्ट" (तानाशाही के समर्थक) के रुप में हुआ था।

तहरीक-ए-लाबैक और अन्य इस्लामी कट्टरपंथियों का जिक्र करते हुए, तारिक ने चेतावनी दी थी कि कट्टरपंथी मौलवियों द्वारा उपदेशों ने हिंसा को बढ़ावा दिया।

 "मुस्लिम संतों ने इस भाषा का इस्तेमाल कभी नहीं किया," तारिक ने कहा।

"लेकिन राज्य ने बेशर्मी से इन समूहों को छूट दे दी है।"

यह आतंकवाद विरोधी प्रदर्शनकारियों के मांग की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए सहमत सरकार का एक संदर्भ था, जिसमें ईश निंदा विरोधी कानूनों को संशोधित करने का प्रयास करने वाले एक मंत्री का इस्तीफा भी शामिल है। 

उन्होंने कहा, "देश के इतिहास में पहली बार हिंसक समूह के लिए राज्य के पैसे का उपयोग किया गया है।"

तारिक ने सरकार के लिए यह प्रतिक्रिया तब की, जब सरकार ने तहरीक-ए-लाबाइक के सदस्यों को विरोध प्रदर्शन से रोक दिया और उनके बस किराये के लिए हजार रुपये (9.48 अमेरिकी डॉलर) का भुगतान किया। इस विरोध प्रदर्शन में 6 लोगों की मौत हुई और सैंकड़ों घायल हो गये थे।

तारिक ने कहा कि हाल के घटनाक्रमों से पता चलता है कि कट्टरपंथी इस्लामिक समूह धार्मिक अल्पसंख्यकों के सदस्यों को जल्द हा अपना लक्ष्य बनाएंगे।








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