2017-12-07 15:33:00

संत पापा ने ताईवान के ख्रीस्तीय धर्मगुरूओं को एकता में बढ़ने हेतु प्रोत्साहन दिया


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 7 दिसम्बर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 7 दिसम्बर को ताइवान की कलीसियाओं की राष्ट्रीय परिषद के 30 प्रतिनिधियों से मुलाकात की तथा उन्हें युवा पीढ़ी को शिक्षा देने के कार्य को, वार्ता की कला में जारी रखने की सलाह दी ताकि वे सौहार्द एवं मेल-मिलाप की संस्कृति के समर्थक बन सकें।

उन्हें सम्बोधित कर उन्होंने कहा, "जैसा कि आप जानते हैं मैं हाल में म्यानमार एवं बंगलादेश की प्रेरितिक यात्रा से लौटा हूँ। इस प्रकार में उस तीक्ष्णता एवं प्रयास का अनुभव कर सकता हूँ जो एशिया के लोगों की विशेषता है किन्तु मैं वहाँ मानवता के उस पीड़ित चेहरे को भी देख सकता हूँ जो बहुधा भौतिक समृद्धि एवं सामाजिक कल्याण से वंचित हैं।

कई क्षेत्र हैं जिसमें ख्रीस्तीय एक साथ काम करने के लिए बुलाये जाते हैं ताकि मानव प्राणी की प्रतिष्ठा की रक्षा हो तथा उन लोगों को समर्थन मिले जो कम भाग्यशाली हैं।"  

संत पापा ने प्रतिनिधियों के शब्दों पर गौर करते हुए कहा कि "बिना प्रेम के शांति, सच्ची शांति नहीं हो सकती, प्रेम के बिना विश्व अव्यवस्थित हो जाती है। अतः ख्रीस्तीयों के रूप में हमारा पहला कर्तव्य है कि हम प्रभु के उस आदेश का पालन करें जिसमें वे कहते हैं, "जिस प्रकार मैंने तुम लोगों को प्यार किया है उसी तरह तुम भी एक-दूसरे को प्यार करो। यदि तुम एक-दूसरे को प्यार करोगे तो उसी से सब लोग जान जायेंगे कि तुम मेरे शिष्य हो।"(यो. 13: 34-35).

संत पापा ने कहा, "ईश्वर के प्रेम को जीवन में ठोस आकार मिलना चाहिए इसलिए हमारे रास्ते एवं हमारा कर्तव्य है कि हम दुनिया के सामने आशा का साक्ष्य दें। (1पीटर 3:15)

संत पापा ने स्मरण दिलाया कि काथलिक कलीसिया, चीन के स्थानीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के द्वारा, 1991 में ताइवान की कलीसियाओं की राष्ट्रीय परिषद की स्थापना के बाद से ही प्रतिबद्ध है, जिससे कि प्रभु में विश्वासियों को महान एकता हेतु प्रोत्साहन दे सके। ख्रीस्तीय समुदायों के बीच संबंध एवं येसु की घोषणा को सुदृढ़ कर सकें जिससे कि वे उदारता के कार्यों एवं युवाओं के लिए प्रशिक्षण की योजनाओं को एक साथ पूरा कर सकें जिससे पूरे समाज को लाभ हो। सभी लोगों के लिए बेहतर भविष्य, युवा पीढ़ी के प्रशिक्षण की मांग करता है, विशेषकर, वार्ता की कला के द्वारा जिससे कि वे सौहार्द और मेल-मिलाप की संस्कृति के समर्थक बन सकें। जो अत्यन्त आवश्यक है और जिसके लिए हम प्रभु की सहायता से आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। यह एक ऐसा रास्ता है जो संघर्ष से एकता की ओर बढ़ता है एवं ख्रीस्तीय एकतावर्धक यात्रा का फल प्रदान करता है।" संत पापा ने सभी प्रतिनिधियों पर ईश्वर के आशीष की कामना की।

संत पापा ने सभी प्रतिनिधियों को धन्यवाद देते हुए शुभकामनाएं दी कि वे इस रास्ते पर चलते रहें, भाईचारा को सुदृढ़ करें तथा अपने समुदायों के बीच आपसी सहयोग करें। उन्होंने कहा, "आइए हम उस दिन की ओर उदारता की प्राथमिकता में एक साथ चलना जारी रखें जिसमें येसु की इच्छा पूरी हो जाए: कि वे एक हो जाए ताकि संसार यह विश्वास कर सके। (यो. 17:21).








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