2017-12-05 16:33:00

हम येसु का अनुसरण करते हुए अपमान स्वीकार करते है, संत पापा


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 5 दिसम्बर 2017 (रेई): एक ख्रीस्तीय के जीवन में दीनता एक अत्यावश्यक कृपा है। यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

5 दिसम्बर को नबी इसायस के ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए संत पापा ने स्मरण दिलाया कि हर ख्रीस्तीय एक छोटी टहनी के समान है जिसपर प्रभु का आत्मा छाया रहता है, प्रज्ञा तथा बुद्धि का आत्मा, परामर्श एवं धैर्य का आत्मा, ज्ञान तथा प्रभु के प्रति भय का आत्मा। ये पवित्र आत्मा के वरदान हैं। टहनी के छोटेपन से पवित्र आत्मा की पूर्णता तक, यही प्रतिज्ञा है, ईश्वर के राज्य और एक ख्रीस्तीय जीवन की प्रतिज्ञा।

संत पापा ने कहा, ″इस बात पर गौर करते हुए कि हम सभी उसी जड़ की टहनी हैं जिसे पवित्र आत्मा की शक्ति में बढ़ना है तथा हमें पवित्र आत्मा की परिपूर्णता प्राप्त करना है, उसके लिए हम ख्रीस्तीयों को क्या करना चाहिए?" संत पापा ने कहा कि इसके लिए हमें उस अंकुरण की रक्षा करनी चाहिए जो हममें विकसित होता है।

ख्रीस्तीय जीवनशैली क्या है? यह उस तरीके को अपनाना है जो येसु की विनम्रता के अनुरूप है। यह विश्वास करने के लिए कि यह कली, यह छोटा उपहार पवित्र आत्मा की परिपूणर्ता की कृपा से आयेगा, हमें दीनता एवं विश्वास की आवश्यकता है। हमें नम्रता की आवश्यकता है। स्वर्ग एवं पृथ्वी के प्रभु पिता ईश्वर जैसा कि आज के सुसमाचार में कहा गया है उन्होंने इन चीजों को ज्ञानियों एवं समझदारों से छिपा कर रखा तथा उन्हें छोटे लोगों के लिए प्रकट किया है।

संत पापा ने कहा कि नम्र होने का अर्थ है कोपले की तरह छोटा बनना, छोटा जो प्रतिदिन बढ़ता है, जिसे पवित्र आत्मा की आवश्यकता महसूस होती है ताकि वह आगे बढ़ सके एवं अनन्त जीवन को प्राप्त कर सके।   

संत पापा ने कहा, "कुछ लोग यह विश्वास करते हैं कि विनम्र होने का अर्थ है शिष्ट एवं विनीत होना तथा अपनी आँखें बंद कर प्रार्थना करना।" इस पर असहमति जताते हुए संत पापा ने कहा, "विनम्र होने का अर्थ यह नहीं है।" हम किस तरह जान सकते हैं कि हम विनम्र हैं अथवा नहीं?" 

उन्होंने कहा, "एक चिन्ह है जिससे हम जान सकते हैं कि हम सचमुच में विनम्र हैं, और वह संकेत है अपमान को स्वीकार करना। अपमान के बिना विनम्रता सच्ची विनम्रता नहीं है। वही व्यक्ति विनम्र है जो येसु के समान अपमान सहने के लिए तैयार रहता है।"  

संत पापा ने उन संतों की याद की जिन्होंने न केवल अपमान स्वीकार किया बल्कि येसु के समान अपमानित किये जाने की मांग की।

संत पापा ने प्रार्थना की कि प्रभु हमें कृपा प्रदान करे ताकि हम पवित्र आत्मा की पूर्णता के प्रति अपनी दीनता की रक्षा कर सकें। अपने मूल को न भूलें किन्तु अपमान स्वीकार कर सकें।








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