2017-12-02 11:57:00

शरणार्थियों के साथ सन्त पापा फाँसिस, एक भावनात्मक भेंट


ढाका, शनिवार, 2 दिसम्बर 2017 (रेई, वाटिकन रेडियो): बांग्लादेश की राजधानी ढाका में शुक्रवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने रोहिंगिया जाति के 16 शरणार्थियों से मुलाकात कर उनके प्रति गहन सहानुभूति का प्रदर्शन किया। इससे पूर्व शुक्रवार को ढाका के महाधर्माध्यक्षीय निवास में आयोजित शांति हेतु अन्तरधार्मिक प्रार्थना सभा में पहुँचने के लिये, आम लोगों के साथ एकात्मता के स्पष्ट प्रतीक स्वरूप, सन्त पापा फ्राँसिस ने अपनी पापामोबिल से जाने के बजाय, एक स्थानीय रिक्क्षा पर सवारी की। सन् 1986 में सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने भी ढाका में रिक्क्षा पर सवारी की थी।

शुक्रवार सन्ध्या, बांग्लादेशी शरणार्थी शिविरों में जीवन यापन करने के लिये बाध्य म्यानमार के शरणार्थी बच्चों, महिलाओं एवं पुरुषों के साथ मुलाकात अत्यन्त मार्मिक सिद्ध हुई। इस अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने शरणार्थियों की व्यथा पर "विश्व की उदासीनता" के लिये क्षमा की याचना की।

रोहिंगिया शरणार्थी दल से उन्होंने कहा, "ईश्वर की उपस्थिति का नाम आज रोहिंगिया भी है।" अपने इस वाक्य से सन्त पापा फ्राँसिस ने विगत दिनों लगाई जाती रहीं तमाम अटकलों को समाप्त कर दिया। नयाचार से हटकर सन्त पापा फ्राँसिस ने उन लोगों के पक्ष में अपनी आवाज़ उठाई जिनकी अस्मिता एवं पहचान को राजनैतिक स्वार्थों के कारण विश्व से मिटा देने का प्रयास किया जा रहा था।

म्यानमार में नयाचार का पालन करते हुए तथा म्यानमार के जर्जर प्रजातंत्रवाद को ठेस न पहुँचाने के लिये उन्होंने म्यानमार के काथलिक धर्माध्यक्षों की सलाह पर अपने प्रभाषणों में रोहिंगिया शब्द का प्रयोग नहीं किया था किन्तु शुक्रवार को शरणार्थियों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करते क्षण दमन के शिकार लोगों के पक्षधर सन्त पापा फ्राँसिस अपने आप को रोक नहीं पाये। शरणार्थियों से सन्त पापा ने कहा, "उन सब लोगों के नाम पर जो आपको प्रताड़ित कर रहे हैं, जिन्होंने आप पर अत्याचार किये हैं और उससे भी अधिक आपकी व्यथा के प्रति विश्व की उदासीनता लिये मैं आपसे क्षमा मांगता हूँ", उन्होंने "क्षमा" शब्द को पुनः दुहराया।     

वाटिकन रेडियो के सम्वाददाता फादर दिलिप संजय एक्का के साथ बातचीत में विश्वव्यापी काथलिक उदारता संगठन की कारितास बांग्लादेश के आध्यात्मिक गुरु एवं नोत्र दाम कॉलेज के प्राध्यापक फादर लिन्तुस गोम्ज़ ने बताया कि 17 अगस्त 2017 को म्यानमार की सेना के उत्पीड़न और जाति सफ़ाया के बाद से बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार स्थित शरणार्थी शिविरों में छः लाख, चौबीस हज़ार म्यानमार के शरणार्थी अत्यधिक कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन के लिये बाध्य हैं जिनमें, 80 प्रतिशत बच्चे और महिलाएँ शामिल हैं।

फादर गोम्ज़ ने बताया कि अधिकांश बच्चे कुपोषित हैं तथा शिविरों में चिकित्सा और भोजन जैसी प्राथमिक आवश्यकताओं की नितान्त कमी बनी हुई है। उन्होंने बताया कि शिविरों में रहनेवाली लगभग हर महिला एवं किशोरी ने यौन शोषण एवं हिंसा का भयावह अनुभव किया है और अब मानव तस्करी, यौन दुराचार, बलात शादी अथवा बलात श्रम का उनपर ख़तरा बना हुआ है। फादर गोम्ज़ ने कहा कि शिविरों में सभी शरणार्थियों के लिये जगह पर्याप्त नहीं है जिसके चलते महिलाओं, किशोरियों एवं बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित्त नहीं किया जा सकता।

इसी बीच, कारितास बांग्लादेश के अध्यक्ष तथा राजशाही के धर्माध्यक्ष जेरवास रोज़ारियो ने कहा,  "सन्त पापा फ्राँसिस पहले विश्व नेता हैं जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से रोहिंगिया शरणार्थियों से मुलाकात कर उनकी व्यथाओं को सुना है। सन्त पापा की मुलाकात से यह आशा प्रबल हुई है कि रोहिंगिया शरणार्थियों के प्रश्न पर वैश्विक चेतना जागृत होगी तथा इस समस्या का समाधान ढूँढ़ा जा सकेगा।" 








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