2017-11-30 14:30:00

आप युवाओं का 'शुभ संदेश' है, आपका विश्वास और उत्साह, संत पापा फ्राँसिस


यांगून, गुरुवार,30 नवम्बर 2017 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने म्यानमार के युवाओं के साथ संत मरियम महागिरजाघर में यूखारिस्त समारोह को अनुष्ठान किया।

 संत पापा फ्राँसिस ने प्रवचन में कहा,″आपके इस सुन्दर देश में मेरी यात्रा समाप्त होने वाली है आपलोगों के साथ मिलकर इन दिनों मिले सभी कृपादानों के लिए मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ। मैं आप लोगों के साथ आज के पहले पाठ के एक वाक्य को बाँटना चाहता हूँ जो मेरे हृदय में गूँज रही है। इसे संत पौलुस ने इसायस नबी के ग्रंथ से लिया और रोम के ख्रीस्तीय समुदाय के लिए लिखा,″शुभ संदेश सुनाने वालों के चरण कितने सुंदर लगते हैं।″ (रोमियों10:15; इसायस 52:7)

संत पापा ने कहा, म्यानमार के प्रिय युवाओ, आप के सुन्दर गानों को सुनकर मैं उन शब्दों को आपमें लागू करना चाहता हूँ। "आप एक सुंदर और उत्साहजनक दृष्टि हैं, क्योंकि आप हमारे लिए 'शुभ संदेश' लाते हैं, आप युवाओं का 'शुभ संदेश' है, आपका विश्वास और उत्साह। वास्तव में, आप 'शुभ संदेश' हैं क्योंकि येसु मसीह में विश्वास करने वाली कलीसिया के आप ठोस संकेत हैं, येसु हमें ऐसी खुशी और आशा प्रदान करते हैं जो कभी समाप्त नहीं होगा।

          कुछ लोग कहते हैं कि हम 'शुभ संदेश' के बारे कैसे बात कर सकते हैं जब दुनियां में बहुत से लोग कष्ट सह रहे हैं। चारों ओर गरीबी, अन्याय और पीड़ा है, ऐसी दुनिया में कौन सा शुभ संदेश है? संत पापा म्यानमार के युवाओं के माध्यम से एक स्पस्ट संदेश देना चाहते हैं। युवा ईश्वर की करुणा के शुभ संदेश में विश्वास करने से नहीं डरते हैं। ईश्वर की दया का एक नाम और चेहरा है और वह है येसु मसीह। संत पापा ने येसु के संदेशवाहक के रुप में उनके प्रेम और शांति को दुनिया में दुख सहते लोगों तक पहुंचाने तथा सत्य और न्याय के लिए निर्भय होकर अपनी आवाज उठाने हेतु युवाओं का आह्वान किया। 

संत पापा ने कहा,″अगर आपने पहले पाठ को ध्यान से सुना होगा तो आप पायेंगे कि संत पौलूस ने ‘यदि’ शब्द को तीन बार लिखा है। यह देखने में छोटा सा शब्द है लेकिन यह ईश्वर की योजना में हमारी भूमिका को सोचने के लिए प्रेरित करता है। संत पौलुस ने तीन प्रश्न पूछा है पहला, यदि लोगों को उस में विश्वास नहीं, तो वे उसकी दुहाई कैसे दे सकते है? दूसरा- यदि उन्होंने उसके विषय में कभी सुना नहीं, तो उसमें कैसे विश्वास कर सकते हैं? और तीसरा – यदि वह भेजा नहीं जाये, तो कोई प्रचारक कैसे बन सकता है? (रोमियों 10:14-15).

संत पौलुस का सवाल है कि यदि लोगों ने उसके विषय में कभी सुना नहीं, तो उसमें कैसे विश्वास कर सकते हैं? हमारी दुनिया कई तरह की आवाज़ों से भरी है, इतने सारे विकर्षण हैं, जो ईश्वर की आवाज को सुनने नहीं देते हैं। अगर दूसरों को सुनने और उस पर विश्वास करना है, तो उन्हें उन लोगों में खोजना होगा जो विश्वसनीय हैं। ऐसे लोग ईश्वर की आवाज सुनना जानते हैं। आप भी ईश्वर की आवाज को प्रार्थना में सुन सकते हैं। प्रभु आपसे आपके हृदय की गहराई में बातें करते हैं।

संत पापा ने कहा कि स्वर्ग के संतगण हमारे मित्र हैं जो हमें प्रेरणा दे सकते हैं। आज संत अंद्रेयास का त्योहार है। वे एक साधारण मछुआरे थे पर येसु मसीह के प्रेम का साक्ष्य देते हुए एक महान शहीद बन गये। येसु के साथ रहते हुए उनकी बातों को धीरज के साथ सुना और धीरे-धीरे मसीह का सच्चे शिष्य बने। येसु मसीह बहुत ही दयालु हैं। आप भी उनके पास अपना दिल खोलकर अपनी चिंतायें, मनोकामनायें, अपने सपने और आशायें सब कुछ उन्हें बतायें। जिस तरह आप अपनी फुलवारी या बगान की देखभाल धीरज के साथ करते हैं उसी तरह आप अपने आध्यात्मिक जीवन की देखभाल करना सीखें और किसान के समान धीरज के साथ इसपर फल लगने का इन्तजार करें।

संत पौलुस का अगला प्रश्न था "वे एक प्रचारक के बिना येसु के बारे में कैसे सुनेंगे?" संत पापा ने युवाओं से कहा कि यहाँ आपको अपनी विशेष भूमिका निभानी है। येसु का शुभ संदेश आपको अपने मित्रों के बीच लाना है। अगर आप गलती भी करते हैं तो न घबरायें। आप दूसरों से प्रश्न पूछें यह लोगों को सोचने के लिए प्रेरित करेगा। मेरी इच्छा है कि आप चिल्लाएं! लेकिन आपकी आवाज से नहीं पर अपने जीवन से, अपने दिल से और इस तरह से आप आशाहीन लोगों के लिए आशा, बीमारों के लिए सहायक और अजनबियों के लिए एक सुखद मुस्कान बनेंगे। 

         संत पौलुस के अंतिम प्रश्न है, ″यदि वह भेजा नहीं जाये, तो लोगों के लिए कौन संदेश वाहक बन सकता है?″  संत पापा ने कहा कि इस पवित्र मिस्सा के अंत में हम सभी भेजे जाते हैं जिससे कि हमने जो ग्रहण किया है उसे दूसरों को बांट सकें। बहुधा हम इस बात से अंजान रहते हैं कि येसु स्वंय हमारे साथ आते हैं संदेश बांटने में हमारी अगुवाई करते हैं।

         आज के सुसमाचार में हम पाते हैं कि येसु ने अंद्रेयस और उसके भाई सिमोन पेत्रुस को यह कहते हुए बुलाया,″मेरे पीछे चले आओ।″(मत्ती 4:19) इसी तरह येसु हम सभी को बुलाते हैं। वे आप में से किसी को पुरोहित बनने के लिए, किसी को धर्मसंघी जीवन जीने के लिए बुलाते हैं और किसी को वैवाहिक जीवन जीने के लिए बुलाते हैं जिससे कि आप प्यारे माता-पिता बन सकें। जो कुछ भी आपकी बुलाहट है, मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप साहसी और उदार बने तथा सब से ऊपर, खुश रहें!

         संत पापा ने माता मरियम के साहस की प्रशंसा करते हुए कहा कि जब माता मरियम को गाब्रिएल दूत का संदेश मिला तो वे आप ही के समान युवा थीं पर उन्होंने बड़े साहस के साथ दूत के संदेश को स्वीकार किया। माता मरिया के समान आप भी दीनता और साहस के साथ येसु के प्रेम को दूसरों के बीच बांट सकें। मैं आपको और आपके परिजनों को उनकी ममतामयी छत्रछाया में सिपुर्द करता हूँ। ईश्वर म्यानमार को आशीष दे।








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