2017-11-29 15:34:00

दुःखद यादों में चंगाई लाने हेतु म्यानमार के काथलिकों से संत पापा की अपील


यांगोन, बुधवार, 29 नवम्बर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने बुधवार 29 नवम्बर को म्यानमार के यांगोन शहर स्थित क्याईकसेन खेल मैदान में ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

उन्होंने प्रवचन में कहा, ″प्यारे भाइयो एवं बहनो, इस देश में आने के पूर्व, मैं इस अवसर का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहा था। आप में से बहुत लोग दूर से आये हैं सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों से और कई पैदल चल कर आयें। मैं भी यहाँ एक तीर्थयात्री के समान आया हूँ ताकि आपको सुन सकूँ और आप से सीख सकूँ, साथ ही साथ आपको आशा एवं सहानुभूति के संदेश दे सकूँ।"   

आज का पहला पाठ, नबी दानिएल के ग्रंथ से लिया गया है जो राजा बेलशस्सर और उनके सामन्तों की छोटी बुद्धि को देखने में मदद देता है। वे सोने, चाँदी, पीतल, लोहे, लकड़ी और पत्थर के देवताओं की प्रशंसा करना जानते थे (दानिएल, 5:4) किन्तु ईश्वर की प्रशंसा करने का विवेक उनमें नहीँ था जिनके हाथों हमारा जीवन एवं स्वास है। दूसरी ओर, दानिएल में प्रभु की प्रज्ञा थी तथा वह उनके महान रहस्यों की व्याख्या करने में समर्थ था। 

संत पापा ने कहा कि ईश्वर के रहस्य के अंतिम व्याख्याता हैं येसु। वे मानव व्यक्ति के रूप में ईश्वर की प्रज्ञा हैं। (1 कोर. 1:24) येसु ने हमें लम्बे भाषण अथवा किसी राजनीतिक प्रदर्शन या दुनियावी शक्ति द्वारा अपनी प्रज्ञा का परिचय नहीं दिया किन्तु क्रूस पर अपना प्राण अर्पित कर दिया। कई बार हम अपनी बुद्धि ही पर भरोसा करने के जाल में फंस जाते हैं बल्कि सच्चाई यह है कि इसके द्वारा हम आसानी से अपनी दिशा खो बैठते हैं। ऐसे समय में हमें स्मरण रखना चाहिए कि हमारे सामने एक निश्चित कम्पास है, क्रूसित प्रभु। क्रूस में हम प्रज्ञा प्राप्त करते हैं जो ईश्वर से आने वाले प्रकाश द्वारा हमारे जीवन का मार्गदर्शन करती है।

संत पापा ने कहा कि क्रूस से चंगाई भी आता है। येसु ने हमारे लिए अपने घावों को पिता को चढ़ाया, उन्हीं घावों द्वारा हमें चंगाई मिली है। ( 1पेत्रुस 2:24) हमें सदा प्रज्ञा मिले जिससे कि हम सभी चंगाई के स्रोत ख्रीस्त के घावों को प्राप्त कर सकें। संत पापा ने कहा कि मैं जानता हूँ कि म्यानमार में कई ऐसे लोग हैं जो हिंसा के दृश्य और अदृश्य दोनों तरह के घावों से पीड़ित हैं।

उन घावों का प्रत्युत्तर दुनिया की प्रज्ञा से देने का प्रलोभन होता है जैसा कि हम पहले पाठ में राजा की कई त्रुटियाँ को पाते हैं। कई बार हम सोचते हैं कि चंगाई, क्रोध एवं बदले की भावना से मिलेगी किन्तु बदले का रास्ता येसु का नहीं है।

 येसु का रास्ता पूरी तरह अलग है। घृणा एवं बहिष्कार की भावना ने उन्हें दुःखभोग एवं मृत्यु की ओर ढकेला जबकि उन्होंने उसका उत्तर क्षमा एवं करुणा से दिया।

आज के सुसमाचार पाठ में प्रभु बतलाते हैं कि उन्हीं की तरह हम भी जब बहिष्कार और बाधाओं का सामना करेंगे तब वे हमें प्रज्ञा प्रदान करेंगे जिसका खण्डन कोई नहीं कर सकेगा। (लूक. 21:15)

संत पौलुस पवित्र आत्मा के बारे बतलाते हैं कि उसके द्वारा ईश्वर का प्रेम हमारे हृदयों में उंडेला गया है। (रोम. 5:5) उनकी आत्मा की कृपा से येसु हमें उनकी प्रज्ञा के चिन्ह बनने का सामर्थ्य प्रदान करते हैं जो इस दुनिया की प्रज्ञा को हरा देता है तथा सबसे पीड़ादायक घावों में भी दर्द कम कर देता है।

अपने दुखभोग की संध्या येसु ने रोटी और दाखरस के रूप में अपने आप को चेलों के लिए अर्पित किया। यूखरिस्त के वरदान द्वारा, हम विश्वास की आँखों के माध्यम से हम न केवल उनके शरीर एवं लोहू को पहचानते हैं किन्तु यह भी सीख जाते हैं कि उनके घावों में किस तरह आराम मिलता है और हमारे पापों के दोष धूल जाते हैं एवं हम मूर्खों के रास्ते से वापस आते हैं।

संत पापा ने कहा, "ख्रीस्त के घावों में शरण लेने के द्वारा प्रिय भाइयो एवं बहनो, हम चंगाई मरहम के रूप में पिता की करुणा को स्वीकार करें तथा इसे दूसरों के बीच बांटने हेतु बल प्राप्त करें, क्योंकि यह प्रत्येक हृदय एवं हर दुखद अनुभव में आराम प्रदान करता है। इस तरह आप मेल- मिलाप एवं शांति जिसके द्वारा ईश्वर हर मानव हृदय एवं हरेक समुदाय में राज करना चाहते हैं उसके वफादार साक्षी बन सकें।"

संत पापा ने सभी विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "मैं जानता हूँ कि म्यानमार की कलीसिया पहले से ही ईश्वर की करुणा की चंगाई मरहम को लाने हेतु बहुत कुछ कर रही है, खासकर, जो जरूरतमंद हैं उनके लिए। इसका स्पष्ट चिन्ह है कि सीमित साधनों के बावजूद कई समुदाय अन्य आदिवासी समुदायों के बीच सुसमाचार का प्रचार कर रहे हैं, दबाव डाले बिना, निमंत्रण एवं स्वागत द्वारा। अत्यधिक गरीबी एवं समस्याओं के बीच आप में से कई ठोस सहायता तथा पीड़ित एवं ग़रीबों के प्रति एकात्मता प्रकट कर रहे हैं।

धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्मसमाजियों, प्रचारकों के दैनिक आध्यात्मिक मदद और खासकर, "काथलिक करुणा म्यानमार" के कार्यों द्वारा एवं परमधर्मपीठीय मिशन सोसाईटी के उदार सहयोग द्वारा, इस देश के काथलिक विश्वासी बड़ी संख्या में स्त्री-पुरूषों, बच्चों की मदद बिना किसी भेदभाव के, कर रहे हैं। मैं देख सकता हूँ कि यहाँ की कलीसिया जीवित है अर्थात् आपके भाई-बहनों एवं अन्य ख्रीस्तीय समुदायों के साथ ख्रीस्त यहाँ उपस्थित हैं। मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि प्रज्ञा एवं ईश्वर का प्रेम जिसको आपने मुफ्त में पाया है उसे दूसरों के बीच बांटते रहें।

येसु हमें अपनी प्रज्ञा प्रचुर मात्रा में प्रदान करना चाहते हैं। आपके परिवारों, समुदायों और इस देश के समाज में चंगाई एवं मेल-मिलाप बोने के आपके प्रयास को वे निश्चय ही पुरस्कृत करेंगे। क्षमाशीलता एवं दया के उनके संदेश में एक तर्क है जिसे सभी समझना नहीं चाहेंगे जो बाधा का कारण बनेगा। फिर भी, उनका प्रेम जो क्रूस पर प्रकट हुआ, अजेय है। यह एक आध्यात्मिक दिशा निर्देशक की तरह है जो ईश्वर एवं पड़ोसियों की ओर निरंतर हमारा मार्गदर्शन करता है।

हमारी प्यारी माता मरियम ने अपने पुत्र का अनुसरण किया और कलवारी पहाड़ के ऊपर तक चढ़ी, वे हमें हमारी जीवन यात्रा में हर कदम पर साथ दें। हमारे लिए सच्ची प्रज्ञा, जरूरतमंद लोगों पर दया तथा येसु के घांवों पर शरण लेने से मिलने वाले आनंद के संदेशवाहक बनने की कृपा प्राप्त करें। 

ईश्वर आप सभी को आशीष प्रदान करे। म्यानमार की कलीसिया को आशीष दे तथा म्यानमार की समस्त धरती को शांति के आशीर्वाद से भर दे।








All the contents on this site are copyrighted ©.