2017-11-27 14:25:00

ख्रीस्त राजा का महापर्व, देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, सोमवार, 27 नवम्बर 2017 (रेई): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवार 26 नवम्बर को ख्रीस्त राजा महापर्व के उपलक्ष्य में, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

धर्मविधिक वर्ष के अंतिम रविवार को हम सम्पूर्ण जगत के सर्वोच्च राजा ख्रीस्त का महापर्व मनाते हैं। उनका राजत्व मार्गदर्शन, सेवा और एक ऐसे शासन के रूप में है जिसका अंत अंतिम दिन में न्याय के साथ होगा। आज हमारे लिए ख्रीस्त एक राजा, चरवाहा एवं न्यायाधीश के रूप में हैं जो हमें ईश्वर के राज्य में सहभागी होने का मानदंड दिखलाते हैं। वे मानदंड इस तरह हैं।

संत मती रचित सुसमाचार का यह पृष्ट एक महान दृश्य के साथ खुलता है। येसु यह कहते हुए अपने शिष्यों को सम्बोधित करते हैं, "जब मानव पुत्र सब स्वर्ग दूतों के साथ अपनी महिमा सहित आयेगा, तो वह अपने महिमामय सिंहासन पर विराजमान होगा।" (मती. 25:31).

संत पापा ने कहा कि यह सार्वभौमिक न्याय के वृत्तांत का प्रभावशाली परिचय है। धरती पर विनम्रता एवं गरीबी के जीवन का अनुभव करने के बाद येसु अब दिव्य महिमा में प्रकट होते हैं जो उनका वैभव है और जहाँ वे दूतों एवं संतों से घिरे हैं। सारी मानव जाति उनके द्वारा बुलायी गयी है तथा वे अपने अधिकार का प्रयोग एक को दूसरे से अलग करने में करते हैं, ठीक उसी तरह जिस तरह गड़ेरिया भेड़ों को बकरियों से अलग कर देता है।

वे अपने दाहिने के लोगों से कहते हैं, "मेरे पिता के कृपा पात्रो, आओ और उस राज्य के अधिकारी बनो, जो संसार के आरम्भ से तुम लोगों के लिए तैयार किया गया है, क्योंकि मैं भूखा था और तुमने मुझे खिलाया, मैं प्यासा था और तुमने मुझे पिलाया। मैं परदेशी था और तुमने मुझे अपने यहाँ ठहराया। मैं नंगा था और तुमने मुझे पहनाया मैं बीमार था और तुम मुझ से भेंट करने आये। मैं बंदी था और तुम मुझसे मिलने आये। (पद 34-36) तब धर्मी विस्मित होंगे क्योंकि उन्हें याद नहीं होगा कि उन्होंने कभी येसु से मुलाकात कर, उनकी मदद की थी किन्तु येसु कहेंगे, "तुमने मेरे इन भाइयों में से किसी एक के लिए चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो जो कुछ किया, वह तुमने मेरे लिए किया।" (पद. 40).

संत पापा ने कहा कि येसु का यह कथन हमें निरंतर प्रभावित करता है क्योंकि यह प्रकट करता है कि ईश्वर किस हद तक हमें प्रेम करते हैं। वे अपने को हमारे समान बनाते हैं न केवल एक स्वस्थ एवं खुशहाल व्यक्ति के रूप में किन्तु उस अवस्था में भी जब हम एक जरूरतमंद व्यक्ति के रूप में रहते हैं और इसी अदृश्य रूप में वे हमसे मुलाकात करते हैं। वे एक भिखारी की तरह अपना हाथ बढ़ाते। इस प्रकार येसु अपने न्याय के निर्णायक मानदंड का खुलासा करते हैं- वह इस प्रकार है- कठिनाई में पड़े अपने पड़ोसियों के लिए ठोस प्रेम प्रकट करना जो प्रेम की शक्ति, पीड़ितों के साथ एकात्मता तथा करुणा के कार्य में व्यक्त होता है।  

न्याय का दृष्टांत आगे उस राजा को प्रस्तुत करता है जो उन लोगों को स्वर्ग राज्य में प्रवेश करने से रोक देता है जिन्होंने अपने जीवन काल में भाई-बहनों की आवश्यकताओं पर ध्यान नहीं दिया। वे भी आश्चर्य करते हुए पूछेंगे, "प्रभु, हमने कब आपको भूखा, प्यासा, परदेशी, नंगा, बीमार या बंदी देखा और आपकी सेवा नहीं की? (पद. 44) मानो कह रहे हों कि यदि हम आपको देखे होते तो निश्चय ही आपकी मदद करते। तब राजा उन्हें उत्तर देंगे, मैं तुम लोगों से कहता हूँ, "जो कुछ तुमने मेरे छोटे से छोटे भाइयो में से किसी एक के लिए नहीं किया वह तुम ने मेरे लिए भी नहीं किया।" (पद. 45).

हमारे जीवन के अंत में हम प्रेम के आधार पर न्याय किये जायेंगे, वह प्रेम, ठोस समर्पण तथा अपने छोटे एवं जरूरतमंद भाई-बहनों में येसु की सेवा करने के द्वारा प्रकट होता है। भिखारी एवं जरूरतमंद व्यक्ति जो अपना हाथ पसारते हैं उनमें येसु उपस्थित रहते हैं बंदी से मुलाकात करने के द्वारा हम येसु से मिलते हैं। भूखे व्यक्ति के रूप में येसु वहाँ उपस्थित हैं।

येसु यद्यपि अंत में सभी राष्ट्रों का न्याय करने आयेंगे तथापि वे हमारे पास हर दिन आते हैं वे हमसे कई लोगों के माध्यम से स्वीकार किये जाने का आग्रह करते हैं।

धन्य कुँवारी मरियम ईशवचन एवं यूखरिस्त में येसु से मुलाकात करने में हमारी मदद करे और साथ ही साथ अपने भाई बहनों के भूख, पीड़ा, बीमारी, शोषण एवं अन्याय में उनसे मिलने हेतु सहायता दे। हम आज अपने जीवन में उनका स्वागत अपने हृदय में कर सकें ताकि हम प्रकाश एवं शांति के उनके अनन्त धाम में प्रवेश कर सकेंगे।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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