2017-11-25 13:54:00

हमारे गिरजाघर सेवा के लिए होनी चाहिए, सुपरमार्केट नहीं


वाटिकन सिटी, शनिवार 25 नवम्बर 2017(वीआर, रेई) : शुक्रवार को संत पापा फ्राँसिस ने सतर्कता, सेवा और निर्मूल्यता इन तीन मनोभावों का सुझाव दिया जो पवित्र आत्मा के मंदिर को साफ रखने में हमारी मदद कर सकते हैं। संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को अपने प्रेरितिक निवास संत मार्था प्रार्थनालय में प्रातःकालीन मिस्सा के दौरान प्रवचन में कहा।

संत पापा ने मक्काब के ग्रंथ से लिये गये पहले पाठ पर चिंतन किया जहाँ यूदाह और उसके भाईयों ने मूर्तिपूजकों द्वारा अपवित्र मंदिर का फिर से शुद्धीकरण और प्रतिष्ठान किया। और संत लूकस के सुसमाचार से उस पाठ पर चिंतन किया जहाँ येसु ने मंदिर से बिक्री करने वालों बाहर निकाला जिन्होंने मंदुर को लुटेरों का अड्डा बना रखा था।

ईश्वर का मंदिर- हमारा हृदय

संत पापा ने कहा कि ईश्वर का सबसे महत्वपूर्ण मंदिर हमारा हृदय है, जहां पवित्र आत्मा रहता है।

संत पापा ने अपने हृदय रुपी मंदिर में होने वाले क्रियाकलापों के प्रति सजग रहने की हिदायत देते हुए कहा हमारे हृदय में कैसी भावनायें और विचार आते हैं। क्या हम अपने अंतरात्मा की बातें सुनते हैं।

संत पापा ने यह समझाया कि कैसे इस मंदिर को सेवा के माध्यम से रक्षा और देखभाल की जा सकती है। संत पापा ने ख्रीस्तीयों से अपने विवेक की जांच करने के लिए आग्रह किया। क्या वे लोगों की जरुरतों को पूरा करने, उन्हें कपड़ा देने या सांत्वना देने के लिए आगे आते हैं?  इस संबंध में, उन्होंने संत जॉन क्रिसोस्तम को याद किया, जिन्होंने उन लोगों की निंदा की थी जो गिरजाघर को सजाने के लिए बहुत सा धन दिये थे, लेकिन वे ज़रूरतमंदों की देखभाल नहीं करते थे। उन्होंने कहा, "यह अच्छा नहीं है। पहले सेवा, फिर सजावट।" "मंदिर को शुद्ध करना दूसरों की देखभाल करना है, "जब हम सेवा करने के लिए, दूसरों की   सहायता के लिए आगे आते हैं तो  हम येसु के समान बनते हैं जो हमारे अंदर है।"

संत पापा ने तीसरा मनोभाव निर्मूल्यता के बारे में बताया कि कैसे यह मनोभाव मंदिर को साफ रखने में मदद करता है उन्होंने कहा, "हम कितनी बार एक गिरजाघर में प्रवेश करते हैं - एक पल्ली में या एक धर्माध्यक्ष के निवास स्थान जाते हैं। हम नहीं जानते हैं कि हम ईश्वर के घर में प्रवेश कर रहे हैं या सुपरमार्केट में हैं। वहाँ भी हम व्यापार करते हैं, जिसमें संस्कारों के लिए भी मूल्य सूची शामिल है-कुछ भी मुफ्त में नहीं मिलती है! पर संत पापा ने तर्क दिया कि ईश्वर ने हमें स्वतंत्र रुप से बचा लिया। इसके लिए हमें कुछ भी चुकाना नहीं पड़ा।

ईश्वर का विधान

इस संबंध में, उन्होंने पूछा कि क्या इमारत की देखभाल और रख-रखाव के लिए, और याजकों के लिए धन की आवश्यकता है... और संत पापा ने उत्तर दिया, "आप स्वतंत्र रूप से दे और ईश्वर बाकी काम करेंगे।"  जिस चीज की कमी है उसे ईश्वर प्रदान करेंगे," संत पापा की कामना है कि हमारे गिरजाघरों में मुफ्त सेवा मिले।"








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