2017-11-25 15:27:00

2018 में विश्व शांति दिवस हेतु संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, शनिवार, 25 नवम्बर 2017 (रेई): वाटिकन ने 2018 के लिए संत पापा फ्राँसिस के विश्व शांति दिवस हेतु संदेश को प्रकाशित कर दिया है। संत पापा के संदेश का प्रकाशन शुक्रवार को वाटिकन प्रेस सम्मेलन में किया गया।

शांति संदेश का शीर्षक है "विस्थापित और शरणार्थी: शांति की तलाश में पुरुष और महिलाएँ"। यह संदेश छः भागों में विभाजित है। प्रथम भाग में शांति की हार्दिक कामना की गयी है एवं भली इच्छा रखने वालों को निमंत्रण दिया गया है कि वे युद्ध, भूख एवं अत्याचार से भाग रहे लोगों का आलिंगन करें।

संदेश में सवाल किया गया है कि इतने अधिक विस्थापित एवं शरणार्थी क्यों? संत पापा इसका कारण संघर्ष बतलाते हुए कहते हैं कि यह उन्हें अपनी मातृभूमि छोड़ने हेतु मजबूर कर रहा है। संत पापा उनके लिए एक बेहतर जीवन की अभिलाषा भी रखते हैं।

संदेश में वे इस बात की ओर भी ध्यान आकृष्ट करते हैं कि कुछ लोग बढ़ते विस्थापन को एक भय के रूप में देख रहे हैं, किन्तु संत पापा उन्हें साहस करने एवं शांति निर्माण करने के एक अवसर के रूप में स्वीकार करने की सलाह देते हैं।

शांति

"कार्रवाई के लिए चार मीलपोस्ट्स" शीर्षक पर चौथे भाग में संत पापा संकेत देते हैं कि विस्थापितों एवं शरणार्थियों को शांति प्रदान करने के लिए क्या करना चाहिए। वे चार तरह के कार्यों को करने की सलाह देते हैं, स्वागत, सुरक्षा, प्रोत्साहन एवं एकीकरण। 

अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से परिस्थिति का अवलोकन करते हुए संत पापा आशा व्यक्त करते हैं कि स्वागत एवं एकीकरण की भावना, इस प्रक्रिया का मार्गदर्शन करेगी कि 2018 के दौरान एक सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित विस्थापन और शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र को दो वैश्विक समझौतों के मसौदे तैयार करने और उन्हें स्वीकृति प्रदान करने में सहायता मिलेगी।

आम घर

अंततः संत पापा फ्राँसिस अपने संदेश में संत पापा जॉन पौल द्वितीय के शब्दों से प्रेरणा लेते हुए कहते हैं, "यदि शांतिपूर्ण विश्व का स्वप्न सभी देखते हैं और यदि शरणार्थी एवं विस्थापित लोगों को दिए गये योगदान का ठीक से मूल्यांकन किया जाता है तब मानवता अधिक से अधिक वैश्विक परिवार का रूप लेगा और हमारा ग्रह एक सच्चा आमघर बन जायेगा।"

वाटिकन रेडियो की पत्रकार लीदया ओ केन से बातचीत करते हुए फा. चेन होनज़ागा ने कहा, "हम सभी जानते हैं कि विश्वस्तर पर क्या हो रहा है और कितने विस्थापन अथवा मानव आंदोलन का इतिहास में वैश्विक प्रभाव पड़ रहा है किन्तु दुर्भाग्य से विशेषकर, इन वर्षों में हम देख रहे है कि यह विस्थापन अब जबरन विस्थापन बन गया है।" 

उन्होंने कहा कि संत पापा अपने संदेश में विस्थापन पर ध्यान देने हेतु प्रेरित करते तथा इस खास परिस्थिति को भय के रूप में न देखने किन्तु उन लोगों का समर्थन एवं उनका स्वागत करने की  आवश्यकता पर जोर देते हैं।

फादर होनज़ागा ने गौर किया कि कुछ सालों से विस्थापन को नकारात्मक रूप में देखा जा रहा है "उनका स्वागत करने की अपेक्षा हम उनसे डरे हुए हैं यही कारण है कि संत पापा ने अपने संदेश में उन भाई बहनों के स्वागत का आग्रह किया है।"  

संत पापा फ्राँसिस अपने परमाध्यक्ष काल के आरम्भिक दिनों में विस्थापितों की दुखद स्थिति को देखने लम्पेदूसा गये थे।

फादर ने आशा व्यक्त की कि संत पापा का यह संदेश लोगों को जागरूक बनायेगा, खासकर काथलिकों एवं सद इच्छा रखने वालों को कि हमारा विश्व एक आमघर है एवं समस्त मानव एक सार्वजनिक परिवार है।








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