2017-11-21 16:22:00

सांस्कृतिक उपनिवेशन का अंतिम पड़ाव अत्याचार


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 21 नवम्बर 2017 (रेई): वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में मंगलवार 21 नवम्बर को, संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में अत्याचार के शिकार लोगों की ओर ध्यान आकृष्ट किया।

उन्होंने कहा, ″सांस्कृतिक एवं वैचारिक उपनिवेशन विविधताओं को सहन नहीं करता तथा इसके द्वारा विश्वासियों को अत्याचार का शिकार बनाता है।"   

प्रवचन में संत पापा ने मक्काबियों के ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ एलआज़ार के शहादत की घटना का जिक्र किया गया है। (2मक्काबियों 6: 18-31) एलआज़ार मुख्य शास्त्रियों में एक था। उसे अपना मुँह खोलने एवं सूअर का मांस खाने के लिए बाध्य किया जा रहा था किन्तु उसने कलंकित जीवन की अपेक्षा गौरवपूर्ण मृत्यु चुना।

संत पापा ने तीन तरह की शहादत को प्रस्तुत किया- धार्मिक, धार्मिक-राजनीतिक तथा सांस्कृतिक अत्याचार।

जब किसी नई संस्कृति में सबकुछ नया करने की इच्छा जागृत होती है, संस्कृति, परम्परा, नीति और धर्म में बदलाव लाने का जुनून पैदा होता है तो इससे अत्याचार की शुरूआत होती है। जिसका अंत उसी तरह होता है जिस तरह एलआजार के लिए हुआ जिसने ईश्वर के प्रति निष्ठावान रहने का चुनाव किया।

संत पापा ने सोमवार के पाठ को पुनः याद करते हुए कहा कि अत्याचार की घटनाओं का जिक्र कल के पाठ से ही आरम्भ होता है। कुछ यहूदी ने सेलेयुसिड के सम्राट अंतियोखुस एपिफानेस की शक्ति एवं सामर्थ्य देखकर उनसे समझौता करना चाहा। वे सब कुछ को आधुनिक बनाना चाहते थे अतः वे राजा के पास गये तथा उनसे आदेश प्राप्त किया ताकि अपने लोगों के बीच, अपने देश के गैर-यहूदी संस्थाओं का विस्तार कर सकें। इस तरह लोगों ने नई संस्कृति एवं नई संस्थाओं को लाया ताकि अपनी ही संस्कृति, धर्म और नियमों को बनाये रख सकें। संत पापा ने कहा कि इस तरह का सुधार वास्तविक वैचारिक उपनिवेशन है जो इस्राएली लोगों पर अपना भार डालना चाहता था और उनके लिए किसी चीज की स्वतंत्रता नहीं थी। कुछ लोगों ने उसे स्वीकार कर लिया क्योंकि उनके लिए दूसरों के समान होना अच्छा लगा इस तरह उन्होंने परम्परा को त्याग दिया और वे दूसरी तरह से जीने लगे किन्तु दूसरी ओर वास्तविक संस्कृति की रक्षा हेतु विरोध उठने लगा। जैसा कि एलआजार जो एक प्रतिष्ठित व्यक्ति था और जिनका आदर सभी से द्वारा किया जाता था।

संत पापा ने कहा कि सांस्कृतिक उपनिवेशन का रास्ता विश्वासियों के अत्याचार की ओर ले जाता है। इसका उदाहरण हम पिछली शताब्दी में ही पाते हैं जिसमें सबकुछ को एक रूप देने की कोशिश की गयी जहाँ विविधता के लिए कोई स्थान नहीं था और न ही ईश्वर के लिए कोई जगह। संत पापा ने कहा कि यह एक भ्रष्ट रास्ता है।

एलआजार ने युवाओं के लिए अच्छा उदाहरण देने के विचार से मृत्यु स्वीकार किया। उन्होंने ईश्वर के प्रेम के लिए अपना जीवन अर्पित किया तथा जिस नियम के लिए अपने को न्योछावर किया वह भविष्य का रास्ता बन गया।

संत पापा ने कहा कि वैचारिक एवं सांस्कृतिक उपनिवेशन केवल वर्तमान को देखता है एवं भूत का बहिष्कार करता और भविष्य की ओर नजर नहीं डालता जिसके कारण वह किसी बात की प्रतिज्ञ नहीं कर सकता।  इस मनोभाव द्वारा वह विनाश के रास्ते को चुनता है तथा सृष्टिकर्ता के विरूद्ध महापाप कर बैठता है। 

संत पापा ने आशा व्यक्त की कि उनका संदेश सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक उपनिवेशन का सामना करते हुए लोगों की गलतफहमी दूर करने में मदद कर सकेगा।








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