2017-11-18 18:14:00

संस्कृति संबंधी परमधर्मपीठीय समिति की आमसभा को संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, शनिवार, 18 नवम्बर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 18 नवम्बर को वाटिकन के सामान्य लोकसभा परिषद भवन में, संस्कृति को प्रोत्साहन देने हेतु बनी परमधर्मपीठीय समिति के तत्वधान में आयोजित आमसभा के 83 प्रतिभागियों को सम्बोधित किया।

संत पापा ने कहा कि इस आमसभा ने अपनी विषयवस्तु के रूप में मानवविज्ञान के मुद्दे को चुना है तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास की भविष्य की रेखाओं को समझने का प्रस्ताव रखा है।

संत पापा ने कहा कि कलीसिया चिकित्सा, आनुवंशिकी, तंत्रिका विज्ञान तथा स्वायत्त मशीनों में अविश्वसनीय प्रगति के माध्यम से नई सदी के आरम्भ में लोगों को सही दिशा देना चाहती है।

आनुवंशिकी में अविश्वसनीय प्रगति पर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने कहा कि ऐसी बीमारियाँ जिन्हें लाइलाज माना जाता था अब उनका भी इलाज संभव है। संत पापा ने कहा कि विज्ञान एवं तकनीकी ने प्रकृति के बारे हमारे ज्ञान की परिधि को विस्तृत कर दिया है, विशेषकर, मानव प्राणी के बारे किन्तु केवल यही सब कुछ का उत्तर देने के लिए पर्याप्त नहीं है। आज हम तेजी से अनुभव करते हैं कि हमें धार्मिक परम्पराओं, सामान्य ज्ञान, साहित्य एवं कला जो मानव अस्तित्व की गहराई को छूता है, उनकी प्रज्ञा के खजाने से पोषित किये जाने की आवश्यकता है। साथ ही साथ, दर्शन एवं ईशशास्त्र को भी नहीं भूल जाना है।

इस संबंध में संत पापा ने कलीसिया की धर्मशिक्षा के दो सिद्धांतों की ओर ध्यान आकृष्ट किया। पहला, मानव व्यक्ति की केन्द्रीयता जिसे एक साधन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। व्यक्ति को प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाये रखना चाहिए जिसमें उसे सृष्टि के मालिक के रूप में नहीं किन्तु सृष्टि के रक्षक के रूप में होना चाहिए।

दूसरा सिद्धांत है संसाधनों में आम सहभागिता। जिसमें ज्ञान तथा तकनीकी भी शामिल हैं। संत पापा ने कहा कि विज्ञान एवं तकनीकी प्रगति को मानवता के हित में होना चाहिए न कि मुट्ठी भर लोगों की भलाई के लिए और यही भविष्य में ज्ञान पर आधारित असमानता को रोकने तथा धनी और गरीब के बीच बढ़ने वाली दूरी को कम करने में सहायक होगा। संत पापा ने जोर देकर कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान दिशा के बारे में महान निर्णय लेना चाहिए तथा इसके लिए निवेश किया जाना चाहिए, जिसको एक साथ पूरे समाज के लिए लिया जाना चाहिए तथा न केवल बाजार के नियमों अथवा कुछ लोगों के लाभ के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए।

अंततः संत पापा ने कहा कि व्यक्ति को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह सब कुछ नैतिक रूप से स्वीकार नहीं है जो तकनीकी रूप से सम्भव अथवा व्यवहार्य है। 








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