2017-11-18 17:07:00

कोरिया और जापान के धर्माध्यक्षों द्वारा उत्तर एशिया में शांति की अपील


कागोशिमा, शनिवार 17 नवम्बर 2017 (फीदेस) : "पूर्वोत्तर एशिया की वर्तमान परिस्थिति बहुत ज्यादा चिंताजनक है। उत्तर एशिया के देश अपनी सैन्य शक्ति के साथ स्थिरता और समृद्धि की तलाश में हैं, वे राजनीतिक व्यवस्था के अन्य महान शक्तियों के साथ गठबंधन बना रहे हैं। यह सभी देशों में खतरों और चिंताओं को पैदा करता है और सभी देशों में सुरक्षा के लिए तनाव पैदा करता है। हम, दक्षिण कोरिया और जापान के धर्माध्यक्ष, उत्तर-पूर्व एशिया में शांति के लिए आशा व्यक्त करते हुए अपील शुरू करते हैं।"

 ये जापान और दक्षिण कोरिया के धर्माध्यक्षों के संयुक्त घोषणा के शब्द हैं। 14 से 16 नवंबर तक कागोशिमा में आयोजित दोनों देशों के धर्माध्यक्षों के बीच संयुक्त बैठक के समापन पर फीदेस एजेंसी को उक्त संदेश भेजे गए। यह धर्माध्यक्षों की 23 वीं संयुक्त आमसभा थी, जो नियमित रूप से आपसी सहयोग और एकता के संबंधों को मजबूत करने और पूर्व एशिया में न्याय और शांति बनाने के लिए प्रति वर्ष बैठक का आयोजन करते हैं।

बैठक के अंतिम रिपोर्ट अनुसार, धर्माध्यक्षों ने बैठक में संतुष्टि व्यक्त किया है कि "23 वर्षों से दोनों देशों के विनाशकारी इतिहास को प्रतिबिंबित करने और मेल-मिलाप से उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करने में मदद मिली है" तथा "आर्थिक और सांस्कृतिक पहलुओं को साझा कर हमारे संबंधों को गहरा कर दिया है।"

धर्माध्यक्षों ने युद्ध के किसी भी संभावित विचार को त्यागते हुए "पूर्वोत्तर एशिया में शांति के लिए सचमुच आशा" प्रकट करते हैं। "ईश्वर हमसे लोगों के गलत विश्वास को खत्म करने आग्रह करते है कि परमाणु हथियारों या सैन्यीकरण से शांति की गारंटी दी जा सकती है। ये केवल युद्ध के जोखिम को बढ़ाते हैं।हम संत पापा जॉन 23वें  द्वारा ‘पाचेम इन तेर्रिस’ में व्यक्त सिद्धांत पर जोर देना चाहते हैं, जो कि इस बात पर जोर देती है कि 'असली शांति शस्त्रागारों पर निर्भर नहीं करती परंतु आपसी विश्वास पर निर्भर करती है। इसके अलावा, गरीब और पर्यावरण को भुगतना पड़ता है, जबकि खगोलीय राशि हथियारों पर खर्च होती है। ईश्वर और सभी मानवता के खातिर, राष्ट्रों के नेताओं को शांति की बातचीत के लिए हर संभव प्रयास करना है। विश्व में शांति लाने हेतु उनकी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।"

फीदेस को भेजे बयान का समापन इस तरह से किया गया,"हिंसा मानवीय गरिमा को कम करने और सभी मानवता के लिए विनाशकारी परिणाम पैदा करने का एक पागल तरीका है। मनुष्यों के बीच विश्वास और प्रेम और एकजुटता के निर्माण के द्वारा किसी भी तरह की हिंसा को दूर किया जा सकता है। हम, कोरियाई और जापानी धर्माध्यक्ष भाईचारे प्रेम में सक्रिय रहकर शांति के लिए खुद को प्रतिबद्ध करते और  सैन्य शक्ति से नहीं परंतु  ईश्वर की शक्ति में सौंप देते हैं।" 








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