2017-11-13 15:25:00

विश्वास का ईंधन है उदार कार्य जो उसे उपयोगी और विश्वसनीय बनाता है


वाटिकन सिटी, सोमवार, 13 नवम्बर 2017 (रेई): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 12 नवम्बर को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

इस रविवार का सुसमाचार पाठ (मती. 25: 1-13) स्वर्ग राज्य में प्रवेश पाने की शर्तों की ओर इशारा करता है जिसे दस कुँवारियों के दृष्टांत द्वारा दर्शाया गया है। ये कुँवारियाँ विवाह उत्सव में दुल्हे का स्वागत करने एवं उनकी अगवानी करने के लिए जिम्मेदार थीं। उस समय विवाह उत्सव रात में मनाने की परम्परा थी। कुँवारियाँ अपनी-अपनी मशाल के साथ तैयार थीं।"

दृष्टांत बतलाता है कि उनमें से पाँच समझदार थीं और पाँच नासमझ। नासमझ अपनी मशाल के साथ तेल नहीं लायीं थी। समझदार अपनी मशाल के साथ-साथ कुप्पियों में तेल भी लायीं थीं। दुल्हे के आने में देर हो जाने पर, सब उँघने लगीं और सो गयीं। आधी रात को आवाज आयी, देखो दुल्हा आ रहा है, उसकी अगवानी करने जाओ। तब सब कुँवारियाँ उठीं और अपनी-अपनी मशाल संवारने लगीं। नासमझ कुँवारियों ने समझदारों से कहा, "अपने तेल में से थोड़ा हमें दे दो, क्योंकि हमारी मशालें बूझ रही हैं।" समझदारों ने उत्तर दिया, "क्या जाने तुम्हारे और हमारे लिए तेल पूरा न हो। अच्छा हो, तुम लोग दुकान जा कर अपने लिए खरीद लो।" वे तेल खरीदने गयीं ही थीं कि दुल्हा आ पहुँचा। जो तैयार थीं, उन्होंने उनके साथ विवाह भवन में प्रवेश किया और द्वार बंद हो गया। बाद में, शेष कुँवारियाँ भी आकर बोलीं, "प्रभु, प्रभु हमारे लिए द्वार खोल दीजिए इस पर उसने उत्तर दिया, ‘मैं तुमसे कहता हूँ – मैं तुम्हें नहीं जानता।’ इस तरह वे बाहर ही रह गयीं।

संत पापा ने कहा, ″इस दृष्टांत के द्वारा येसु हमें क्या शिक्षा देना चाहते हैं? उन्होंने कहा, "यह हमें स्मरण दिलाता है कि हमें उनसे मुलाकात करने के लिए तैयार रहना चाहिए।" सुसमाचार में कई बार येसु हमसे जागते रहने की अपील करते हैं और इस दृष्टांत के अंत में भी यही कह रहे हैं। ‘इसलिए जागते रहो क्योंकि तुम न तो वह दिन जानते हो और न वह घड़ी।’ (पद. 13) "इस दृष्टांत द्वारा वे बतलाते हैं कि जागते रहने का अर्थ निद्रा से दूर रहना नहीं, वरन् तैयार रहना है। वास्तव में, दुल्हे के आने के पूर्व सब कुँवारियाँ सो रहीं थीं किन्तु जागने पर कुछ तैयार थी और कुछ तैयार नहीं थीं। समझदार एवं विवेकी होने का अर्थ यही है। ईश्वर की कृपा को स्वीकार करने के लिए हमें अपने जीवन के अंत तक रुकना नहीं चाहिए बल्कि उसे अभी ही स्वीकार कर लेना चाहिए।

संत पापा ने अपने अंत (मृत्यु) पर चिंतन करने का परामर्श देते हुए कहा, "इस पर चिंतन करना हमारे लिए अच्छा है कि एक दिन हमारा अंत हो जाएगा और यदि वह दिन आज ही है तो क्या मैं उसके लिए तैयार हूँ? हमें लगेगा कि अभी तो कई चीजों को करना बाकी रह गया है। संत पापा ने सलाह दी कि हम हर घड़ी उसी तरह तैयार रहें मानो कि यही मेरा अंतिम दिन है।″

दृष्टांत में मशाल हमारे विश्वास का प्रतीक है जो हमारे जीवन को प्रकाशित करता है जबकि तेल उदार कार्यों का, जो विश्वास रूपी मशाल को प्रज्वलित रखता। प्रभु के साथ मुलाकात करने के लिए तैयार रहने की शर्त न केवल विश्वास है किन्तु पड़ोसियों के प्रति प्रेम एवं दया से पूर्ण ख्रीस्तीय जीवन। यदि हम अपनी रूचि की खोज करने के द्वारा, अपने को सबसे आरामदायक लगने वाली बातों से संचालित होने देते हैं, तब हमारा जीवन बांझ के समान हो जाता है जो दूसरों को जीवन देने के योग्य नहीं रह जाता। इस तरह, हम अपने विश्वास के दीये के लिए तेल संचित नहीं कर सकते और प्रभु के आने तक अथवा उसके पहले ही हमारा मशाल बूझ जाता है। इसके विपरीत यदि हम जागरूक हैं एवं पड़ोसियों के प्रति प्रेम, उनके बीच बांटने एवं उनकी सेवा द्वारा भले कार्यों को सम्पन्न करते हैं तथा कठिनाइयों में भी धीर बने रहकर प्रभु का इंतजार करते हैं तब हमें मृत्यु से भय नहीं होगा क्योंकि हमने प्रतिदिन के भले कार्यों द्वारा तेल संचित रखा है। विश्वास उदार कार्यों के लिए प्रेरित करता है तथा उदार कार्य विश्वास को बनाये रखता।   

संत पापा ने धन्य कुँवारी मरियम से प्रार्थना करते हुए कहा, ″धन्य कुँवारी मरियम हमें उदार कार्यों द्वारा विश्वास बनाये रखने में मदद करे ताकि हमारी मशाल इस धरती की राहों पर तथा स्वर्ग में विवाह उत्सव के समय चमकती रहे।″

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितक आशीर्वाद दिया।

 देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने सूचना देते हुए कहा, "कल मड्रीड में विचेंते क्वेराल्ट लोरेते एवं 20 शहीदों और जोसे मरिया फर्नांडिस एवं 38 शहीदों की धन्य घोषणा हुई।″ नये धन्यों में से कुछ मिशनरी धर्मसंघ के सदस्य थे, जो पुरोहित, धर्माध्यक्ष, धर्मबंधु एवं नवशिष्य थे तथा कुछ लोकधर्मी भी थे जो चमत्कारी मेडल एसोसिएशन के सदस्य थे। ये स्पानी सिविल युद्ध के दौरान, 1936 -1937 के बीच, धर्म सतावट में अपने विश्वास के कारण शहीद हो गये थे। सुसमाचार एवं ख्रीस्त के महान साक्ष्य की इस कृपा के लिए हम ईश्वर को धन्यवाद दें।  

तत्पश्चात संत पापा ने देश-विदेश से एकत्रित सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया। उन्होंने कहा, "मैं आप सभी का अभिवादन करता हूँ, परिवार, पल्ली, एसोसियेशन तथा सभी विश्वासी जो इटली एवं विश्व के विभिन्न हिस्सों से आये हैं, विशेषकर, वॉशिंगटन, फिलाडेलफिया, ब्रूकलेन और न्यूयॉक के तीर्थयात्री, सरदेनिया के संत मरिया मगदलेना पल्ली के गायक दल, तोस्काना, एरकोलानो तथा वेनिस के विश्वासी।

अंत में, उन्होंने प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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