2017-11-11 15:05:00

सागर की अद्भुत दुनिया को जीवन से बेदखल कब्रस्थान किसने बनाया?


वाटिकन सिटी, शनिवार, 11 नवम्बर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 11 नवम्बर को वाटिकन स्थित क्लेमेंटीन सभागार में प्रशांत द्वीपसमूह मंच के 46 नेताओं से मुलाकात की तथा उन्हें यह सोचने हेतु प्रेरित किया कि वे आने वाली पीढ़ी के लिए किस तरह के विश्व को छोड़ना चाहते हैं। 

संत पापा ने प्रशांत द्वीप समूह क्षेत्र के लोगों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लोगों पर समुद्र के बढ़ते जल स्तर, अवरोधक चट्टान की लगातार गिरावट तथा महत्वपूर्ण समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर बाधा का गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।

उन्होंने 30 सालों पहले फिलीपींस के धर्माध्यक्षों के बेचैन कर देने वाले उस सवाल की याद दिलायी जिसमें उन्होंने पूछा था कि, ″सागर के जल की अद्भुत दुनिया को रंग और जीवन से बेदखल कब्रस्थान किसने बनाया?″ (लौदातो सी, 41)

उन्होंने कहा कि कई कारणों ने पर्यावरण के विनाश को बढ़ावा दिया है, दुर्भाग्य से, उनमें से अनेक कारण मानव की अदूरदर्शिता का परिणाम है जो प्राकृतिक एवं मानव संसाधन के शोषण से जुड़ा है जिसका प्रभाव अंततः समुद्र पर पड़ता है। 

जब हम समुद्र के जल स्तर के बढ़ने की बात करते हैं यह मुख्य रूप से तटीय गरीब जनसंख्या को प्रभावित करता है, जिनके लिए दूसरी जगह जाने का कोई उपाय नहीं है। ( 48)

संत पापा ने वैश्विक तापमान में वृद्धि की समस्या पर गौर करते हुए कहा कि इसके बारे में कई अंतरराष्ट्रीय मंचों एवं सभाओं में विचार-विमर्श किया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि कोप-23 समझौता के प्रयासों तथा आने वाले दिनों में दूसरे समझौतों में ″अत्यधिक दुर्लभ वातावरण के साथ सीमाओं के बिना पृथ्वी″ पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। यह विचार हाल में एक अंतरिक्ष यात्री द्वारा प्रकट किया गया था।  

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से अंतरिक्ष यात्रियों एवं संत पापा के बीच हुई बातचीत में एक अंतरिक्ष यात्री ने सीमा से रहित पृथ्वी का विचार प्रस्तुत किया था जिसमें हर तरह की भौगोलिक दूरियाँ लुप्त हो जाती है। संत पापा ने कहा कि यह हमें वैश्विक दृष्टिकोण, अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं एकात्मता की आवश्यकता तथा एक साझा प्रणाली का स्मरण दिलाता है जो हमें पर्यावरण के क्षरण तथा समुद्रों के स्वास्थ्य जैसी गंभीर समस्याओं के प्रति उदासीन बने रहने से बचा सकता है, और जो आज मानव एवं समाज के पतन जैसे मानव अनुभवों से जुड़ा है।

उन्होंने कहा कि न केवल भौगोलिक एवं क्षेत्रीय दूरी किन्तु इसमें समय की दूरियाँ भी सम्माहित की जा सकती है जब इस बात का एहसास हो जाए कि विश्व में सब कुछ एक-दूसरे से करीबी से जुड़ा है।

संत पापा ने कहा कि फिलीपींस के धर्माध्यक्षों की अपील के बाद करीब तीस साल गुजर चुके हैं किन्तु यह नहीं कहा जा सकता कि समुद्र एवं समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार हुआ है। हम अभी भी कई समस्याओं को झेल रहे हैं, विशेषकर, मछली पकड़ने के संसाधनों के प्रबंधन, उथले और गहरे पानी में गतिविधियां, समुद्री किनारे बसे लोगों एवं मछली पकड़ने वाले परिवारों की स्थिति तथा प्लास्टिक के कारण प्रदूषण आदि की समस्या।

संत पापा ने चिंतन करने हेतु प्रेरित करते हुए कहा, ″हमारे बाद आने वाली पीढ़ी, बच्चे जो अभी बढ़ रहे हैं, उनके लिए हम किस तरह के विश्व को छोड़ना चाहते हैं?″ उन्होंने कहा कि यह सवाल न केवल पर्यावरण से किन्तु उसके अर्थ एवं मूल्यों से भी जुड़ा है।








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