2017-11-11 14:51:00

"ख्रीस्तीय चतुरता" किसी को भ्रष्टाचार की व्यूह में गिरने से रोकती है, संत पापा


वाटिकन सिटी, शनिवार, 11 नवम्बर 2017 ( वीआर, रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने भ्रष्टाचार के शक्तिशाली नेटवर्क के खिलाफ एक बार फिर उन लोगों को याद दिलाते हुए प्रहार किया जो अपना नहीं पर दूसरों की सम्पति के साथ काम करते हैं। संत पापा ने शुक्रवार 10 नवम्बर को संत मार्था के प्रार्थनालय में पवित्र मिस्सा के दौरान संत लूकस के सुसमाचार से उस दृष्टांत पर टिप्पणी की, जहां बेईमान कारिंदा ने अपने स्वामी के देनदारों के साथ सौदा किया।

संत पापा ने कहा कि "भ्रष्टाचार का चक्रव्यूह" आज भी हमारे समाज में विद्यमान है। "भ्रष्टाचार के चक्र में शामिल लोग इतने शक्तिशाली हैं कि वे माफिया की तरह हैं।" यह पुराने जमाने की घटना या परियों की कहानी नहीं वरन् हमारे समय का तथ्य है। हम समाचार पत्रों में रोज ही इस तरह की बातें पढ़ते हैं विशेषकर जो अपनी सम्पति नहीं परंतु जनता की सम्पति के साथ कारबार करते हैं।

संत पापा ने कहा कि येसु दृष्टांत के माध्यम से शिक्षा देना चाहते थे कि आज की संतान आपसी लेन देन में ज्योति की संतान से अधिक चतुर है। उनके बड़े भ्रष्टाचार और चालाकी उनके जीवन "शैली" और "रेशम दस्ताने" द्वारा आगे बढ़ती है।

"ख्रीस्तीय चतुरता"

संत पापा ने कहा कि  ख्रीस्तीयों के बीच भी बहुत सारे भ्रष्ट लोग हैं। यदि वे येसु के प्रति विश्वासियों की तुलना में अधिक चालाक हैं उनकी मौजूदगी "ख्रीस्तीय चतुराई" की तरह है। उन लोगों के लिए जो बुरी तरह से समाप्त हुए बिना येसु का अनुसरण करना चाहते हैं। संत पापा ने प्रश्न किया कि यह "ख्रीस्तीय चतुराई" क्या है, यह पाप नहीं है लेकिन मुझे प्रभु की सेवा में आगे बढ़ने में सहायता करता है, जिसमें दूसरों की सहायता भी शामिल है।

‎ तीन मनोभाव

संत पापा ने कहा कि भ्रष्टाचार के चक्रव्यूह में गिरे बिना सुसमाचार मार्ग और ख्रीस्तीयों के जीवन पथ को येसु ने कुछ विरोधाभासों के साथ इंगित किया। जैसे ख्रीस्तीय ″भेड़ियों के बीच मेमने″  या "सांपों के समान चतुर और ″कबूतरों के समान सरल″ हैं।" "इस संबंध में संत पापा ने ख्रीस्तीय चतुरता के तीन दृष्टिकोणों की ओर इशारा किया। पहला है "स्वस्थ अविश्वास", जिसका अर्थ है कि आप उन लोगों से सावधान रहें जो "बहुत ज्यादा वादे" और "बहुत ज्यादा वार्ता" करते हैं जैसे लोग आपको "डबल फायदे" के लिए अपने बैंक में निवेश करने के लिए कहते हैं। दूसरा दृष्टिकोण है आत्मचिंतन जब हमें शैतान के मायाजाल का सामना करना पड़ता है क्योंकि वह हमारी हमारी कमजोरियों को जानता है और तीसरा है प्रार्थना।

संत पापा ने वहाँ उपस्थित भक्त समुदाय को प्रभु से चतुर ख्रीस्तीय बनने, ख्रीस्तीय चतुरता और ख्रीस्तीय जीवन मार्ग पर चलने की कृपा मांगने हेतु आमंत्रित किया। ख्रीस्तीयों के अंदर सबसे बड़ा धन है पवित्र आत्मा। इसकी हमें सुरक्षा करनी चाहिए। भ्रष्टाचार समाज को प्रदूषित करता है। संत पापा ने उन लोगों के लिए भी प्रार्थना का अर्ज किया जो भ्रष्टाचार के दलदल में फँसे हुए हैं कि वे इससे बाहर निकलने का मार्ग ढूँढ़ सकें।  








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