2017-11-07 10:48:00

पवित्रधर्मग्रन्थ बाईबिल एक परिचय- स्तोत्र ग्रन्थ, भजन 89-3


पवित्र धर्मग्रन्थ बाईबिल एक परिचय कार्यक्रम के अन्तर्गत इस समय हम बाईबिल के प्राचीन व्यवस्थान के स्तोत्र ग्रन्थ की व्याख्या में संलग्न हैं। स्तोत्र ग्रन्थ 150 भजनों का संग्रह है। इन भजनों में विभिन्न ऐतिहासिक और धार्मिक विषयों को प्रस्तुत किया गया है। कुछ भजन प्राचीन इस्राएलियों के इतिहास का वर्णन करते हैं तो कुछ में ईश कीर्तन, सृष्टिकर्त्ता ईश्वर के प्रति धन्यवाद ज्ञापन और पापों के लिये क्षमा याचना के गीत निहित हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जिनमें प्रभु की कृपा, उनके अनुग्रह एवं अनुकम्पा की याचना की गई है। इन भजनों में मानव की दीनता एवं दयनीय दशा का स्मरण कर करुणावान ईश्वर से प्रार्थना की गई है कि वे कठिनाईयों को सहन करने का साहस दें तथा सभी बाधाओं एवं अड़चनों को जीवन से दूर रखें।

"प्रभु ही हमारी रक्षा करता है। इस्राएल का परमपावन ईश्वर हमारे राजा को सम्भालता है। तूने प्राचीन काल में दर्शन देकर अपने भक्तों से कहाः मैंने एक शूरवीर की सहायता की है, जनता में एक नवयुवक को ऊपर उठाया है। मैंने अपने सेवक दाऊद को चुन कर अपने पवित्र तेल से उसका अभिषेक किया है। मेरा हाथ उसे सम्भालता रहेगा, मेरा बाहूबल उसे शक्ति प्रदान करेगा।"

श्रोताओ, ये थे स्तोत्र ग्रन्थ के 89 वें भजन के 19 से लेकर 22 तक के पदों के शब्द। इन्हीं पदों की व्याख्या से हमने विगत सप्ताह पवित्र धर्मग्रन्थ बाईबिल एक परिचय कार्यक्रम समाप्त किया था। इस तथ्य पर हम ग़ौर कर चुके हैं कि 89 वाँ भजन दाऊद के वंश पर आच्छादित गहन निराशा और हताशा के समय रचा गया था। ईशभक्त दाऊद के वंश पर आ पड़ी विपत्तियों के लिये दुःखी है किन्तु इसके बावजूद वह प्रभु ईश्वर की अनुपम शक्ति एवं उनकी सत्यप्रतिज्ञता को पहचानते हुए उनका स्तुतिगान करता है।

"प्रभु ही हमारी रक्षा करता है। इस्राएल का परमपावन ईश्वर हमारे राजा को सम्भालता है", भजन के इन शब्दों में दाऊद और उसके वंशजों से की गई की संधि को विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया गया है और प्रभु ईश्वर से राजा के लिये याचना की गई है। बाईबिल आचार्यों ने स्तोत्र ग्रन्थ के इन शब्दों को दाऊद से अधिक प्रभु येसु ख्रीस्त पर खरा उतरते दर्शाया है जिनमें ईश प्रतिज्ञा परिपूर्णता तक पहुँची। दाऊद के वंश में येसु का जन्म हुआ तथा दाऊद के वंशजों से की गई प्रतिज्ञा येसु में ही पूर्ण हुई।

आगे स्तोत्र ग्रन्थ के 89 वें भजन के 23 से लेकर 29 तक के पदों में दाऊद और उसके वंश पर प्रभु ईश्वर के आश्वासन को हम पाते हैं। ये पद इस प्रकार हैं, "कोई शत्रु धोखे से उस पर आक्रमण नहीं कर पायेगा, कोई विद्रोही उसे नीचा नहीं दिखा सकेगा। मैं उसके विरोधियों को उसके सामने मिटा दूँगा, मैं उसके बैरियों को परास्त करूँगा। मेरी सत्यप्रतिज्ञता और मेरी कृपा उसका साथ देती रहेगी। मेरे नाम के कारण उसका सामर्थ्य बढ़ेगा। मैं समुद्र पर उसका हाथ आरोपित करूँगा। और नदियों पर उसका बाहूबल। वह मुझसे कहेगाः तू ही मेरा पिता है, मेरे ईश्वर, मेरी चट्टान और मेरा उद्धारक है!

आगे 89 वें भजन के 28 वें और 29 वें पदों में प्रत्यक्ष रूप से ईश पुत्र येसु ख्रीस्त एवं आनेवाले मसीह की ओर संकेत देते हुए भजनकार कहता है, "मैं उसे अपना पहलौठा बनाऊँगा, पृथ्वी के राजाओं का अधिपति। मेरी कृपा उसपर बनी रहेगी, मेरी प्रतिज्ञा उसके लिये चिरस्थायी है।"    

श्रोताओ, प्रभु ईश्वर ने दाऊद को चुना और उसपर कृपाओं की वर्षा की। उन्होंने उसे पवित्र तेल से अभिषिक्त किया और अपने लोगों का राजा नियुक्त किया। उसी प्रकार जिस प्रकार ईश्वर ने अपने एकलौते पुत्र येसु ख्रीस्त को इस धरा पर भेजा ताकि वे लोगों को पापों से मुक्ति दिलायें तथा उनके लिये अनन्त जीवन के द्वार खोल दें। अविश्वासी नाज़रेथ की चर्चा करते हुए सन्त लूकस अपने सुसमाचार के चौथे अध्याय में बताते हैं कि येसु नाज़रेथ के सभा गृह गये जहाँ उन्हें नबी इसायस की पुस्तक पढ़ने के लिये दी गई। पुस्तक को खोलकर येसु वह पृष्ठ पढ़ा जिसमें लिखा है, "प्रभु का आत्मा मुझपर छाया रहता है, क्योंकि उसने मेरा अभिषेक किया है। उसने मुझे भेजा है, जिससे मैं दरिद्रों को सुसमाचार सुनाऊँ, बन्दियों को मुक्ति का और अन्धों को दृष्टिदान का सन्देश दूँ, दलितों को स्वतंत्र करूँ और प्रभु के अनुग्रह का वर्ष घोषित करूँ।"

श्रोताओ, वस्तुतः, राजा अभिषिक्त हो जाने के बाद दाऊद को बहुत उत्पीड़ित किया गया किन्तु उसे कोई परास्त नहीं कर पाया क्योंकि वह प्रभु ईश्वर द्वारा चुना गया था। इस प्रकार दाऊद की राजा के रूप में नियुक्ति तथा उत्पीड़न और फिर विजय सबकुछ प्रभु येसु ख्रीस्त के जन्म, उनकी प्रेरिताई, उनके दुखभोग, क्रूस मरण एवं पुनःरुत्थान की महिमा में पूर्णता तक पहुँचा और उनके द्वारा पिता ईश्वर की कृपा एवं उनका आशीर्वाद युगयुगान्तर के लोगों के लिये सुनिश्चित हो गया। सूर्य और चन्द्रमा जिस प्रकार आकाश में अटल हैं और अपने समय के अनुसार प्रकट हुआ करते हैं उसी प्रकार ख्रीस्त में सम्पन्न हुई कृपा की सन्धि अनवरत मनुष्यों पर प्रकाश बिखेरती रहती है।

89 वें भजन के 30 से लेकर 35 तक के पदों में भी भजनकार दाऊद पर ईश्वर की कृपा और ईश्वर की सत्यप्रतिज्ञता की चर्चा करता है। ये पद इस प्रकार है, "मैं उसका वंश सदा बनाये रखूँगा, उसका सिंहासन आकाश की तरह चिरस्थायी होगा। यदि उसके पुत्र मेरी संहिता का तिरस्कार करेंगे और मेरी शिक्षा पर नहीं चलेंगे, यदि वे मेरे नियमों का उल्लंघन करेंगे, तो मैं उनके अपराधों के कारण उन्हें मारूँगा, उन्हें कोड़े लगाकर अधर्म का दण्ड दूँगा। किन्तु दाऊद के लिये मेरा प्रेम चिरस्थायी है। मेरी प्रतिज्ञा सदा बनी रहेगी। मैं अपनी प्रतिज्ञा भंग नहीं करूँगा, अपने मुख से निकला वचन नहीं बदलूँगा।" 

इन पदों में भी प्रभु येसु ख्रीस्त के बारे में भविष्यवाणी निहित है। यहाँ भी ख्रीस्त एवं उनके राज्य के विषय में चर्चा है। ग़ौर करें कि धरती के किसी भी राज्य का कभी न कभी पतन हो जाता है, उसके महल खण्डहरों में परिणत हो जाते हैं किन्तु येसु ख्रीस्त द्वारा प्रसारित ईश राज्य का कभी अन्त नहीं होगा, वह चिरस्थायी है। नबी इसायाह के ग्रन्थ के 53 वें अध्याय के 10 दसवें पद में लिखा है, " प्रभु ने चाहा कि वह दुःख से रौंदा जाये। उसने प्रायश्चित के रूप में अपना जीवन अर्पित किया इसलिये उसका वंश बहुत दिनों तक बना रहेगा और उसके द्वारा प्रभु की इच्छा पूरी होगी।" और फिर नबी दानिएल के ग्रन्थ के सातवें अध्याय के 13 वें एवं 14 वें पदों में हम पढ़ते हैं, "तब मैंने रात्रि के दृश्य में देखा कि आकाश के बादलों पर मानव पुत्र जैसा कोई आया। वह वयोवृद्ध के यहाँ पहुँचा और उसके सामने लाया गया। उसे सम्मान एवं राजत्व प्रदान किया गया। सभी देश, राष्ट्र और भिन्न-भिन्न भाषा-भाषी उसकी सेवा करेंगे। उसके राज्य का कभी अन्त नहीं होगा।" इस प्रकार श्रोताओ, भजनकार ने दाऊद के द्वारा भावी मसीह येसु ख्रीस्त के आने का संकेत लोगों को दिया ताकि सबके सब ईश कृपा के सहभागी बन सकें।








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