2017-11-06 16:15:00

भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग का धर्माध्यक्ष ने किया विरोध


नई दिल्ली, सोमवार, 6 नवम्बर 2017 ( ऊकान) : भारतीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन अधिकारी ने धर्मनिरपेक्ष भारतीय संविधान को नकारने की कोशिश करने वाले एक कट्टरपंथी हिंदू पार्टी के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव धर्माध्यक्ष थेओदोर मसकरेन्हास उनके इस आग्रह से भी असहमत है कि भारत में हिंदुओं को ख्रीस्तीयों, मुस्लिम और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों से प्राथमिकता मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, "भारत धर्मनिरपेक्ष देश है और यह धर्मनिरपेक्ष ही होगा। यह धर्म से पैदा नहीं हुआ था और हम इसे किसी धर्म आधारित देश में बदलना नहीं चाहते हैं।"

धर्माध्यक्ष मस्करेन्हास मराठी भाषा के समाचार पत्र सामना (युद्ध) में 30 अक्टूबर के संपादकीय लेख पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें लिखा था भारत एक हिंदू राष्ट्र बनना चाहिए।

हिंदू समर्थक क्षेत्रीय शिवसेना पार्टी का कहना है, "भारत सबसे पहले हिंदुओं का है बाद में दूसरों के अंतर्गत आता है।" हिंदू संस्कृति को बचाने के लिए हिंसा का इस्तेमाल करने का इतिहास बनाने वाले पार्टी का कहना है कि मुस्लिमों, ख्रीस्तीयों और बौद्धों को लिए कई देश हैं, लेकिन "इस के अलावा हिंदुओं का कोई भी देश नहीं है।"

शिवसेना, आतंकवादी राजनीतिक दल, हिंदू समर्थक भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में महाराष्ट्र का नेतृत्व करती है जो संघीय सरकार और कई राज्य सरकारों के प्रमुख हैं।

धर्माध्यक्ष मस्करेन्हास ने ऊकान्यूज से कहा कि भारतीय हमेशा से अलग-अलग धर्मों के बीच "सहिष्णुता और सामंजस्यपूर्ण" सह-अस्तित्व के लिए खड़े होते रहे हैं।"इस तरह के एक छोटे समूह की राय पूरे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। हमारा विश्वास है कि इस तरह का नजरिया अधिकांश हिंदुओं का नहीं है।"








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