2017-11-06 16:52:00

ईश्वर के उपहार अटल हैं, संत पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, सोमवार, 6 नवम्बर 2017 (रेई) : ″जब ईश्वर उपहार देता है, तो यह उपहार अटल है : ईश्वर न तो अपने वरदान वापस लेता और न अपना बुलावा रद्द करता है उनका बुलावा जीवन भर के लिए रहता है।″  संत पापा फ्राँसिस ने संत मार्था प्रार्थनालय में पवित्र मिस्सा के दौरान रोमियों के नाम पत्र से लिए पाठ में मौजूद "परमेश्वर के चुनाव" विषय से अपना प्रवचन शुरु किया।

संत पापा ने कहा कि मुक्ति के इतिहास में ईश्वर ने जब लोगों को बुलाया तो उन्हें तीन वरदान दिये जो अटल हैं। वे हैं चुनाव, प्रतिज्ञा और व्यवस्थान। इन तीन वरदानों को ईश्वर ने अब्राहम को दिया और वे हम सब के लिए भी देते हैं।

हम में से प्रत्येक को ईश्वर ने चुनकर बुलाया है। हम सभी के साथ ईश्वर ने प्रतिज्ञा की है कि वे हमारे साथ रहेंगे। बदले में हमने उनके साथ चलने और निर्दोष रहने का वचन लिया है। इस प्रतिज्ञा के अनुसार चलना हम प्रत्येक पर निर्भर करता है। हम उसपर चलने या न चलने के लिए स्वतंत्र हैं। संत पापा ने कहा, हम अपने आप से प्रश्न करें। क्या हमें लगता है कि ईश्वर ने हमें चुना है? या क्या मैं संयोग से ख्रीस्तीय हूँ? मैं अपने जीवन में ईश्वर के बुलावे और उनकी प्रतिज्ञा को किस प्रकार जीता हूँ? क्या मैं व्यवस्थान के प्रति निष्ठावान हूँ? क्या ईश्वर व्यवस्थान के प्रति विश्वस्नीय हैं?

संत पापा ने कहा कि हम सभी को ईश्वर ने चुना है। वे हमारी देखभाल करते हैं। अगर हम उन्हें छोड़ भी दें तो भी वे अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार हमारे प्रति विश्वसनीय हैं।

संत पापा ने कहा आज के पाठ में संत पौलुस ने ईश्वर के बुलावे पर चार बार ″अवज्ञा″ और ″दया″ के बारे में लिखा है। ईश्वर ने सबों को अवज्ञा के पापा में फँसने दिया, क्योंकि वह सबों पर दया दिखाना चाहता था। यही हमारी मुक्ति का मार्ग है। हमारी अवज्ञा के कारण ही ईश्वर ने हमारे लिए मुक्ति का द्वार खोलने हेतु अपने पुत्र को हमारे बीच भेजा।

अंत में संत पापा ने उपस्थित भक्त समुदाय को मुक्तिदाता येसु ख्रीस्त की आराधना हेतु कुछ समय बिताने की प्रेरणा दी। ईश्वर द्वारा प्राप्त उपहारों के लिए उन्हें दिल से धन्यवाद देना और उनका प्रशंसा गान करना ही उनकी आराधना करना है। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि उपहार और ईश्वर का बुलावा अटल है।








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