2017-11-04 14:10:00

सीबीसीआई ने आदिवासी नेताओं को टिकाऊ विकास के लिए प्रेरित किया


नई दिल्ली, शनिवार 4 नवम्बर 2017 (वीआर,रेई) : नई दिल्ली में 30 और 31 अक्टूबर को भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में भारत के विभिन्न धर्मप्रांतों से आदिवासी मामलों के 38 प्रभारियों ने भाग। सम्मेलन का उद्देश्य जनजातीय मामलों के लिए सीबीसीआई कार्यालय द्वारा नियोजित पहल पर प्रतिभागियों को एक दिशानिर्देश प्रदान करना था। सम्मेलन का विषय था ‘"आदिवासी मानवाधिकार दृष्टिकोण के साथ एकता, निष्पक्षता और टिकाऊ विकास की ओर।"

सीबीसीआई के महासचिव धर्माध्यक्ष थेओदोर मसकरेन्हास एसएफएक्स ने "आदिवासियों का पुन: निर्माण: भारतीय कलीसिया की चुनौती" विषय पर प्रतिभागियों को संबोधित किया। उन्होंने आदिवासी समुदाय द्वारा सामना कर रहे कई समस्याओं पर प्रकाश डाला तथा सामान्य रुप से आदिवासी समुदाय को और विशेष रुप से आदिवासी कलीसिया जो आदिवासियों का नेतृत्व कर रहे हैं, आत्म-निरिक्षण करने हेतु आमंत्रित करते हुए कहा कि आदिवासी समुदाय का अस्तित्व दांव पर है और हमारे नींद से जागने का समय है। उन्होंने आदिवासियों के अधिकारों और अन्य मानवाधिकारों के बारे में जागरूक रहने के लिए पुरोहितों, धर्मसंघियों और लोकधर्मियों को सचेत किया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को आदिवासियों के हित के लिए जोश रखने हेतु चुनौती दी।

सम्मेलन में कारितास इंडिया के निदेशक फादर फेड्रिक डिसूजा, शिक्षा और संस्कृति के लिए सीबीसीआई कार्यालय के सचिव फादर जोसेफ मानीपादम, एससी और बीसी के लिए सीबीसीआई कार्यालय के सचिव फादर देव सहायराज, और सुप्रीम कोर्ट के एक प्रख्यात वकील डॉ एम.पी.राजू ने प्रतिभागियों को सत्ता, राजनीति और आर्थिक ताकतों के परस्पर क्रिया को समझने में सहायता दी जो आदिवासियों को उपनगरों से दूर खदेड़ रही है।

भारत में आदिवासी परिस्थितियों के सामाजिक-सांस्कृतिक विश्लेषण पर एक सत्र,  तेजपुर विश्वविद्यालय, असम के समाजशास्त्र विभाग के प्रधान आदिवासी प्रोफेसर वर्जीनियुस खाखा ने दिया, जिन्होंने उत्तेजक सवालों से प्रतिभागियों को चुनौती दी।

दिल्ली के महाधर्माध्यक्ष अनिल कुट्टो ने दिल्ली और अन्य शहरों में प्रवासियों और घरेलू आदिवासी श्रमिकों की आध्यात्मिक देखभाल के साथ जुड़े जटिलताओं पर प्रकाश डाला। फादर सत्य प्रकाश तिग्गा, एसजे और श्री जॉन दयाल ने भी प्रतिभागियों को संबोधित किया और उन्हें अपने धर्मप्रांत के कार्यालयों में लौटने पर आदिवासी विकास और सशक्तिकरण के लिए ठोस कार्य योजना तैयार करने में निर्देश दिया।

आदिवासी मामलों के लिए सीबीसीआई कार्यालय सचिवालय के तत्वावधान में अलग-अलग धर्मप्रांत, क्षेत्र और राज्यों के साथ मिलकर नेटवर्क के लिए एक ठोस कार्य योजना बनाई गई।








All the contents on this site are copyrighted ©.