2017-11-04 15:34:00

काथलिक विश्वविद्यालयों के अंतरराष्ट्रीय संघ को संत पापा का सुझाव


वाटिकन सिटी, शनिवार, 4 नवम्बर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 4 नवम्बर को काथलिक विश्वविद्यालयों के अंतरराष्ट्रीय संघ के 230 सदस्यों के साथ वाटिकन में मुलाकात की, जिन्होंने रोम में काथलिक विश्वविद्यालयों के अंतरराष्ट्रीय संघ द्वारा आयोजित ″वैश्विक जगत में विस्थापित एवं शरणार्थी : विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी एवं प्रत्युत्तर″ विषयवस्तु पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया है।

संत पापा ने स्मरण किया कि विश्वविद्यालयों का यह संघ करीब सौ सालों तक ″शियात उत सेरवियात″ (वह जानता है कि सेवा कर सकता है) के उद्देश्य को ध्यान में रखकर उच्च स्तर पर काथलिक प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया है। संत पापा ने कहा कि इस प्रशिक्षण का एक अनिवार्य पहलू है एक अधिक न्यायसंगत एवं मानवीय विश्व के निर्माण की सामाजिक जिम्मेदारी। यही कारण है कि समकालीन पलायन की वैश्विक और जटिल वास्तविकता द्वारा उन्हें प्रश्न किया जाता है तथा एक वैज्ञानिक, धार्मिक और शैक्षणिक चिंतन स्थापित किया गया है जिसकी जड़ें कलीसिया के सामाजिक सिद्धांत में गहरी हैं जो विस्थापन की घटनाओं के ज्ञान की कमी संबंधित पूर्वाग्रहों एवं भय को दूर करने का प्रयास कर रहा है।    

संत पापा ने उनके कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें तीन प्रमुख क्षेत्रों पर काम करने की आवश्यकता बतलायी, अनुसंधान, शिक्षा एवं सामाजिक प्रोत्साहन। 

सम्मेलन की विषयवस्तु "वैश्विक जगत में विस्थापित एवं शरणार्थी : विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी एवं प्रत्युत्तर" पर चिंतन करते हुए संत पापा ने कहा कि उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान को ईशशास्त्र के साथ सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया है तथा तर्क एवं विश्वास को वार्ता में डालने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि जबरन पलायन के मूल कारणों का पता लगाने के लिए यह एक सटीक उपाय है ताकि इसका ठोस समाधान निकाला जा सके क्योंकि यह सुनिश्चित करना प्राथमिक आवश्यकता है कि विस्थापन के लिए मजबूर नहीं किया जाना, लोगों का अधिकार है।

उन्होंने इस बात पर भी चिंतन करने हेतु प्रेरित किया कि विभिन्न देशों की प्रचीन ख्रीस्तीय परम्पराओं के कारण शरणार्थियों को नकारात्मक, भेदभाव एवं अजनबी जैसी प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ता है। संत पापा ने सम्मेलन के सदस्यों से अपील की कि इन मुद्दों पर अधिक जागरूकता उत्पन्न की जाए।  

संत पापा फ्राँसिस ने उन योगदानों को रेखांकित किया जिनके द्वारा प्रवासियों और शरणार्थियों को समाज में सहयोग दिया जा सके। उनको स्वीकारा एवं उन्हें आशा प्रदान किया जा सके। विश्व- विद्यालयों में शरणार्थियों से संबंधित ऐसे कार्यक्रमों को बढ़ावा मिले जो विभिन्न स्तरों पर शरणार्थियों की शिक्षा को प्रोत्साहन देता हो। जिसमें उन्होंने ऐसी सुविधाओं का भी जिक्र किया जिनके माध्यम से दूर, किसी शिविर अथवा शरणार्थी केंद्र से ही पढ़ाई जारी रखा जा सके एवं उन्हें भी शिक्षा प्राप्त करने हेतु अनुदान मिल सके।    

अपने सम्बोधन में संत पापा ने काथलिक शिक्षकों से अपील की कि वे अपने विद्यार्थियों को, भावी राजनीतिक नेता, उद्यमियों और संस्कृति के कलाकार, पलायन की घटनाओं के सावधानीपूर्वक अध्ययन, न्याय तथा वैश्विक सह-जिम्मेदारी के परिप्रेक्ष्य में शिक्षा दें।

संत पापा ने कहा कि विस्थापन की इस जटिल समस्या के मद्देनजर, समग्र मानव विकास हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के शरणार्थी और विस्थापन विभाग ने 20 कार्य योजनाओं का सुझाव दिया है। इस प्रक्रिया को सहयोग देने के क्रम में जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दो वैश्विक समझौतों को अपनाने हेतु प्रेरित करेगी जिससे कि 2018 के अंत तक विस्थापितों एवं शरणार्थियों को स्वीकारा जा सकें।

संत पापा ने कहा कि इस क्षेत्र में तथा सामाजिक क्षेत्र के अलावा अन्य भागों में भी विश्व विद्यालय एक विशेषाधिकार प्राप्त अभिनेता की तरह अपनी भूमिका अदा कर सकता है, जैसे कि शरणार्थियों, शरण चाहने वालों और नये आये प्रवासियों को सहायता देने के कामों में छात्रों को स्वयंसेवक के रूप में प्रोत्साहन देकर।








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