2017-11-03 12:53:00

मृत कार्डिनलों एवं धर्माध्यक्षों के आदर में सन्त पापा ने अर्पित किया ख्रीस्तयाग


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 3 नवम्बर 2017 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन में शुक्रवार, तीन नवम्बर को सन्त पापा फ्राँसिस ने मृत कार्डिनलों एवं धर्माध्यक्षों के आदर में ख्रीस्तयाग अर्पित कर उनकी आत्माओं की चिरशांति के लिये प्रभु ईश्वर से प्रार्थना की।

ख्रीस्तयाग प्रवचन में सन्त पापा ने कहा, "आज का समारोह एक बार फिर हमारे समक्ष मौत की वास्तविकता को प्रस्तुत करता है। यह हमारे प्रियजनों से अलग होने के दुःख को एर बार फिर नवीकृत कर देता है फिर भी महत्वपूर्ण तथ्य यह कि आज की धर्मविधि उनके लिये तथा हमारे लिये भी आशा को प्रगाढ़ बनाती है।"  

सन्त योहन रचित सुसमाचार में निहित प्रभु येसु के शब्दों को उद्धृत कर उन्होंने कहा, "प्रभु येसु ख्रीस्त जब यह कहते हैं कि मैं जीवन की रोटी हूँ, तब वे हमारी आशा को मज़बूत करते हैं।"

सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि येसु ने हमारे ख़ातिर मृत्यु को स्वीकार किया तथा हमें पापों से मुक्ति दिलाई। उन्होंने मृत्यु तक हमारी स्थिति को अपने ऊपर लिया और फिर मुर्दों में पुनः जी उठकर हमें नवजीवन प्रदान किया।

सन्त पापा ने कहा, "मनुष्यों के प्रति अपने प्रेम के ख़ातिर येसु ने मृत्यु के जुए को तोड़ दिया तथा हमारे लिये जीवन के द्वार खोल दिये इसलिये उनका शरीर एवं उनका रक्त ग्रहण करनेवाले लोग उनके विश्वसनीय प्रेम में बँधे रहते हैं जो बुराई, पीड़ा एवं मृत्यु की निश्चयात्मक विजय का संकेत है। मसीही बलिदान के इसी दिव्य बँधन के आधार पर हमारा यह विश्वास सुदृढ़ होता है कि मृत्यु कोई भ्रम अथवा इच्छा मात्र नहीं है बल्कि यह एक वास्तविकता है।"

उन्होंने कहा, "इसीलिये जिस विश्वास की हम अभिव्यक्ति करते हैं वह हम स्त्री-पुरुषों को निराशा के नहीं बल्कि आशा के स्त्री-पुरुष बना देता है। पुनर्जीवित ख्रीस्त के साथ एकता का बन्धन ही अनन्त जीवन में विश्वास का आधार है।"         

सन्त पापा ने कहा कि ईश वचन हममें अनन्त जीवन की आशा का संचार करता है और इसीलिये इस धरती पर अपनी तीर्थयात्रा के बाद हम विश्वासपूर्वक मृत्यु का सामना कर पाते हैं ताकि अनन्त जीवन में प्रवेश कर सकें। 








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