2017-11-02 16:26:00

कश्मीर में शांति हेतु हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख और ईसाई एकजुट


श्रीनगर, बृहस्पतिवार, 2 नवम्बर 2017 (ऊकान): भारत के हिंसाग्रस्त क्षेत्र जम्मू एवं कश्मीर के हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख और ईसाई धर्मगुरूओं ने श्रीनगर के एक गिरजाघर की घंटी बजाकर प्रतीकात्मक रूप से शांति स्थापना का परिचय दिया।

पल्ली पुरोहित फादर मैथ्यू ने कहा कि धार्मिक नेताओं ने 29 अक्तूबर को पवित्र परिवार को समर्पित 120 वर्षों पुराने काथलिक गिरजाघर की घंटी को, 50 वर्षों बाद पहली बार बजाया जो पहले बंद पड़ा था। घंटी एवं घंटाघर 1967 में क्षतिग्रस्त हो गया था जिसका मरम्मत पल्ली के आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण नहीं हो पा रहा था। पल्लीवासियों ने इस वर्ष 105 किलोग्राम का एक घंटा दान किया है।

उन्होंने कहा, ″हम इस अवसर को अन्य धर्मों के हमारे शुभचिंतकों के साथ बांटना चाहते थे जिन्होंने हमारे साथ शामिल होकर शांति, सामान्य स्थिति, भाईचारा एवं आस्था और मूल्यों के प्रति आपसी सम्मान के लिए प्रार्थना की है।″   

उन्होंने कहा कि भारत के एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य जम्मू एवं काश्मीर में, धार्मिक सहिष्णुता को लेकर कश्मीर के बाहर काफी ग़लत सोच है। विश्व के लिए हमारा संदेश स्पष्ट है कि हम सब एक हैं तथा एक-दूसरे को स्वीकार करते हैं।

मंजूर अहमद मलिक नामक एक मुस्लिम जिसने गिरजाघर के इस समारोह में भाग लिया, अन्य धर्मों के लोगों को भी वहाँ पाकर खुशी जाहिर करते हुए ऊका समाचार को बतलाया, ″हम विश्व को शांति का संदेश देना चाहते हैं।″

उन्होंने अफसोस जताया कि मुसलमानों को भारत तथा भारत से बाहर, अन्य धर्मों के प्रति असहिष्णु रखने वालों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

मलिक ने कहा, ″लोग यहाँ शांति पसंद करते और शांति से जीते आये हैं।″

भारतीय शासन से अपने को मुक्त करने एवं मुस्लिम राज्य स्थापित करने हेतु संघर्ष के कारण भारतीय पक्ष के कश्मीर ने सशस्त्र उग्रवाद देखा है। सन् 1990 में जब यह विद्रोह अपने चरम पर थी, काश्मीर के हज़ारों हिन्दूओं को जो काश्मीरी पंडित के नाम से जाने जाते हैं उन्हें घाटी की ओर भागना पड़ा था।

मलिक ने कहा कि आज कलीसिया के इस समारोह में कश्मीरी पंडितों के लिए संदेश है कि वे वापस लौटें। ″हमारी चाह है कि वे वापस आयें एवं पहले की तरह जीवन यापन करें।″








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