2017-11-01 14:49:00

सीरिया में एक करोड़ से अधिक लोगों को सहायता की जरूरत : यू एन


जिनेवा, बुधवार,1 नवम्बर 2017(एशियान्यूज) : ″सीरिया के रक़्क़ा और दायर-एज़-ज़ूअर शहरों के आसपास के इलाक़ों में दाएश के चरमपंथियों को हराने के बाद कुछ राहत के संकेत तो हैं मगर आतंकवाद पूरी तरह परास्त नहीं हुआ है।″ सीरिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत स्तफ़ाँ डी मिस्तूरा ने सुरक्षा परिषद को ताज़ा हालात की जानकारी देते हुए ये बात कही।

 उन्होंने ये भी बताया कि सीरिया मुद्दे पर विभिन्न पक्षों के बीच बातचीत का ताज़ा दौर 28 नवम्बर को जिनेवा में फिर से शुरू होगा।

 संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता प्रमुख मार्क लोकोक ने कहा है कि सीरिया में एक करोड़ 30 लाख से ज्यादा लोगों को अभी भी मानवीय सहायता की आवश्यकता है और इनमें से लगभग आधे लोग, जो घर बार छोड़ कर भाग चुके हैं और भोजन, स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित हैं, उन्हें इन सहायताओं की ‘‘बेहद आवश्यकता’’ है।

मार्क लोकोक ने सुरक्षा परिषद को बताया कि देश के भीतर ही लंबे समय से विस्थापित हो रहे सीरियाई लोग की संख्या 63 लाख से घटकर 61 लाख रह गई है। जनवरी से सितंबर के बीच 18 लाख लोगों को कथित रूप से अपने स्थानों को छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। जॉर्डन के अम्मान से वीडियों कान्फ्रेंसिंग के जरिए उन्होंने कहा कि नवंबर 2016 में वह अभियान शुरू हुआ था जिसमें रक्का शहर से इस्लामिक स्टेट को खदेड़ दिया गया था, तब से हवाई हमलों और संघर्षों के चलते 4,36,000 लोग अन्य स्थानों पर चले गए और कम से कम 30 लाख लोग ऐसे स्थानों पर हैं जहां मानवीय जरूरतों को पहुंचने में सहायता एजेंसियों को कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

विशेष दूत स्तफ़ाँ डी मिस्तूरा का कहना था कि रक्का में दाएश के चरमपंथियों के खिलाफ मिली कुछ जीत या बढ़त पर जश्न मनाने से गलत सन्देश जा सकते हैं। क्योंकि बहुत से इलाकों में हिंसा कम तो हुई है मगर अब भी बहुत से इलाकों में गोलाबारी और हवाई हमले जारी हैं। “हिंसा में कमी लाने की कोशिशों और उपायों को अक्सर गम्भीर कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन फिर भी ये उपाय कामयाब साबित भी हो रहे हैं।”

स्तफ़ाँ डी मिस्तूरा का ये भी कहना था कि सीरिया में टिकाऊ शान्ति स्थापित करने के लिए पूरे देश में मज़बूती के साथ युद्धविराम लागू किया जाना बहुत जरूरी है। जिनेवा में शुरू होने वाली बातचीत में वास्तविक मुद्दों पर गम्भीरता से विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने सुरक्षा परिषद से इस बातचीत को और ज़्यादा समर्थन और मदद देने की भी अपील की।








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