2017-10-25 14:31:00

कंधमाल हिंसा से बचे लोगों के लिए मदद की अपील


नई दिल्ली, बुधवार, 25 अक्टूबर 2017 (मैटर्स इंडिया): भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महिला उत्थान विभाग ने काथलिक धर्मगुरूओं एवं काथलिक विश्वासियों से अपील की है कि वे कंधमाल के ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा से जीवित बचे लोगों के प्रति एकात्मता दिखाएँ।

राष्ट्रीय सचिव सिस्टर तालिशा नाडूकूदीयेल ने 16 अक्टूबर को धर्माध्यक्षों एवं कलीसिया के धर्मगुरूओं को लिखे पत्र में कहा, ″काथलिकों के रूप में हमारा कर्तव्य है कि हम हमारे समय की समस्याओं एवं आवश्यकताओं में अपने भाई-बहनों की सहायता करें। अतः सम्मेलन से आग्रह की जाती है कि इस मामले को गंभीरता से लें तथा उन्हें हर तरह से मदद करने का प्रयास करें। आइये, हम एक साथ क्रूस ढोने में उनकी मदद करें।″  

भारत के विभिन्न हिस्सों से 22 महिलाओं की समिति ने 2 से 4 अक्टूबर तक कंधमाल का दौरा किया था तथा जिला के 12 जगहों में जाकर स्थिति का अवलोकन भी किया था। उन्होंने हिंसा से प्रभावित एवं भयभीत लोगों से बातें की थी तथा उन्हें स्वतंत्रता, अधिकार और भारतीय संविधान प्रदत्त विशेषाधिकारों की जानकारी दी थी।

राष्ट्रीय महिला सचिव ने कहा, ″हमारे पास एक खुला मंच था जिसमें उन्होंने अपने भय एवं चिंता को व्यक्त किया। उन सरल एवं विनम्र लोगों का अनुभव सुनकर हमारी समिति बहुत प्रभावित हुई। पीड़ा एवं अत्याचार के बावजूद उन लोगों का विश्वास डिगा नहीं। उनके अटूट विश्वास ने पीड़ितों तक पहुँचने में हमारा पथ आलोकित किया है।″  

उन्होंने कहा कि यह कलीसिया का मौलिक कर्तव्य है कि वह लोगों की चिंता करे तथा पल्लियाँ महिलाओं एवं बच्चों की प्रतिष्ठा को बढ़ावा देने हेतु मध्यस्थ बनें।

विदित हो कि कंधमाल में 2008 में हुए ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा के दौरान करीब 100 लोगों को मार डाला गया था जबकि 56,000 लोग बेघर हो गये थे। इस हिंसक घटना की शुरूआत हिन्दू नेता स्वामी लक्ष्मानन्द सरस्वती की हत्या के बाद हुई थी जिसका आरोप ख्रीस्तीयों पर लगाया गया था।

ख्रीस्तीयों को प्रताड़ित करने के दौरान करीब 300 गिरजाघरों, धार्मिक संस्थाओं एवं 600 घरों को ध्वस्त कर दिया गया था और हिन्दू धर्म स्वीकार नहीं करने पर कुछ लोगों को जिंदा जला दिया गया था।

सिस्टर तालिशा ने बतलाया कि महिलाओं के दल ने पीड़ित लोगों के साथ संबंध जोड़ने का प्रयास किया, खासकर, महिलाओं के साथ।

उन्होंने कंधमाल के लोगों के लिए मदद की अपील करते हुए कहा कि काथलिक मूक दर्शक नहीं हैं किन्तु ऐसे लोग हैं जिनमें ख्रीस्त पर विश्वास का साक्ष्य देने के लिए अदम्य साहस है। उन्होंने कहा कि वे लोग अपने परिवारों के पुनःनिर्माण में जुटे हैं और ऐसे समय में उन्हें मात्र सहानुभूति जताना एवं उनकी दुखद कहानी सुनना काफी नहीं है बल्कि उनके पुनःनिर्माण कार्य में सहभागी होना है। इस कार्य में भारत की पूरी कलीसिया को भाग लेना चाहिए क्योंकि बाहर के लोग इस परिस्थिति की गंभीरता से अवगत नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि उन्हें बच्चों की शिक्षा एवं उनके भविष्य की चिंता करनी चाहिए, विस्थापित महिलाओं के लिए नौकरी पाने में सहायता देना चाहिए जो सब कुछ खो जाने के कारण जीविका के लिए जंगलों पर ही निर्भर हैं।

उनका जीवन पूरी तरह प्रकृति एवं लोगों की मेहरबानी पर निर्भर है अतः हमें उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद देना चाहिए। 








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