2017-10-20 16:36:00

पाखंड और चालबाजी हमारे लिए बुरी है, संत पापा


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2017(रेई) : ″पाखंड और चालबाजी का जीवन जीने के बजाय ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे हमें आंतरिक सच्चाई की कृपा प्रदान करें।″ उक्त संदेश संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 20 अक्टूबर को वाटिकन के प्रेरितिक निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में प्रातःकालीन ख्रीस्तयाग के दौरान वहाँ उपस्थित विश्वसियों को दिया।

रोमियों के नाम संत पौलुस के पत्र से लिये गये पहले पाठ पर चिंतन करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि ईश्वर हमेशा हमें स्वतंत्र रुप से क्षमा देते हैं। क्षमा को हम अपनी शक्ति से अर्जित नहीं कर सकते। ईश्वर ने हमें आदि पाप से मुक्त किया है और जब कभी हम अपने पापों की गठरी ईश्वर के समक्ष खोल देते हैं तो वे हमेशा हमारे पापों को क्षमा कर देते हैं। ईश्वर के असीम प्रेम और क्षमा के प्रत्युत्तर में हम भी भलाई के कार्य करते हैं।

पाखंडी अच्छे बनने का दिखावा करते हैं।

संत पापा ने संत लूकस के सुसमाचार पाठ पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि लोग अपने आप को धर्मी और संत के रुप में प्रकट करने की कोशिश करते और औचित्य चाहते हैं। ऐसा करने वाले पाखंडी लोग हैं जो अंदर से बुरा जीवन जीते और बाहर से अच्छा और पवित्र जीवन जीने का दिखावा करते हैं। वे लोगों को दिखाने के लिए दान देते, भलाई के काम करते और धंटों प्रार्थना करते हैं। उनके जीवन की कोई सार्थकता नहीं है वे मिथ्या जीवन जीते हैं।

येसु हमें सच्चा जीवन जीने का आह्वान करते हैं।

येसु हमें सदा सच्चाई का साथ देने और विशुद्ध जीवन जीने का मार्ग बताते हैं। वे कहते हैं कि हम ऐसी जगह में प्रार्थना करें जहाँ औरों की नजर न पड़े। अपनी कमजोरियों से उबरने के लिए उपवास प्रार्थना करें। तथा दान इस तरह दें कि किसी को भी पता न चले, जैसे दाहिना हाथ जो भी कर रहा हो, बायें हाथ को भी पता न चले।

दिखावा जीवन हमारे लिए बहुत बुरा है

संत पापा ने जोर देकर कहा कि पाखंड और दिखावटी जीवन हमारे लिए बुरा है अतः हम प्रभु से आंतरिक सच्चाई के लिए कृपा मांगें। अपनी गल्तियों को स्वीकार करें और पापों के लिए क्षमा मांगे। प्रभु हमेशा हमें क्षमा देते हैं।  

ईश्वर से सच्चाई छिपी नहीं है।  संत पापा ने प्रवचन के अंत में भक्त समुदाय को सदा सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हुए कहा, ″आइये, हम ईश्वर के सामने सच्चा जीवन जीयें। दूसरों पर आरोप लगाने के बदले या अपने पापों को छिपाने के बजाय दीनतापूर्वक स्वीकार करें।″  








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