2017-10-19 16:30:00

ईश्वर की मुक्ति का वरदान हमें उदार बनाता है


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 19 अक्टूबर 2017 (रेई): प्रभु हमें मुक्ति, सामीप्य एवं दया के ठोस कार्यों जैसे ईश्वर प्रदत्त मुफ्त उपहार का स्मरण दिलाये, चाहे वह भौतिक हो अथवा आध्यात्मिक। जिससे हम वह व्यक्ति बन सकेंगे जो अपने तथा दूसरों के लिए द्वार खोलने में मदद करते हैं। यह प्रार्थना संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार, 19 अक्टूबर को वाटिकन स्थित संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तायाग के दौरान की। 

ख्रीस्तयाग में प्रवचन देते हुए संत पापा ने संत लूकस रचित सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया जहां सदूकी एवं फरीसी अपने को धर्मी मानते हैं किन्तु येसु उनके सामने ईश्वर के न्याय को प्रस्तुत करते हैं।

संत पापा ने कहा कि संहिता के पंडितों ने ज्ञान को अपने ऊपर ले लिया था, परिणामतः स्वर्ग राज्य में न दूसरों को प्रवेश करने देते और न ही खुद प्रवेश करने का प्रयास कर रहे थे।

संत पापा ने कहा कि यह हमें ईश्वर की प्रकाशना को समझने में मदद देता है, उनके हृदय और उनकी मुक्ति को जो की ज्ञान की कुंजी है। उन्होंने कहा कि जब हम मुक्ति के वरदान को भूल जाते, ईश्वर के सामीप्य की याद और उनकी दया का स्मरण नहीं करते हैं तो यह एक गंभीर उपेक्षा है। मुक्ति के दान, ईश्वर की करीबी और उनकी दया को अपने ऊपर लेने वाले लोग ज्ञान की चाभी को अपने पास रख लेते हैं।

संत पापा ने कहा कि यह ईश्वर की पहल थी कि उन्होंने हमें बचाने के लिए पहला कदम उठाया। जब हम उनके इस महान दान को भूल जाते हैं तब हम मुक्ति इतिहास के ज्ञान को खो देते हैं और इस तरह ईश्वर के करीब होने के एहसास को भी खो देते हैं।

उनके लिए ईश्वर वे हैं जिन्होंने नियम की रचना की है अतः वे ईश्वर की प्रकाशना पर विश्वास नहीं करते। प्रकाशना के ईश्वर वे हैं जिन्होंने अब्राहम से लेकर येसु ख्रीस्त तक हमारे साथ चले, वे अपने लोगों के लिए उनके साथ आगे बढ़े और जब हम प्रभु के साथ इस गहरे संबंध को खो देते हैं तब हम नीरस मानसिकता वाले हो जाते हैं जो कि नियम पालन द्वारा आत्म संतुष्टि पर विश्वास करता है।

संत पापा ने कहा कि जब ईश्वर का सामीप्य नहीं रह जाता, तब वहाँ प्रार्थना का भी नहीं अभाव होता है। ईश्वर के साथ सामीप्य की चरम सीमा क्रूसित येसु ख्रीस्त में प्रकट होती है उनके रक्त की कीमत पर। यही कारण है कि संत पापा ने ‘दया के कार्यों’ को नियम पूरा करने का आधार बतलाया क्योंकि यह ख्रीस्त के शरीर का स्पर्श है। संत पापा ने सचेत किया कि जब ज्ञान की कुंजी खो जाती है तो यह भ्रष्टाचार है। संत पापा ने कलीसिया के चरवाहों की जिम्मेदारी की याद करते हुए कहा कि जब वे ज्ञान की कुंजी को अपने ऊपर ले जाते हैं तो वे अपने और दूसरों के लिए द्वार बंद कर देते हैं।

संत पापा ने याद किया कि जब विवाह संस्कार के बाहर जन्मे बच्चों को बपतिस्मा देने से इनकार किया जाता है तो यह उनके लिए द्वार बंद करना है जो ईश्वर की प्रजा के लिए ठोकर का कारण है क्योंकि उन पल्ली पुरोहितों ने ज्ञान की कुँजी खो दी है। संत पापा ने कहा कि माता-पिता की समस्या के कारण पुरोहित बच्चों को बपतिस्मा संस्कार से वंचित न करें।

संत पापा ने कलीसिया के चरवाहों के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया ताकि वे ज्ञान की कुंजी को न खो दें एवं उन लोगों के लिए द्वार बंद न करें जो प्रवेश करना चाहते हैं।








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