2017-10-17 17:08:00

जो सुनना नहीं जानते उनका विश्वास विचारधारा बन जाता है, संत पापा


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 17 अक्तूबर 2017 (रेई): मूर्खता में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि यह ईशवचन को सुनने में असमर्थ बना देता है तथा भ्रष्टाचार की ओर ले चलता है। यह बात संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

संत पापा ने प्रवचन में ″मूर्खता″ पर चिंतन करते हुए कहा कि जब लोग मूर्खता, दिखावा, मूर्तियों या विचारधाराओं को पसंद करते हैं तब येसु को दुःख होता है। येसु फरीसियों को मूर्खों की संज्ञा देते हैं (लूक. 11:37-41), जबकि संत पौलुस उन्हें गैरयहूदी पुकारते हैं। (रोम. 1:16-25).  

संत पापा ने कहा कि मूर्खों का रास्ता उन्हें भ्रष्टाचार की ओर ले जाता है। संत पापा के अनुसार तीन तरह के मूर्ख भ्रष्ट हो जाते हैं।

पहला, संहिता के पंडित। येसु कहते हैं कि वे पुती हुई कब्रों के समान हैं। वे भ्रष्ट इसलिए हो जाते हैं क्योंकि वे केवल बाह्य चीजों पर ध्यान देते हैं जो कि बाहर से तो आकर्षक होता है किन्तु अंदर नहीं। वे अभिमान और दिखावा के कारण भ्रष्ट हैं।

दूसरा, गैरयहूदी जो मूर्ति पूजा के कारण भ्रष्ट थे। वे भ्रष्ट थे क्योंकि उन्होंने ईश्वर को महिमा देने के बदले मूर्तियों को प्राथमिकता दी थी जो अपनी गलतियों को अपने विवेक के द्वारा समझ सकते थे। कुछ मूर्तिपूजक आज भी हैं जो उपभोक्तावाद को महत्व देते अथवा आराम के देवता की पूजा करते हैं।

तीसरा, ख्रीस्तीय जो विचारधारा के गुलाम हैं। संत पापा ने कहा कि वे ख्रीस्तीय नहीं बल्कि ख्रीस्तीयता की विचारधारा बन गये हैं।

संत पापा ने कहा कि ये तीनों दल अपनी मूर्खता के कारण भ्रष्टाचार के शिकार बनते हैं।

मूर्खता को स्पष्ट करते हुए संत पापा ने कहा, ″नहीं सुनना एक मूर्खता है, शाब्दिक रूप में इसे ‘नेशियो’ (मैं नहीं जानता) कहा जा सकता है। वचन को नहीं सुन सकते की असमर्थता। संत पापा ने कहा कि वचन हममें प्रवेश नहीं करता क्योंकि हम उसे नहीं सुनते हैं। मूर्ख नहीं सुनता है। वह सोचता है कि वह सुन रहा है किन्तु नहीं सुनता। वह हमेशा ऐसा ही करता है इसी के कारण ईश्वर का वचन उसके हृदय में प्रवेश नहीं कर पाता है और प्रेम के लिए उसके पास कोई स्थान नहीं होता। यदि यह प्रवेश भी करता है तो उसकी अपनी धारणाओं के साथ। मूर्ख सुनना नहीं जानता और उसका यह बहरापन उसे भ्रष्टाचार की ओर अग्रसर करता है। इस तरह उसमें स्वतंत्रता भी नहीं रह जाती। 

इस तरह वह दास बन जाता है क्योंकि वह ईश्वर की सच्चाई को झूठ में परिणत करती है तथा सृष्टिकर्ता की पूजा करने के बदले सृष्ट वस्तुओं की पूजा करता है।

संत पापा ने विश्वासियों का आह्वान करते हुए इन तीन तरह के मूर्खों की ओर गौर करने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आज मूर्ख ख्रीस्तीय हैं और कुछ मूर्ख चरवाहे भी। संत अगस्टीन के शब्दों का स्मरण दिलाते हुए उन्होंने कहा कि चरवाहे सुदृढ़ रहें क्योंकि उनका निरा आलस्य रेवड़ को चोट पहुँचाता है। संत पापा ने कहा कि हमारी मूर्खता के बावजूद प्रभु सदा हमारे द्वार पर दस्तक देते हैं, वे हमारा इंतजार करते हैं। हम याद करें कि प्रभु को हमारी मूर्खता से दुःख होता है क्योंकि उन्होंने हमारे साथ प्रेम संबंध स्थापित किया है।








All the contents on this site are copyrighted ©.