2017-10-16 18:01:00

विश्व खाद्य दिवस पर संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, सोमवार, 16 अक्टूबर 2017 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार, 16 अक्टूबर विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर रोम स्थित "खाद्य एवं कृषि संगठन" (एफएओ) मुख्यालय द्वारा आयोजित विश्व खाद्य दिवस समारोह में भाग लिया।

संत पापा ने "खाद्य एवं कृषि संगठन" के महानिदेशक जोस ग्राजियानो दा सिल्वा और वहाँ उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित किया। उन्होंने अपने संदेश में कहा,″ आज हम संयुक्त राष्ट्र द्वारा 16 अक्टूबर, 1945 को रोम में "खाद्य एवं कृषि संगठन"(एफएओ) की स्थापना दिवस की याद करते हैं जिसका उद्देश्य विश्व भर में फैली भुखमरी की समस्या के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ाना और भूख, कुपोषण और गरीबी के खिलाफ संघर्ष को मजबूती देना था। उस समय विश्व युद्ध के कारण लाखों लोग जीवन रक्षा हेतु सुरक्षित स्थानों और जीविका की खोज में थे। अतः खाद्य सुरक्षा द्वारा मानवीय गतिशीलता को द्खते हुए एफएओ को शुरु किया गया। आज की वास्तविकता धरती के आवश्यक उत्पादन और उचित वितरण सुनिश्चित करने के साथ सभी स्तरों पर अधिक जिम्मेदारी की मांग करती है विशेषकर सभी लोगों की मौलिक जरुरतें पूरा हो और उनके अधिकारों की सुरक्षा हो।

संत पापा ने भूख और प्रवासन की वैश्विक समस्या पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इन समस्याओं की जड़ है संघर्ष और जलवायु परिवर्तन। संघर्ष कैसे रोका जाये? अतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार लम्बे समय से चले आ रहे अकाल और सामाजिक ढाँचे के विनाश से बचे रहकर संघर्ष को रोका जा सकता है। दशकों से चली आ रही विनाशकारी युद्ध ने लाखों लोगों को प्रभावित किया और उन्हें विस्थापित होने के लिए मजबूर किया है। इससे लाखों लोग भूख और कुपोषण के शिकार हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत हमें व्यवस्थित रुप से निरस्त्रीकरण और हथियारों की तस्लकी जैसे भयंकर प्लेग को रोकने का हर संभव प्रयास करनी चाहिए।

संत पापा ने कहा,″जलवायु परिवर्तन का प्रभाव आये दिन हमें देखने को मिल रही है। इस समस्या को निपटाने के लए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पेरिस समझौते में आवश्यक कदम उठाया था जिसे कुछ देशों ने गंभीरता से लिया है और इसपर कार्य करना शुरु किया है। संत पापा ने कहा कि इन परिस्थितियों को हम निश्चित रुप से बदल सकते हैं। (लौदातो सी 53,61,163,202) भोजन की बढ़ती मांग के अनुसार ही यह आवश्यक है कि पृथ्वी की उपज हर किसी के लिए उपलब्ध हो। कुछ लोग समस्या के समाधान हेतु जनसंख्या को कम करना प्रयाप्त मानते हैं लेकिन यह गलत समाधान है। संसाधनों को कम करना आसान है। इसे दूसरों के साथ साझा करने के लिए मन-परिवर्तन की आवश्यकता है और यह एक चुनौती है।

संत पापा ने प्रवासियों और हाशिये पर जीवन यापन करने वालों की समस्याओं पर भी गौर करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में इनके समाधानों के लिए सभी स्तरों पर व्यापक और ईमानदारी से संवाद करने और मिलकर जिम्मेदारी लेने की आवश्यकता है। काथलिक कलीसिया की संस्थायें इन परिस्थितियों से वाकिफ हैं और ठोस रुप से सभी को प्रेम करने के मिशन द्वारा अपना योगदान दे रही है। कलीसिया यह याद दलाना चाहती है कि जिन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियाँ मिली हैं उन्हें सबसे ज्यादा साझा करने की जरुरत है।

अंत में संत पापा ने एफएओ और अन्य अंतर-सरकारी संस्थाओं को वैश्विक परिवार की भलाई और बेहतर बनाने के लिए साहस के साथ अपने कामों को जारी रखने की शुभ-कामनायँ दी।








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