2017-10-14 15:20:00

शांति हेतु धन्य सम्राट कार्लोस के प्रार्थना संघ को संत पापा की सलाह


वाटिकन सिटी, शनिवार, 14 अक्टूबर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार, 14 अक्टूबर को वाटिकन स्थित क्लेमेन्टीन सभागार में, लोगों की शांति हेतु धन्य सम्राट कार्लोस के प्रार्थना संघ के 130 सदस्यों से मुलाकात की।

संत पापा बेनेडिक्ट पंद्रहवें द्वारा, धन्य सम्राट कार्लोस के सहयोग से प्रथम विश्व युद्ध के समय हिंसा का अंत करने हेतु लिए गये शांति प्रयास की शतवर्षीय जयन्ती पर आयोजित इस मुलाकात पर, संत पापा ने संघ के तीन उद्देश्यों को सामने रखा।

उन्होंने कहा, ″ईश्वर की इच्छा की खोज एवं उसका निर्वाह करना, शांति एवं न्याय के कार्यों में सहभागी होना, इतिहास में हुए अन्याय के लिए पश्चाताप करना, ये एक पिता एवं पति तथा कलीसियाई परिवार के पुत्र के रूप में, धन्य सम्राट कार्लोस के जीवन में बारम्बार दिखाई देने वाले अभिप्राय हैं। अपने आप को जीवन्त ईश्वर को अर्पित करने के द्वारा उन्होंने पीड़ा स्वीकार किया तथा अपने को एक शांति बलि की तरह चढ़ाया एवं अपनी धर्मपत्नी प्रभु सेविका ज़ीता के प्रेम और विश्वास से पोषित हुए।

संत पापा ने संघ को प्रार्थना एवं त्याग करने हेतु प्रोत्साहन देते हुए कहा, ″हमारे समय की चुनौतियाँ सभी भले लोगों के सहयोग की मांग करती हैं, खासकर, प्रार्थना एवं त्याग की अतः आप प्रार्थना एवं शांति हेतु अपने समर्पण की प्रतिज्ञा के प्रति वफादार रहें। संत पापा ने उनकी प्रार्थना की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि विश्वासियों की प्रार्थनामय सहयोग के बिना संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी विश्व में अपने मिशन हेतु सक्षम नहीं हो सकते। संत पापा ने उन्हें धन्य कुँवारी मरियम एवं धन्य सम्राट कार्लोस की मध्यस्थता में सिपुर्द करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।″     

सम्राट फ्रांज जोसेफ की मृत्यु के बाद 21 नवम्बर 1916 में कार्लोस ऑस्ट्रिया के सम्राट बने थे तथा 20 दिसम्बर 1916 को वे हंगरी के प्रेरितिक राजा घोषित हुए थे।  

कार्लोस ने अपनी जिम्मेदारी को ख्रीस्त के अनुगामी की तरह स्वीकार किया तथा प्रजा के प्रति प्रेम रखते हुए उनके जीवन स्तर में सुधार लाने का प्रयास किया।

भयंकर युद्ध के दौरान शांति बनाये रखना एक सम्राट के रूप में उनका पहला कर्तव्य था। उन्होंने संत पापा बेनेडिक्ट पंद्रहवें के शांति प्रस्ताव का समर्थन किया और उसके लिए उन्हें घोर कष्टों का सामना करना पड़ा।








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