2017-10-13 12:38:00

परमधर्मपीठ एवं जापान के बीच राजनयिक सम्बन्धों की 75 वीं वर्षगाँठ


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2017 (रेई,वाटिकन रेडियो): रोम में गुरुवार को वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष पौल गालाघार ने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस जापानी ज्ञान के महान प्रशंसक हैं तथा उनके हृदय में जापान की कलीसिया का विशेष स्थान है।

वाटिकन राज्य के विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष पौल गालाघार परमधर्मपीठ एवं जापान के बीच स्थापित कूटनैतिक सम्बन्धों की 75 वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में आयोजित एक विचार गोष्ठी के प्रतिभागियों को सम्बोधित कर रहे थे। 

रोम के ग्रेगोरियन परमधर्मपीठीय विश्वविद्यालय में आयोजित विचार गोष्ठी में बोलते हुए महाधर्माध्यक्ष गालाघार ने परमधर्मपीठ एवं जापान के मध्य विद्यमान मधुर एवं मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों को याद किया। इस विचार गोष्ठी में जापान के राजदूत तथा जापानी कूटनैतिक अधिकारी भी उपस्थित थे।

उन्होंने "उदित होते सूर्य के साम्राज्य" यानि जापान तथा येसु धर्मसमाज के बीच विद्यामान विशिष्ट सम्बन्धों को याद किया तथा स्मरण दिलाया कि जापानी धरती पर पैर रखनेवाले सर्वप्रथम येसु धर्मसमाजी सन्त फ्राँसिस ज़ेवियर ही थे जिन्होंने प्रभु ख्रीस्त का शांति सन्देश जापान तक पहुँचाया। महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि परमधर्मपीठ जापानी अधिकारियों के साथ मिलकर आज के इस कठिन एवं जटिल युग में भी यथार्थ शांति की संस्कृति के निर्माण हेतु सहयोग करती रहेगी।

उन्होंने कहा, "हम शांति और निरस्त्रीकरण के महत्व को रेखांकित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि शस्त्रों एवं युद्ध की हर तर्कणा के प्रलोभन पर विजय पाई जा सके। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान और विशेष रूप से हिरोशिमा एवं नागासाकी पर हुई बमबारी के बाद जापान ने हत्या और भारी दर्द की पीड़ा का दुखदायी अनुभव किया है और यह सम्पूर्ण मानव जाति के लिये शस्त्रों के विरुद्ध एक चेतावनी होनी चाहिये।"

परमधर्मपीठ की ओर से महाधर्माध्यक्ष ने सभी को आमंत्रित किया कि वे भावी पीढ़ियों के लिये मानव व्यक्ति के अखण्ड विकास तथा शांति से परिपूर्ण एक बेहतर विश्व की रचना में अपना योगदान प्रदान करें। 








All the contents on this site are copyrighted ©.