2017-10-12 15:50:00

आशा एवं करुणा के सच्चे संदेशवाहक बनें, प्रेरितिक राजदूत


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 12 अक्तूबर 2017 (वीआर अंग्रेजी): केनिया तथा दक्षिणी सूडान के लिए वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष चार्स बालभो ने वहाँ के सभी याजकों को सुझाव दिया है कि वे करुणा की विषयवस्तु पर अपनी समझ गहरी करें जिसकी आवश्यकता विश्व में बहुत अधिक है, विशेषकर, उन लोगों के लिए जो हिंसा एवं मानव जीवन की प्रतिष्ठा से वंचित स्थिति में हैं।

प्रेरितिक राजदूत केनिया के ईशशास्त्रीय मंच के प्रतिभागियों को नाईरोबी स्थित संत जोसेफ की छोटी पुत्रियों के केंद्र पर सम्बोधित कर रहे थे।

महाधर्माध्यक्ष बालभो ने कहा कि करुणा का स्वभाव सभी का आलिंगन करना है जो दयालु होने के अर्थ की प्रशंसा सभी को करने देता है, वह पीड़ित लोगों को सहानुभूति प्रदान करता, जरूरतमंद लोगों की आवश्यकता पर ध्यान देता, अन्याय पर आक्रोशित महसूस करता तथा चीजों को सही तरह से करने के द्वारा स्नेहिल उत्तर देने की इच्छा रखता है।

उन्होंने कहा, ″करुणा की स्वाभाविक अनुभूति पर चिंतन लोगों को ईश्वर का दर्शन कराता है जिसके बारे येसु कहते हैं कि ईश्वर का नाम ही करुणा है।″

 संत पापा के शब्दों पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि करुणा माता के कोमल स्नेह के समान है जो अपने कमजोर नवजात शिशु का स्पर्श करती है। बच्चे को अपनी बाहों में लेती तथा वह सब कुछ प्रदान करती है जो बच्चे को जीने और बढ़ने के लिए आवश्यक है। दया पिता की एक निरंतर निष्ठा है जो लगातार हमारा साथ देता, हमें क्षमा करता और अपने बच्चों को बढ़ने हेतु प्रोत्साहन देता है। महाधर्माध्यक्ष ने यह भी कहा कि करुणा व्यवस्थान का फल है जिसके माध्यम से ईश्वर लगातार अपने लोगों को बुलाते हैं, जो निश्चय ही दया एवं भलाई का मुफ्त कार्य है और जो व्यक्ति के अंतःस्थल से उठता एवं उदार कार्यों द्वारा व्यक्त होता है। 

प्रेरितिक राजदूत ने प्रतिभागियों को बतलाया कि दया विश्वासियों को यह देखने में मदद करता है कि वे मनपरिवर्तन की आवश्यक महसूस नहीं करने से बचें, गहराई से चिंतन करें एवं अधिक प्रेम कर सकें। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि करुणा से बढ़कर कोई भी माध्यम नहीं है जो लोगों को ईश्वर के करीब लाता है क्योंकि दया के कारण ही ईश्वर हमारे पापों को क्षमा करते हैं तथा अपने नाम पर दया के कार्यों को आगे बढ़ाने हेतु कृपा देते हैं। पाप से मुक्त किये जाने से बढ़कर कोई भी चीज विश्वास को अधिक सुदृढ़ नहीं कर सकता।

सम्मेलन का आयोजन संत पापा फ्राँसिस द्वारा वर्ष 2016 में प्रकाशित प्रेरितिक पत्र ‘मिसरीकोरदिया एत मिसेरा’ पर चिंतन हेतु किया गया था। केनिया के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव फा. लूकस ओंगेसा ने कहा कि काथलिक कलीसिया की ओर से संत पापा द्वारा किया गया यह आह्वान कलीसिया को नवीनीकरण के रास्ते पर आगे लेने हेतु प्रेरित करता है। पाँच दिवसीय इस कार्यशाला में कई प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।








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