2017-10-09 16:33:00

भले समारी के समान जरुरतमंद लोगों की सेवा करें, संत पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, सोमवार, 09 अक्टूबर 2017 (रेई) :  संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के प्ररितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में प्रातःकालीन ख्रीस्तयाग अर्पित किया। दैनिक पाठ के आधार पर वहाँ उपस्थित भक्त समुदाय को भले समारी के समान जरुरतमंद लोगों की सेवा और विभिन्न रुपों में धायल लोगों की देखभाल करने की प्रेरणा दी।

संत पापा ने कहा कि येसु ने भले सामारी के दृष्टांत द्वारा शास्त्री को जवाब दिया था जिसने प्रश्न किया था कि अनंत जीवन का अधिकारी होने के लिए क्या करना चाहिए। येसु ने उन्हें ईश्वर को और अपने पड़ोसी को प्रेम करने की आज्ञा के बारे बताया। इसपर शास्त्री ने अपने प्रश्न की सार्थकता दिखलाने के लिए  येसु से पूछा कि मेरा पड़ोसी कौन है? इसपर येसु ने उन्हें दृष्टांत सुनाया।

संत पापा ने लोगों के मनोभावों पर ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि दृष्टांत में छः व्यक्तियों का जिक्र किया गया है, डाकू लोग, धायल व्यक्ति, याजक, लेवी, सराय मालिक और एक समारी। डाकुओं ने उस व्यक्ति को घायल कर उसका कीमती सामान छीन लिया और उसे अधमरा छोड़ खुशी-खुशी वहाँ से चल दिये। उसी रास्ते से याजक जो ईश्वर का व्यक्ति था और लेवी जो कानून जानता था, दोनों ही घायल व्यक्ति को देख करताकर बगल से निकल गये।

संत पापा ने कहा, "हमारे बीच एक बहुत ही सामान्य मनोभाव है : हमारे सामने घट रही दुर्घटना को देखना और पार हो जाना या समाचार पत्रों में दुःखद घटनाओं को पढ़ना और पेपर पलटकर रख देना और निश्चिंत हो जाना। जबकि समारी जो यात्रा पर था, उस घायल व्यक्ति को देख कतराकर आगे बढ नहीं सका। उसका हृदय करुणा से भर आया। वह उसके पास गया और उसके घावों पर तेल और अंगूरी डालकर पट्टी बाँध दी। वह उसे वहाँ अकेले नहीं छोड़ा परंतु सराय ले आया। वहाँ उसकी सेवा-शुश्रूषा की और दूसरे दिन उसे सराय मालिक को सेवा करने हेतु रुपये दिये और लौटते वक्त बाकी के चुकाने का वादा कर अपनी यात्रा में आगे बढ़ा। संत पापा ने कहा, ″यही ख्रीस्त का रहस्य है वे ईश्वर थे और उनका पूरा अधिकार था कि वह ईश्वर की बराबरी करे परंतु उन्होंने दास का रुप धारण किया अपने को दीन हीन बना लिया और क्रूस में हमारे लिए मर गये।"अतः हम भी अपने मनोभावों को ख्रीस्त के मनोभाव के अनुसार बना लें।

संत पापा ने कहा कि यह दृष्टांत हमें येसु मसीह के रहस्य की गहराई को समझने में मदद करता है। शास्त्री चुपचाप था शायद वह अब समझ गया होगा कि उसे क्या करनी चाहिए। यदि कोई व्यक्ति जरुरत मंद को उठने के लिए भी साथ दे तो वह सही रास्ते में है। वह येसु के बताये रास्ते में चल रहा है।

संत पापा ने सराय मालिक को संदर्भित कर कहा कि वह शायद "कुछ भी नहीं समझ पाया" लेकिन वह "अचरज" महसूस किया क्योंकि ऐसा किसी ने भी नहीं किया था। उस सराय मालिक ने समारी के रुप में मसीह से मुलाकात की थी।

प्रवचन के अंत में संत पापा ने आत्मचिंतन हेतु कुछ प्रश्न किये। मैं क्या करुँ? मैं भ्रष्ट, बेईमान डाकू हूँ? मैं एक याजक हूँ मरते व्यक्ति को देखकर भी बगल से पार हो जाता हूँ? या एक काथलिक नेता हूँ जो इसी तरह का व्यवहार करता हूँ? मेरे सामने बहुत से लोग हैं जो घयल हैं और जिन्हें मदद की जरुरत है ? इतने सारे लोगों की मदद मैं किस तरह कर सकता हूँ? क्या मैं येसु के समान दास का रुप लेकर मदद करने को तैयार हूँ ?








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