2017-10-09 15:41:00

कलीसिया के मिशन के लिए पुरोहित अच्छी तरह से प्रशिक्षित हों, संत पापा


वाटिकन सिटी, सोमवार, 09 अक्टूबर 2017 (रेई) : शनिवार 7 अक्टूबर को संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के संत क्लेमेंटीन सभागार में पुरोहितों के धर्मसंघ द्वारा आयोजित अंतरार्ष्ट्रीय सम्मेलन के प्रतिभागियों से मुलाकात कर कहा, "विश्वास में नवीकरण और भविष्य में बुलाहट केवल तभी संभव है यदि पुरोहित कुशल और प्रशिक्षित हैं।"

संत पापा ने पुरोहितों के अच्छे प्रशिक्षण के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि "कलीसिया के मिशन का निर्णायक पुरोहितों का प्रशिक्षण है : कलीसिया में बुलाहटीय जीवन में वृद्धि और ख्रीस्तीयों के विश्वास में दृढ़ता तभी संभव होगा यदि हमारे पास अच्छी तरह से प्रशिक्षित पुरोहित होंगे।"

संत पापा ने बाईबल के उस पाठ से प्रेरणा ली जहाँ ईश्वर नबी येरेमियस से कहते हैं : "उठो और कुम्हार की दुकान में जाओ।" संत पापा ने कहा कि पुरोहितों का प्रशिक्षण उनके कार्यों द्वारा निर्भर नहीं करता परंतु ईश्वर पर निर्भर करता है। हमें साहसपूर्वक अपने आप को ईश्वर के सामने खोल देना चाहिए और उन्हें खुद को सौंप देना चाहिए जिससे कि ईश्वर अपनी इच्छा अनुसार हमें ढाल सकें और हमारे जीवन को बदल सकें।

संत पापा ने कहा कि जो पुरोहित अपने आप को ईश्वर के हाथों ढलना नहीं चाहता उसमें अपने लोगों के बीच काम करने और सुसमाचार प्रचार करने के लिए कोई उत्साह नहीं रहता। वह सिर्फ अपने याजकीय कामों को पूरा करता है। गुरुकुल के छात्रों को मार्गनिर्देशन की आवश्यकता है जिससे वे ज्यादा से ज्यादा याजकीय जीवन की तैयारी कर सकें और येसु के चेले के रुप में अपना दैनिक जीवन जी सकें।

संत पापा ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान गुरुकुल के छात्रों को सांसारिक महत्वाकांक्षाओं के पीछे जाने के बजाय खुद को शिल्पकार की भव्य रचनात्मक हाथों छोड़ देना चाहिए। याजकीय प्रशिक्षण हेतु निदेशकों और धर्माध्यक्षों को भी गुरुकुल के छात्रों के पास जाना चाहिए। दुनियाई चुनौतियों का सामना करते हुए उन्हें ईश्वर के कार्यों को करने हेतु ढाढ़स और प्रोत्साहन देना चाहिए। आज कलीसिया को उत्साही और विवेक के साथ सुसमाचार की घोषणा करने में सक्षम पुरोहितों की आवश्यकता है।

अंत में संत पापा ने प्रतिभागियों के समक्ष एक प्रश्न रखते हुए अपने संवाद को विराम दिया। "मैं क्या बनना चाहता हूँ? आराम की जिंदगी, शांत और हर तरह की सुख-सुविधा प्राप्त जीवन जीने वाला पुरोहित या एक मिशनरी शिष्य जिसका हृदय अपने प्रभु और ईश्वर के लोगों के लिए जल रहा हो?"








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