वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 5 अक्तूबर 2017 (रेई): ख्रीस्तीयों के लिए यह आवश्यक है कि वे सुसमाचार का प्रचार बिना भय दुनियाभर में करें जैसा कि अनेक विश्वासियों ने अत्याचार सहकर इसका साक्ष्य दिया है। यह बात संत पापा फ्राँसिस ने संयुक्त बाईबिल सोसाईटी की कलीसियाई संबंध समिति के सदस्यों से मुलाकात करते हुए कही। विश्व बाईबिल मैत्री की स्थापना 1946 में हुई है। जिसमें कुल 150 राष्ट्रीय बाईबिल सोसाईटी के सदस्य जुड़े हैं ताकि सभी महाद्वीपों में बाईबिल का प्रचार हो सके।
संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 5 अक्टूबर को वाटिकन में संयुक्त बाईबिल सोसाईटी की कलीसिया संबंध समिति के 12 प्रतिनिधियों से मुलाकात कर कहा, ″ईश्वर की कृपा आप पर बनी रहे जो हमारे प्रभु ईसा को अनश्वर प्रेम से प्यार करते हैं।″ (एफे. 6:24) संत पौलुस के इन शब्दों से मैं आप सभी का स्वागत करता हूँ।″
उन्होंने कहा, ″हम मुक्ति के वचन के सेवक हैं जो प्रभु के पास कभी खाली नहीं लौटता। अपने आप को वचन द्वारा "घायल" होने देने के लिए मौखिक रूप से व्यक्त करना अनिवार्य है जो दिल से प्रवाहित होता है ″क्योंकि ईश्वर का वचन जीवन्त, सशक्त और किसी भी दुधारी तलवार से तेज है।″ (इब्रा.4:12)
संत पापा ने कहा ″हम अनन्त जीवन के वचन के सेवक हैं ″और हम विश्वास करते हैं कि ″मनुष्य न केवल रोटी से वरन ईश्वर के मुख से निकलने वाले हरेक शब्द से जीता है।″ (मती. 4:4) पवित्र आत्मा की सहायता से, वचन की मेज पर, उसे पढ़ने, सुनने, अध्ययन करने और हमारे जीवन में आत्मसात करने के द्वारा हमें अपने आपको तृप्त करना चाहिए। हम जिन्हें प्यार करते हैं उनके लिए समय देते और यहाँ हम ईश्वर के प्रेम की बात कर रहे हैं जो हमसे बात करना तथा हमें अनन्त जीवन प्रदान करना चाहते हैं।
हम मेल-मिलाप के वचन के सेवक हैं। ख्रीस्तीयों तथा सभी लोगों के बीच प्रभु का यह वचन फैले एवं समादृत हो। (2 थेस. 3:1) अतः हमारे आध्यात्मिक जीवन के लिए एक नए प्रोत्साहन से भगवान के वचन के लिए एक बड़े सम्मान की अपेक्षा करना सही है।
हम उस वचन के सेवक हैं जिसने ईश्वर से निकलकर, शरीरधारण किया और हमारे बीच निवास किया। (यो. 1:14) यह महत्वपूर्ण है कि कलीसिया आज सभी को, सभी स्थलों में, हर अवसर पर, बिना भय और बिना विलंब के सुसमाचार सुनाने हेतु बाहर निकलती है। ऐसा वह प्रभु के मिशन हेतु आदेश का पालन करते हुए करती है जिन्होंने दुनिया के अन्त तक हमारे साथ रहने की प्रतिज्ञा की है। (मती. 28:20).
हम सत्य वचन के सेवक हैं। (यो. 8:32) विश्वास पर समझौता, सच्चाई के ईश्वर का विरोधाभास है। यह ख्रीस्त के शरीर के विरूद्ध है जो मार्ग, सत्य और जीवन हैं जिन्होंने मनुष्यों का, ईश्वर के साथ मेल करने हेतु सच्चाई की कीमत पर अपने को अर्पित किया है।
हम ईश्वर के शक्तिशाली वचन के सेवक हैं जो आलोकित करता, बचाता, रक्षा करता, चंगाई देता एवं मुक्त करता है। ईश्वर का वचन बंदी नहीं होता। (2 तिम. 2: 9). संत पापा ने कहा कि हमारे अनेक भाई बहनें वचन के कारण कैदखाने में हैं तथा कई लोगों ने येसु ख्रीस्त पर विश्वास का साक्ष्य देने के कारण अपना लोहू बहाया है।
संत पापा ने सभी को निमंत्रण दिया कि हम मिलकर वचन का प्रचार करें तथा प्रार्थना की कि हमारे द्वारा पिता की इच्छा पूरी हो और एक साथ काम कर सकें ताकि प्रभु ने जो कहा है वह हमारे द्वारा पूरा हो सके।
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