2017-10-04 17:16:00

सामाजिक विकास पर महाधर्माध्यक्ष औजा का वक्तव्य


वाटिकन सिटी, बुधवार, 4 अक्टूबर 2017 (वीआर अंग्रेजी): गरीबी उन्मूलन के काफी प्रयासों के बावजूद नवीनीकृत आर्थिक विकास के साथ, दुनिया में अब भी बड़ी संख्या में लोगों को भूख और बहिष्कार के द्वारा असमानता का सामना करना पड़ रहा है।

इसका कारण यह है कि आर्थिक विकास मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर ध्यान केंद्रित न करते हुए सामाजिक विकास सुनिश्चित करता और असमानता और बहिष्कार के मूल कारणों को दूर नहीं करता है।

अमरीका में परमधर्मपीठ के प्रेरितिक राजदूत एवं स्थायी पर्यवेक्षक ने सोमवार को न्यूयॉर्क में सामाजिक विकास पर एक सम्मेलन को सम्बोधित किया। अपने सम्बोधन में उन्होंने समग्र मानव विकास पर विस्तृत समझ रखने हेतु निमंत्रण दिया ताकि सबसे कमजोर एवं हाशिये पर जीवन यापन करने वाले भी विकास की सामान्य उपलब्धि से वंचित न हों। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को समग्र मानव विकास पर आधारित होना चाहिए, अन्यथा जैसा कि संत पापा ने प्रेरितिक पत्र ″लौदातो सी″ के माध्यम से सचेत किया है कि मानव प्राणी का वस्तुओं के रूप में प्रयोग का खतरा बढ़ेगा, जिससे मानव समाज में असमानता, अन्याय और हिंसक कृत्य को बढ़ावा मिलता है।

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि वास्तव में वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रत्येक व्यक्ति के भौतिक और आध्यात्मिक लाभ की खोज करनी चाहिए। जिसमें मुलाकात की संस्कृति, बाहर जाने और ग़रीबों के साथ काम करने, बैठक और हमारे समाज में कमजोर लोगों के साथ बातचीत करने की क्रिया  शामिल है - एक शब्द में, इसका अर्थ है लोगों को प्राथमिकता देना।

मौजूदा आर्थिक मॉडल की आलोचना करते हुए वाटिकन राजदूत ने कहा, ″यह समुदाय में सफलता और आत्मनिर्भरता पर जोर देता है जबकि ऐसी नीतियों और निवेशों की आवश्यकता है जिसके द्वारा कमजोर लोगों को सशक्त किया जा सके, समुदायों को मजबूत और हाशिये पर जीवन यापन करने वाले लोगों को वंचित होने से बचाने से बचाया जा सके।

महाधर्माध्यक्ष औजा ने बुजुर्गों और विकलांगों के संबंध में कहा कि उन्हें भेदभाव और हिंसा के सबसे बड़े रूपों का सामना करना पड़ता है।

उनके अनुसार सामाजिक विकास का अर्थ युवाओं के लिए सम्मानजनक कार्यों का मिलना है। उन्होंने राजनीतिक नेताओं से अपील की कि वे प्रशिक्षणार्थियों को प्रोत्साहित करें और युवाओं एवं किशोरों के लिए विशेष रूप से छोटे ऋण की सुविधा मुहैया करायें। महाधर्माध्यक्ष ने विस्थापितों एवं शरणार्थियों को मौलिक सुविधा उपलब्ध कराने के साथ-साथ बच्चों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य द्वारा उनके मानव अधिकार की मांग की।








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