2017-09-27 16:20:00

"म्यांमार के लिए चंगाई प्रक्रिया," कार्डिनल बो


यांगोन, बुधवार, 27 सितम्बर 2017 (फीदेस) : "हमारे देश में हाल ही में दुखद और भयंकर घटनाएं हुई हैं जिसमें हजारों मुसलमान, हिंदु और अन्य लोग इसके शिकार हुए। इस घटना ने दुनिया का ध्यान यहाँ खींच लाया है। हिंसा और आक्रामक प्रतिक्रिया की शुरूआत दु:खद है। हमारी पूर्ण सहानुभूति उन हजारों मुसलमानों, हिंदुओं, रखाईन प्रांत के लोगों और कई अन्य जातीय समूहों के प्रति है जिन्हें विस्थापित होना पड़ा है। यह एक त्रासदी है जिसे नहीं होना चाहिए था। हम दृढ़ता से विश्वास करते हैं कि एकीकृत नीतियों के बिना हम शांति हासिल नहीं कर सकते।" उक्त बातें कार्डिनल चार्ल्स माउंग बो ने म्यांमार के पश्चिम में रोहिंग्या शरणार्थियों के संकट के बारे में फीदेस को दिये अपने बयान में कही। संत पापा फ्राँसिस के म्यांमार की यात्रा के दो महीने रह गये हैं। कार्डिनल बो आशा करते हैं कि उन सभी पीड़ाओं से चंगाई मिलेगी जिससे देश पीड़ित है।

फीदेस को भेजे एक अन्य बयान में "संयुक्त राष्ट्र के अपने हाल के भाषण में आंग सान सू की द्वारा, हिंसा के सभी रूपों के लिए व्यक्त की गई चिंता और पश्चिमी देशों के प्रेस द्वारा किये गये हमलों के मद्देनज़र कार्डिनल बो ने कहा कि उसकी प्रतिक्रिया पर उन्हें बदनाम करना बेकार है। उन्होंने सभी को याद दिलाया कि "मुश्किल परिस्थितियों में आंग सान सू की सरकार ने एक बड़ी भूमिका निभाई, कई मानवतावादी चुनौतियां थीं जिन्हें सरकार को कम समय में सामना करना पड़ा था, सुरक्षा को देखते हुए संविधान द्वारा सैन्य बल लगाए गए थे। कार्डिनल बो रखाईन में रहने वाले लोगों के अधिकारों के बारे में उठाए गए मुद्दों का स्वागत करते हैं और वे भी चाहते हैं कि शरणार्थियों की वापसी हो। आंग सान सू की "कोफी अन्नान आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए एक विशेष आयोग की स्थापना की है," अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सहयोग के लिए यह एक प्रशंसनीय पहल है।

अपने बयान के अंत में कार्डिनल बो ने कहा, "हम सभी को एक घायल अतीत से चंगाई के भविष्य की ओर जाना चाहिए। आइये, हम अतीत से सबक सीखें और हमारे भविष्य को रोशन करें। न्याय के आधार पर शांति संभव है और शांति ही एकमात्र संभावित मार्ग है।"








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