2017-09-26 16:27:00

येसु के साथ घनिष्ठता हमें स्वतंत्र करता है


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 26 सितम्बर 2017 (रेई): वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में मंगलवार 26 सितम्बर को, संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तयाग प्रवचन में ईश्वर के साथ घनिष्ठ संबंध रखने की सलाह दी।

संत पापा ने कहा, ″जो लोग ईश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं, येसु के लिए परिवार का सिद्धांत यही है, उनके लिए समस्त विश्व ही एक बृहद परिवार है।"

प्रवचन में संत पापा ने संत लूकस रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ येसु उन लोगों को माता, भाई और परिवार के सदस्य मानते हैं जो उनके वचन सुनते और उनका पालन करते हैं। संत पापा ने गौर किया कि यह हमें ईश्वर एवं येसु के साथ घनिष्ठ परिचय पर चिंतन करने की प्रेरणा देता है जो कि शिष्य अथवा मित्र होने से कहीं बढ़कर है। यह कोई औपचारिकता या शिक्षित होना अथवा राजनयिक मनोभाव नहीं है।

संत पापा ने इसका अर्थ समझाने के लिए कलीसिया के आध्यात्मिक धर्माचार्यों की शिक्षा का हवाला देते हुए कहा कि इसका अर्थ है, ″येसु के घर में प्रवेश करना, उस परिवेश में घुसना एवं जीना जहाँ येसु का घर है।″ उन्होंने कहा कि हमें वहाँ रहना, चिंतन करना एवं मुक्त होना है क्योंकि बच्चे स्वतंत्र होते हैं। जो लोग प्रभु के घर में निवास करते हैं वे स्वतंत्र हैं और जिन लोगों का उनके साथ घनिष्ठ परिचय है वे भी स्वतंत्र हैं जबकि दूसरे, जैसा कि बाईबिल में कहा गया है वे दास हैं। यद्यपि वे ख्रीस्तीय कहलाते हैं, उनमें येसु के पास आने का साहस नहीं है, वे प्रभु के साथ घनिष्ठ परिचय नहीं बना सकते। वे प्रभु से हमेशा एक दूरी बनाये रखते हैं।

संत पापा ने कहा कि येसु के साथ घनिष्ठता का अर्थ जैसा कि महान संतों ने सिखलाया है, ″उनके साथ रहना, उन्हें देखना, उनके वचनों को सुनना, उनका पालन करना तथा उनसे बातें करना।″ उन्होंने ″प्रार्थना″ शब्द पर जोर देते हुए कहा, ″प्रार्थना प्रभु के पास पहुँचती है।″ संत तेरेसा के अनुसार यह सुन्दर है क्योंकि इसके द्वारा वे प्रभु से हर जगह मुलाकात कर सकती थीं, उनके साथ हर समय संयुक्त रह सकती थीं, यहाँ तक कि रसोई घर में बरतनों के बीच भी। यही है प्रभु के साथ घनिष्ठता।

संत पापा ने घनिष्ठ परिचय का दूसरा अर्थ बतलाते हुए कहा कि इसका अर्थ है येसु की उपस्थिति में रहना। वे स्वयं हमें सुसमाचार के माध्यम से स्मरण दिलाते हैं कि जब योहन बपतिस्ता ने येसु की ओर इशारा कर कहा कि देखो वह ईश्वर का मेमना है जो संसार का पाप हर लेता है तब अंद्रेयस एवं योहन येसु पीछे हो लिये तथा लिखा गया है कि वे उनके साथ रहे।

संत पापा ने घनिष्ठ परिचय के मनोभाव की पुष्टि करते हुए कहा कि येसु से दूर रहना अच्छे ख्रीस्तीय का चिन्ह नहीं है।

संत पापा ने सभी का आह्वान करते हुए कहा, ″हम प्रभु के साथ घनिष्ठता का मनोभाव धारण करें।″ ख्रीस्तीय जब विभिन्न समस्याओं के साथ, बस अथवा मोटर साईकिल से यात्रा करते हुए, अंदर ही अंदर प्रभु से प्रार्थना करते हैं अथवा कम से कम इस बात के प्रति सचेत रहते हैं कि प्रभु उन्हें देख रहे हैं, तो यह मनोभाव घनिष्ठता का, उनके साथ नजदीकी का मनोभाव है, येसु के परिवार के सदस्य होने का एहसास है।

संत पापा ने प्रभु के साथ घनिष्ठता का अर्थ समझने की कृपा के लिए प्रार्थना की।  








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